खजाने, जो कभी नहीं मिले Treasures that have never been found in hindi

खजाने जो कभी नहीं मिले Treasures That Have Never Been Found In Hindi 1024x538

खजाने, जो कभी नहीं मिले

खजाने, जो कभी नहीं मिले। सोने पर दुनिया सम्मोहित है। मध्यकाल में सोना कुसंगतियों और बुराईयों की जड़ भी रहा। इसके चलते दुनिया में लूटमार, युद्ध और लालची प्रवृत्तियों ने जन्म लिया। राजाओं से लेकर अपराधियों तक की नज़र अकूत सोने का खजाने इकट्ठा करने पर टीकी रही। बहुत से लोगों ने अपार सोना जोड़ा। दूसरों की नज़रों से दूर रखने के लिए युक्तियां कीं। उन्होंने खजानों को ऐसी जगह छिपाया कि न तो वे खुद इसका उपभोग कर पाए और न ही आने वाले सालों में भी कोई इस खजाने तक पहुंच पाया। हालांकि उनके ये खजाने हमेशा-हमेशा के लिए रहस्य-रोमांच और चर्चा का विषय बनकर रह गए।

कुछ खजाने हजारों साल पहले छिपाए गए तो कई चंद दशकों पहले – उन सबकी तलाश अब तक जारी है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि तमाम कोशिशों के बाद भी लोग उन तक नहीं पहुंच पाए। कुछ खजाने अब तक अभिशप्त हैं ! जो भी उनकी तलाश में गया या उनके पास तक पहुंचा, वो अकाल मृत्यु का शिकार बन गया।

ऐसे ही खजानों को लेकर ढेरों सवाल अब भी लोगों के सामने खड़े हैं – कौतूहल के रुप में, रहस्य के तौर पर और इतने सालों के बाद उनके न मिलने को लेकर। इनमें नाजियों की ऑस्ट्रिया के पर्वतों के बीच छिपाई गई अकूत सोने की संपत्ति और मशहूर समुद्री लुटेरों पर किसी अनजान टापू पर गाड़ दिया खजाना तो है ही, मिस्र के पिरामिडों में बिखरे सोने के असीमित और सैकड़ों साल पहले गायब कर दिए गए सोने के बहुमूल्य भंडार भी शामिल हैं।

सबसे पहले बात करते हैं उन सात रोमांचक खजानों के बारे में, जो पूरी दुनिया में सबसे अधिक चर्चित हैं और जिन तक कोई भी नहीं पहुंच पाया।

प्राचीन इजरायल का ईश्वर प्रदत्त ‘सोने का संदूक’

बाइबिल में कहा गया हैं कि प्राचीन इजरायल में सोने का एक ऐसा संदूक था, जो ईश्वर प्रदत्त था। कहा जाता है कि ये 44 इंच लंबा, 26 इंच चौड़ा और 26 इंच ऊंचा था। ये खास अकासिया लकड़ी का बना था, लेकिन इसके दोनों ओर शुद्ध सोना मढ़ा था। इसके पाए और इसे उठाने वाले दो स्तंभ खालिस सोने के थे। उनकी कारीगरी तो देखते ही बनती थी। संदूक के ऊपर पंख फड़फड़ाती, स्वर्ण निर्मित पक्षीनुमा दो देवदूतों की आकृतियां थी। ये बहुत पवित्र ही नहीं, बल्कि अमूल्य भी था।

नेबो पहाड़

नेबो पहाड़ फोटो साभार : विकिपीडिया

607 ईसापूर्व में ये जेरुसलम के सोलोमन मंदिर में रखा गया था, लेकिन बाद में बेबीलोन के लोगों ने न केवल मंदिर को नष्ट कर दिया, बल्कि इस संदूक को भी फेंक दिया। इजरायल के हिब्रुओं का उनसे जमकर संघर्ष हुआ। लाखों इजरायली मार डाले गए। शेष किसी तरह जान बचाकर भाग निकले। जब करीब सत्तर साल बाद इजरायली वापस लौटे तो बहुमूल्य संदूक गायब था। बताया जाता है कि हिब्रुओं ने इसे बेबीलोन के लोगों से बचाने के लिए मिस्र के करीब ‘नेबो पहाड़’ के करीब एक गुफा में छिपा दिया। जब वो लौटे तो ये संदूक नहीं मिला और अब तक रहस्य है कि संदूक कहां गया।

रुस के जार को तोहफे में दिया गया ‘ऐंबर रुम’

ऐंबर रुम

‘ऐंबर रुम’ फोटो साभार : ‘नोट्स फ्रॉम पोलैंड’

एक और वाकया रुस के जार को तोहफे में दिए गए ‘ऐंबर रुम’ का है, जो पूरी तरह सोने का बना हुआ था। इसकी पगीकारी तो लाजवाब थी, लेकिन इसके पैनल भी असाधारण तौर पर दर्शनीय थे। इसके साथ सोने, चांदी और हीरे के झूमर लटके हुए थे। ये ग्यारह फीट का रुम लकड़ी-सोने की चादर और महंगे कांच से बनाया गया था। इसमें महंगे रत्न जड़े हुए थे।

इसे प्रुसिया के राजा फैड्रिक प्रथम ने बनवाया था, लेकिन उन्होंने रुस के जार पीटर को 1716 में तोहफे में दे दिया। आज अगर ऐंबर रुम होता तो इसकी कीमत खरबों में होती।

जब एडोल्फ हिटलर की नाजी सेना ने रुस पर हमला किया तो ऐंबर रुम के केयरटेकर नर्वस हो गए। नाजियों ने इस पर कब्जा कर लिया और इसे कोनिसबर्ग के किले में रखा, लेकिन वहां से ये ऐसे गायब हुआ कि कभी नहीं दिखा। बाद में ऐसा ही ऐंबर रुम रुस के कैथरीन पैलेस में फिर से बनाने की कोशिश जरुर की गई।

समुद्री लुटेरा ‘ब्लैकबर्ड’ का खजाना

क़्वीन एन जहाज

‘क़्वीन एन’ जहाज की प्रतिकृति फोटो साभार : गूगल

अठारहवीं शताब्दी में एक कुख्यात समुद्री लुटेरा हुआ था – ब्लैकबर्ड। वो स्पेनिश था, लेकिन उसने मैक्सिको और दक्षिण अमेरिका को अपना क्षेत्र बनाकर न जाने कितनी लूट की। जहाजों को भी लूटा। लोग उसका नाम सुनते ही कांप जाते थे। आखिरकार, ब्रिटिश सेना के साथ एक भिड़ंत में वह मारा गया। उसका जहाज ‘क़्वीन एन’ डूब गया।

1999 के आसपास नार्थ कैरोलिना में उसके जहाज को समुद्री की तलहटी में खोज निकाला गया, लेकिन उसमें कुछ नहीं था। माना जाता है कि उसने अपना खजाना कई जगहों पर छिपाया था। ये जगहें कैरिबियन द्वीप,वर्जीनिया खाड़ी और केमैन आइलैंड हो सकती हैं, लेकिन किसी को आज तक उसका खजाना नहीं मिला।

समुद्री लुटेरा ‘जोस गास्पर’ का खजाना

इसी तरह एक और कुख्यात समुद्री लुटेरा था – जोस गास्पर, जिसे लोग गैस्प्रिला के नाम से भी जानते थे। वह बेहद क्रूर था। उसने भी बचपन में स्पेन छोड़ दिया था और फ्लोरिडा के पास बोका ग्रैंड में अपना ठिकाना बनाया था। इस जगह को आजकल ‘गैस्प्रिला आइलैंड’ के नाम से जाना जाता हैं। फिर उसने समुद्री जहाजों को लूटमार का निशाना बनाना शुरु किया।

गैस्प्रिला आइलैंड 1

‘गैस्प्रिला आइलैंड’ फोटो साभार : गूगल

1822 में उसके पास करीब 30 करोड़ डॉलर की संपत्ति थी। बताते है कि उसने अपनी सारी संपत्ति इसी द्वीप में कहीं गाड़ दी। यही नहीं, उसके गिरोह के कई लोगों ने भी अपने हिस्से को इसी आइलैंड में जगह-जगह इसी तरह छिपाया। बाद में एक अमेरिकी सेना के युद्धपोत पर हमला करते हुए वो फंस गया। उसे आत्महत्या करनी पड़ी। जहाज भी डूब गया। इस जहाज पर भी एक करोड़ डॉलर का खजाना था।

आज भी लोग इसे चार्लोट हार्बर में ढूंढ़ते हैं। फ्लोरिडा वो जगह है, जो सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दियों में न जाने कितने समुद्री लुटेरों का गढ़ था। इसी के आसपास न जाने कितने लुटेरों ने अपना खजाना छिपाया, इसमें से कुछ मिले और कुछ आज भी अबूझ पहेली बने हैं।

पेरु की राजधानी ‘लीमा’ की बेशकीमती चीजें और खजाना

1820 के आसपास पेरु में विद्रोह की स्थितियां थीं। बचाव के तहत पेरु की राजधानी लीमा के राजप्रतिनिधि ने शहर की सारी बेशकीमती वस्तुओं और खजाने को मेक्सिको भेजने का निर्णय किया। इस बेशकीमती सामान को ग्यारह जहाजों में भरा गया। जिस कैप्टन ‘विलियम थाम्पसन’ नाम के शख्स को इस पूरे अभियान का कमांडर बनाया गया, उसके बारे में शायद लीमा का राजप्रतिनिधि ज्यादा जनता नहीं था। विलियम थाम्पसन न केवल लुटेरा था, बल्कि उतना ही निर्दय भी था।

जब जहाजों का काफिला बीच रास्ते में पहुंचा, तो विलियम थाम्पसन के आदमियों ने लूटमार और कत्लेआम शुरु कर दिया। इसके बाद बेशकीमती खजाने से भरे जहाजों को हिंद महासागर में स्थित ‘कोकोज आइलैंड’ ले जाया गया। वहां उसके आदमियों ने जमीन खोदकर जहाजों का सामान छिपा दिया।

कोकोज आइलैंड 1

‘कोकोज आइलैंड’ फोटो साभार : ब्रिटानिका

बाद में विलियम थाम्पसन और उसके आदमियों को पकड़ लिया गया। विलियम थाम्पसन के आदमियों को फांसी पर लटकाया गया। केवल विलियम थाम्पसन को फांसी नहीं दी, इस शर्त पर कि वो राजसेना को छिपाए गए खजाने तक ले जाएगा। विलियम थाम्पसन उन्हें कोकोज द्वीप तक ले गया, लेकिन जंगलों में पहुंचते ही गायब हो गया। फिर न तो वो मिला और न ही खजाना। तब से यहां सैकड़ों खोज अभियान चल चुके हैं।

मिस्र के पिरामिडों’ के खजाने

तूतनखामेन का पिरामिड 2

‘तूतनखामेन’ का पिरामिड फोटो साभार : गूगल

मिस्र के पिरामिडों और उनके खजानों को लेकर तो न जाने कितने तरह के किस्से प्रचलन में हैं। क्योंकि इन पिरामिडों से अबतक सोने के कई आभूषण और बेशकीमती सामान मिल चूका है।

1922 में हावर्ड कार्टर नाम के एक खोजकर्ता ने मिस्र की घाटी में ‘तूतनखामेन’ के पिरामिड को खोज निकाला। जिस प्रकोष्ठ में इस राजा की ममी रखी हुई थी, उसके बराबर के प्रकोष्ठ में खजाने का अंबार लगा था। खजाने में इतने आभूषण और बेशकीमती सामान थे की हावर्ड कार्टर उसकी सूची बनाते तो कम से कम दस साल लग जाते। तब ये भी माना गया कि इन पिरामिडों में राजपरिवार के जितने लोगों की ममियां राखी हैं, सभी के साथ अलग-अलग खजाने भी होने चाहिए।

19वीं शताब्दी के आखिर में जब तक इन पिरामिडों में रखे गए अन्य फैरोन के बारे में पता चला, तब तक उनके चैंबर्स से खजाने गायब हो चुके थे। कुछ लोग इसे लुटेरों का काम मानते हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि ये काम पुजारियों का है, जिन्होंने मिस्र की घाटी में अपने फैरोन्स को फिर से दफन किया और उन्हीं के साथ पिरामिड में रखे अकूत खजाने को वहां से हटा दिया।

वैसे, इस खजाने का रहस्यपूर्ण तरीके से गायब होना एक रहस्य ही है।

हिटलर की ‘नाजी सेना’ का खजाना

हिटलर के नाजी शासन के खजाने के बारे में बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं। वैसे, ये बात सही है कि 1946 में अमेरिकी गुप्तचरों को ऐसे दस्तावेज मिले थे, जिनमें ऑस्ट्रिया में कहीं छिपाए गए खजाने का जिक्र किया गया था।

इसमें खरबों के सोने और करोड़ों के हीरों का जिक्र था। इसके साथ-साथ प्रचुर मात्रा में डॉलर और स्विस फ्रांक भी थे। इस खजाने का आकलन तीन खरब 70 अरब डॉलर के खजाने के रुप में हुआ। माना जाता है कि इसे ऑस्ट्रिया की आल्प्स पहाड़ियों के बीच कहीं किसी गुफा में छिपाया गया था। 1959 के आसपास ब्रिटेन और अमेरिका ने मिलकर इस खजाने की सघन खोज की, लेकिन ये नहीं मिल सका।

दुनियाभर में हजारों ऐसे खजाने हैं, जिनके बारे में ढेरों कहानियां तो प्रचलित हैं, उनके होने की संभावना भी है, लेकिन वो आज तक किसी के हाथ नहीं आए। उनकी खोज में जमाने से लोग लगे हुए हैं और शायद लगे भी रहेंगे। हो सकता है कि कुछ खजाने देर-सबेर मिल जाए, लेकिन बहुत से ऐसे होंगे जो किस्सों में ही रह जायेंगे, जिनके रहस्य पर से शायद ही कभी परदा उठ पाए।

भारत में कई प्राचीन किलों और राजमहलों के आसपास आज भी खजाना होने की कहानियां कही जाती हैं। खुदाई होने पर अक्सर छोटी मात्रा में खजाने मिले भी। 2011 जिस तरह तिरुवनंतपुरम के ‘पद्मनाभन मंदिर’ में एक लाख करोड़ का बेशकीमती खजाना मिला, उसके बाद ये मन जाने लगा है कि ऐसे खजाने देश में कई जगह हो सकते हैं।

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article की खजानो से जुडी रोचक जानकारी पढ़कर आपको ख़ुशी हुई होगी। अगर आपको ये Article रोचक लगा हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

Leave a Reply

0

Subtotal