बीथोवन का जीवन Life of Beethoven in hindi

बीथोवन का जीवन Life Of Beethoven

पश्चिमी संगीत की परंपरा में बीथोवन का नाम सारी दुनिया के संगीतप्रेमी बड़े प्रेम और सम्मान से लेते हैं।

जर्मनी के बॉन शहर में वर्ष 1770 में जन्मे लुडविग वान बीथोवन का बचपन ग़रीबी, घुमक्कड़ी और संगीत की संगत में बिता।

बाद के वर्षो में उन्होंने अपने सुनने की क्षमता भी गंवा दी, इसके बावजूद वे कालजयी संगीत रचते रहे। यह एक आश्चर्य ही था।

  • गेटे को लिखे एक पत्र में

– संगीत, ज्ञान की दुनिया का एक ऐसा नायाब तोहफ़ा है, जो इंसान को समझ तो देता है, लेकिन इंसान है कि इसे समझ ही नहीं पाता।

– संगीत एक अनूठी क़िस्म की शराब है। मैं इसे दुनिया में बांटता हूं और लोग आत्मा से इसका पान करते हैं।

  • अपनी मृत्यु शय्या पर पड़े-पड़े

– तालियां बजाओ दोस्तो। कॉमेडी ख़त्म हुई।

Bethoven

बीथोवन की बातें

बीथोवन के पिता जॉन राजदरबार में पियानोवादक थे। लालची, शराबी और झगड़ालू। बात-बेबात बेटे की पिटाई कर देने पर आमादा। वे चाहते थे, बेटा थोड़ा-बहुत संगीत सीख जाए तो राजदरबार में संगीत बजाने लायक हो जाए। उस ज़माने में संगीत एक सम्मानजनक पेशा नहीं माना जाता था। लोग या तो दरबार में बाजा बजाते थे या गिरजे में। मगर बीथोवन के दिल में कुछ और था। वे एक महान संगीतकार बनना चाहते थे।

22 साल की उम्र में वे विएना चले गए और जल्द ही कुशल संगीतकार के रुप में स्थापित हो गए। लेकिन छब्बीस साल की उम्र होते-होते उन्हें लगने लगा कि उनके सुनने की क्षमता कम होती जा रही है, इसके बावजूद उनकी प्रतिभा और मुखरित हो गई। 1805 से 1812 तक उनका सृजन उत्कर्ष पर था और उन्होंने दोनों हाथो से सफलता बटोरी। इस दौरान बीथोवन ने कई सिम्फनियों की रचना की और सात कॉन्सर्ट पेश किए। उनके स्ट्रिंग क्वार्टेट्स और पियानो सोनेट्स ने भी सफलता के नए झंडे गाड़े। लेकिन वे हमेशा मुफ़लिसी में ही रहे। गली-मुहल्लों की ख़ाक छानना और आए दिन घर बदलना उनकी नियति में बदा था।

बीथोवन ने कभी शादी नहीं की। प्यार भी एक तरफ़ा किया। अड़तालीस साल की उम्र तक वे पूरी तरह सुनने की क्षमता खो चुके थे। एक कलाकार के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या होगी कि वह ख़ुद के द्वारा बनाई धुनें न सुन सके। ज़िंदगी की सांझ उन्होंने अकेलेपन में काटी। प्रस्तुत है, बीथोवन की कुछ खट्टी-मीठी बातें –

वे सात दिन

नन्हें बीथोवन को कड़कड़ा के ठंड लग रही है। दांत किटकिटा रहे हैं। वे बिस्तर पर पड़े हैं। इच्छा है कि माँ आकर उनके सिर पर हाथ फेरे, सहलाए, कहे – अभी ठीक हो जाओगे बेटे। तभी उस सीलन भरे कमरे से लगी सीढ़ियों से किसी के खड़-खड़ चढ़ने की ललकार – सारा सारा दिन कहां ग़ायब रहते हो? क्या हुआ? क्यों पड़े हो?

यह थी बीथोवन की माँ, जिसने चंद दिनों का जीवन जीने वाले दो बच्चों की मौत के बाद बीथोवन को जन्म दिया था। जवाब न मिलने पर माँ उसे छूती है – अरे, तुम्हें तो तेज बुखार है। डॉक्टर बताते हैं कि बच्चे को चिकन पॉक्स निकलने वाले हैं। उसे घर के अन्य बच्चों से दूर रखा जाए और दिन में दो बार क्रीम लगाई जा , वह भी ग्लव्स पहनकर। वे सात दिन बीथोवन ने बंद कमरे में अकेले गुज़ारे। कोई देखने वाला नहीं, सुनने वाला नहीं। दिन में एक बार कमरे का दरवाजा आहिस्ते से खुलता, उस दरार में से एक हाथ निकलता, जो सूप का एक प्याला आगे सरका देता। दर्द से निजात पाने के लिए वे सूप की क्रीम निकालते और उसे शरीर पर मल लेते।

हंटर के साथ संगत

एक शाम बीथोवन चुपके से निकल पड़े। पेड़ो की श्रृंखलाऐं देखीं, झील का किनारा देखा। हरी-भरी वादियां उन्हें मोहने लगीं। वे आहिस्ते-आहिस्ते एक रहस्यमय चट्टान की ओर बढ़ने लगे।

लेकिन यह क्या ! तब तक शाम हो चली थी, अंधेरा होने को था। अब पेड़ सांय-सांय बोलने लगे थे। हवा कंपकंपी पैदा कर रही थी। उन्होंने मफ़लर से चेहरा ढांप लिया, लेकिन ठंड रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। वे डरने लगे। इधर पैर कीचड़ से लथपथ हो गए, उधर सर्दी के मारे शरीर कांपने लगा। अब वे जल्दी से घर पहुंचना चाहते थे। लेकिन घर की सीढ़ियां चढ़ते ही माँ की चीख़ सुनाई दी – कहां चले गए थे? हम तुम्हें ढूंढ-ढूंढ़कर मरे जा रहे हैं ! ये क्या हाल बना रक्खा है? पिता ने गरजकर कहा, मैं तुम्हें बड़ा संगीतकार बनाना चाहता हूं, और तुम आवारागर्दी कर रहे हो।

फिर रात भर बीथोवन को उनके शराबी बाप संगीत सिखाते रहे कि ऐसे नहीं, वैसे बजाओ। नहीं नहीं, तुम अपनी मर्जी से कोई धुन नहीं बजाओगे, जो मैं कहूंगा, वही बजाओगे। पिता के हाथ में हंटर था, जैसे ही बेटा ग़लती करता, वे उसकी पीठ या हथेली पर हंटर की एक चोट देते। सारी रात बीथोवन पियानो बजाते रहे और पिता हंटर पर संगत देते रहे। जब पिता का नशा उतरा, तब तक सूरज चढ़ चुका था।

इलेक्टर को इन्कार

“बीथोवन जीनियस है, जीनियस। इसे बॉन जैसे छोटे शहर में रखकर इसकी प्रतिभा को बर्बाद मत करो। इसकी उंगलियों में जादू है। इसे विएना भेजो।” इसे अच्छे शिक्षक क्रिस्टियन नीफे ने जब यह नसीहत बीथोवन के पिता जॉन को दी, तो उनका कहना था – मेरे लिए चार बच्चों का पेट भरना तक मुश्किल है, मैं विएना का ख़र्च कहां से उठाऊंगा? नीफे ने तरक़ीब लगाई – यह सब तुम मुझ पर छोड़ो, मैं इलेक्टर से बात करुंगा। वे कला के रसिक हैं, इसके लिए स्कॉलरशिप का इंतज़ाम कर देंगे।

अगले दिन बीथोवन नीफे के साथ शहर की सबसे बड़ी शख़्सियत इलेक्टर के महल में थे। पेंटिंग्स से सजा एक हॉल, जिसके बीचोंबीच मलमल से ढंका एक नन्हा-सा ख़ूबसूरत पियानो और उसके सामने वादक के लिए स्टूल। नीफे ने इलेक्टर से निवेदन किया – हुज़ूर, आप इसकी प्रतिभा को मान जाएंगे, लेकिन मेरा एक निवेदन है, आप इसकी परवरिश के लिए कुछ करें। आपने पहले भी कई लोगों…।

इलेक्टर ने बिच में रोकते हुए कहा – मेरे पास सिर्फ पंद्रह मिनट हैं। या तो तुम इसका पियानो सुनवा दो या इस पर बहस कर लो। नीफे ने तर्कों, जुलमों के साथ इलेक्टर को मानाने की पुरज़ोर कोशिश की। अंततः पांच मिनट का समय रह गया। इलेक्टर ने पूछा – तो तुम क्या सुनाओगे? नीफे ने बताया – आपके सम्मान में एक प्रार्थना गीत, एक संगीत का टुकड़ा और… तभी बीथोवन उठ खड़े हुए और कहा – मैं आज पियानो नहीं बजाऊंगा। बाद में बीथोवन ने अपने दोस्त को बताया कि कोई उनके गुरु का अपमान करे, यह उन्हें बर्दाश्त नहीं।

महल में लगी आग

चारों ओर अफरा-तफ़री का माहौल है। लोग दौड़ रहे हैं, एक-दूसरे को पुकार रहे हैं। शहर की सबसे बड़ी हस्ती के महल ‘इलेक्टर्स पैलेस’ में आग लगी हुई है। महल मालिक के दोनों बच्चे बीथोवन के पास दौड़े चले आते हैं – लुडविग, लुडविग, तुमने सुना, इलेक्टर्स पैलेस में आग लग गई है। चलो, दूरबीन से देखें।

वे बीथोवन को खींचकर छत पर ले जाते हैं। एक कहता है, मैं बड़ा हूं, मैं सबसे पहले देखूंगा। वह कमेंट्री सुनाता है – ये देखो, लोग पानी की बाल्टियां ला रहे हैं, ये देखो, पानी उड़ेला, ये देखो, धुआं उठा, ये देखो, आग मंद हुई। मगर बीथोवन का मन कहीं और है। वे विनाश नहीं देखना चाहते, लोगों का दर्द नहीं देखना चाहते। वे देखना चाहते हैं उस महल के पिछवाड़े की सड़क के इर्द-गिर्द पेड़ो की क़तार, रहस्यमय पहाड़ी झरने का संगीत। उनकी दिलचस्पी इन सबमें है।

नेह की छाँव

सात साल के नन्हें बीथोवन अपनी कला के मार्फ़त घर के लिए कुछ कमाई करने के लिए पिता के साथ बॉन क़स्बे से बाहर जा रहे हैं। आज पिता का दूसरा ही रुप देखने को मिल रहा है।

रिनबेक गांव के रास्ते में जैसे ही बीथोवन पेड़ों या मैदान में चर रहे मवेशियों को देखकर चहकते, पिता तत्काल घोड़ागाड़ी रुकवा देते और प्रकृति का रस लेने लगते। पिता भी अपनी घरेलु और दफ़्तरी समस्याओं से आज़ाद थे।

दो-तीन दिन तक वे छोटे-छोटे गांवों के कई रईसों और कलाप्रेमियों के घर गए। वहां बीथोवन ने अपनी कला के कई नमूने पेश किए। हर जगह उन्हें वाहवाही मिली, लेकिन पिता जो चाहते थे, वह आमदनी नदारद थी। लौटते वक़्त पिता के चेहरे पर मायूसी थी। यकायक पिता ने बीथोवन को गले से लगा कर कहा – बेटा, मैं तुमसे बहुत ख़ुश हूं। तुम जो कर सकते थे, तुमने किया, अब देखना मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं।

यह वाक्य कहते-कहते पिता की आँखों से आंसू बह रहे थे और बीथोवन सोच रहे थे, क्या वे ज़िंदगी में फिर कभी पिता का इतना अच्छा रुप देख सकेंगे?

प्रेमिका के लिए पियानो

Beethoven

बीथोवन बड़े अंतर्मुखी तबियत के इंसान थे। उनका प्रेम भी इकतरफ़ा रहा। उनकी प्रेमिका कौन थी, यह रहस्य लंबे समय तक बना रहा। 1827 में उनकी मृत्यु के डेढ़ सौ साल बाद 1977 में प्रेमिका के रहस्य पर से पर्दा हटा।

एंथनी ब्रेंतानो नामक यह युवती बीथोवन से दस साल छोटी थी। 18 वर्ष की उम्र में उसका ब्याह फ्रेंकफ़र्ट के व्यापारी फ्रैंज ब्रेंतानोसे हुआ और वह उन्हीं के साथ फ्रेंकफ़र्ट में रहने लगी। उनका वैवाहिक जीवन ख़ास सफल नहीं था। उनके चार बच्चे थे। जब 1810 में एंथनी के पिता बीमार हुए तो वे उन्हीं के साथ रहने के लिए बच्चों समेत विएना चली आई। वहीं उनकी ननद ने बीथोवन से एंथनी का परिचय कराया। जल्द ही दोनों की दोस्ती हो गई।

एंथनी ब्रेंतानो अक्सर बीमार रहा करती थी। बीथोवन उसके पास बैठकर पियानो बजाते थे। 1872 में जब एंथनी ब्रेंतानो लौटकर विएना जाने लगी और बीथोवन को लगा कि अब उनकी मुलाक़ात फिर हो न हो, तब बिछोह की धुन को उन्होंने पियानो पर नहीं बजाया, बल्कि कागज़ पर उतारा। ये तीन प्रेम पत्र चौबीस घंटों के अंतराल में लिखे गए थे।

संदर्भ – जॉन सुचेत की किताब ‘द आर्ट मास्टर’ और वेबसाइट पर उपलब्ध सामग्री।

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की यह Article आपको पसंद आया होगा। अगर आपको ये Article पसंद आया हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ इसे जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

Leave a Reply

0

Subtotal