स्टीव जॉब्स का जादू
यह सबकुछ महज एक शख्स से जुड़ा है… यकीनन वह इंसान अद्भुत तो होगा ही। ये हैं – स्टीव जॉब्स, जो अब संसार में मौजूद नहीं हैं, लेकिन वे एक कलाकार थे और कला कभी नहीं मरती। कम्प्यूटर और संगीत की दुनिया स्टीव जॉब्स ने जिस तरह बदली, उसके लिए वे आधुनिक सोच वाले संसार में सदैव याद रखे जाएंगे। वैसे, इसके अलावा भी कुछ है, जो स्टीव जॉब्स को बहुत-बहुत खास बनाता है। यह है उनकी ‘जीवन-द्रष्टि।’
स्टीव जॉब्स के लिए किसी का मूर्ख होना बुरी बात नहीं थी। वे मानते थे कि मूर्ख व्यक्ति ही जिज्ञासु हो सकता है। उसमें भूख होनी चाहिए। कुछ जानने की, कुछ सीखने की भूख। तकनीक की दुनिया का ये सितारा तड़क-भड़क से भरे संसार में किसी भिक्षु की तरह सादगी के साथ मौजूद रहता था और मानता था कि मौत ज़िंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है।
चलो, जानते है ‘टेक जीनियस’ स्टीव जॉब्स के बारे में
जन्म
बात अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को की है। 24 फरवरी, 1955 की रात मध्यमवर्गीय निःसंतान पति-पत्नी पॉल व क्लारा जॉब्स सोने की तैयारी में थे। तभी टेलीफोन की घंटी बजी। फोन एक अस्पताल से था, जहां उन्होंने बच्चा गोद लेने की अर्जी लगा रखी थी। वहां एक अनब्याही लड़की योआन शीबल माँ बनी थी और उसने लड़के को जन्म दिया था। जॉब्स दंपति बच्चा लेने अस्पताल जा पहुंचे।
योआन कॉलेज छात्रा थी और बच्चे का पिता उसका सहपाठी अब्दुलफतह जांडाली था, जो सीरिया छोड़कर अमेरिका आ बसा था। योआन व अब्दुलफतह शादी नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि योआन के पिता अपनी बेटी का जीवन एक अरब के साथ बांधने को तैयार नहीं थे। मजबूरन, एक बिनब्याही माँ को अपनी संतान किसी को गोद देनी पड़ रही थी, लेकिन उसकी शर्त थी कि वह उसी पति-पत्नी को अपनी संतान सौंपेगी जो कम-से-कम स्नातक हों।
पॉल व क्लारा जब अस्पताल पहुंचे तो शर्त सुनकर परेशान हो गए। दोनों ही स्नातक नहीं थे। योआन ने बच्चा देने से मना कर दिया। हालांकि, कुछ महीनों बाद वह तब जाकर मानी, जब जॉब्स दंपति ने वादा किया कि वे बच्चे को कॉलेज जरुर भेजेंगे। स्टीव के बड़ा होने पर जॉब्स दंपति ने जैसे-तैसे फीस जुटाई और वादा पूरा किया, पर उनके गोद लिए बेटे को कॉलेज रास नहीं आया।
बचपन
फोटो साभार : मैथ्यू थौवेनिन(Mathieu Thouvenin)
कैलिफोर्निया के लॉस अल्टोस में क्रिस्ट ड्राइव पर स्थित स्टीव जॉब्स का बचपन का पारिवारिक घर, एप्पल कम्प्यूटर का मूल स्थल है। इस घर को 2013 में, लॉस अल्टोस के ऐतिहासिक स्थलों की सूची में शामिल किया गया था।
“बचपन में मैं हमेशा खुद को मानविकी का छात्र मानता था, लेकिन मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स पसंद था… फिर मैंने अपने एक हीरो, पोलारॉइड के एडविन लैंड की कही एक बात पढ़ी, जिसमें उन्होंने मानविकी और विज्ञान के संगम पर खड़े लोगों के महत्त्व के बारे में बताया था, और मैंने तय किया कि मुझे यही करना है।” – स्टीव जॉब्स
पॉल जॉब्स ने कई नौकरियाँ , जिनमें एक मशीनिस्ट के रुप में काम करना, कई अन्य नौकरियाँ, और फिर “मशीनिस्ट के रुप में वापस काम करना” शामिल था। पॉल और क्लारा ने 1957 में जॉब्स की बहन पेट्रीसिया को गोद लिया और 1959 तक परिवार कैलिफ़ोर्निया के माउंटेन व्यू में मोंटा लोमा इलाके में रहने लगा।
पॉल ने अपने बेटे के लिए “यांत्रिकी के प्रति अपने प्रेम को आगे बढ़ाने” के लिए अपने गैरेज में एक वर्कबेंच बनवाया। इस बीच, जॉब्स अपने पिता की शिल्पकला की प्रशंसा करते थे। जॉब्स कहते है, “क्योंकि उन्हें कुछ भी बनाना आता था। अगर हमें किसी कैबिनेट की जरुरत होती, तो वे उसे बना देते थे। जब उन्होंने हमारी बाड़ बनवाई, तो उन्होंने मुझे एक हथौड़ा दिया, ताकि मैं उनके साथ काम कर सकूँ… मुझे कारों की मरम्मत का उतना शौक नहीं था… लेकिन मैं अपने पिता के साथ समय बिताने के लिए उत्सुक रहता था।”
होमस्टेड हाई स्कूल
फोटो साभार : Ancestry.com
जॉब्स की होमस्टेड हाई स्कूल की वार्षिक पुस्तक की तस्वीर, 1972
लॉस अल्टोस स्थित उनके घर की लोकेशन का मतलब था कि जॉब्स पास के होमस्टेड हाई स्कूल में पढ़ पाएँगे, जिसका सिलिकॉन वैली से गहरा नाता था। उन्होंने 1968 के अंत में बिल फर्नांडीज़ के साथ वहाँ अपना पहला साल शुरु किया, जिन्होंने जॉब्स का परिचय स्टीव वोज़्नियाक से कराया और एप्पल के पहले कर्मचारी बने।
न तो जॉब्स और न ही फर्नांडीज़ (जिनके पिता एक वकील थे) इंजीनियरिंग परिवारों से थे और इसलिए उन्होंने जॉन मैककॉलम की इलेक्ट्रॉनिक्स कक्षा में दाखिला लेने का निर्णय किया। जॉब्स ने अपने बाल लंबे कर लिए थे और बढ़ती प्रतिसंस्कृति में शामिल हो गए थे, और विद्रोही युवा अंततः मैककॉलम से भिड़ गए और कक्षा में उनकी रुचि खत्म हो गई।
1970 के दशक के मध्य में जॉब्स में बदलाव आया। बाद में उन्होंने अपने आधिकारिक जीवनी लेखक को बताया कि, “मैंने संगीत बहुत सुनना शुरु कर दिया और विज्ञान व तकनीक के अलावा और भी बहुत कुछ पढ़ना शुरु कर दिया – शेक्सपियर और प्लेटो। मुझे किंग लीयर बहुत पसंद था। जब मैं सीनियर था, तो मेरी एपी इंग्लिश की एक अद्भुत कक्षा थी। मेरे शिक्षक एक ऐसे व्यक्ति थे, जो ‘अर्नेस्ट हेमिंग्वे’ जैसे दिखते थे। वह हममें से कई लोगों को योसेमाइट में स्नोशूइंग के लिए ले गए।”
होमस्टेड हाई में अपने अंतिम दो वर्षों के दौरान, जॉब्स ने दो अलग-अलग रुचियाँ विकसित की : इलेक्ट्रॉनिक्स और साहित्य। ये दोहरी रुचियाँ जॉब्स के सीनियर वर्ष के दौरान विशेष रुप से परिलक्षित हुई, क्योंकि उनके सबसे अच्छे दोस्त वोज़्नियाक और उनकी पहली प्रेमिका, कलात्मक होमस्टेड जूनियर क्रिसैन ब्रेनन थे।
रीड कॉलेज
सितंबर 1972 में, जॉब्स ने पोर्टलैंड, ओरेगॉन स्थित रीड कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने केवल रीड में ही आवेदन करने पर ज़ोर दिया। हालाँकि यह एक महँगा स्कूल था, जिसका खर्च पॉल और क्लारा वहन नहीं कर सकते थे। जॉब्स की जल्द ही रोबर्ट फ्रीडलैंड से दोस्ती हो गई, जो उस समय रीड के छात्र संघ अध्यक्ष थे। रीड में रहते हुए ब्रेनन जॉब्स के साथ जुड़े रहे।
सिर्फ एक सेमेस्टर के बाद, जॉब्स ने अपने माता-पिता को बताए बिना रीड कॉलेज छोड़ दिया। बाद में जॉब्स ने बताया कि ऐसा इसलिए था, क्योंकि वह अपने माता-पिता का पैसा ऐसी शिक्षा पर खर्च नहीं करना चाहते थे, जो उन्हें निरर्थक लगती थी। उन्होंने अपनी कक्षाओं का ऑडिट करके पढ़ाई जारी राखी, जिसमें रॉबर्ट पल्लाडिनो द्वारा पढ़ाया जाने वाला सुलेख(कैलीग्राफी) का एक कोर्स भी शामिल था।
12 जून, 2005 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अपने दीक्षांत भाषण में जॉब्स ने कहा कि, “अगर मैंने कॉलेज में उस एकल सुलेख पाठ्यक्रम(कैलीग्राफी) में कभी भाग नहीं लिया होता, तो मैक में कभी भी कई टाइपफेस या आनुपातिक रुप से स्थान वाले फ़ॉन्ट नहीं होते। उन्होंने कहा कि, इस दौरान वह दोस्तों के छात्रालय के कमरों में ज़मीन पर सोते थे। खाने के पैसे के लिए कोक की बोतलें लौटाते थे और स्थानीय हरे कृष्ण मंदिर में हर हफ़्ते मुक्त भोजन प्राप्त करते थे।
अध्यात्म की खोज में भारत तक
कॉलेज छोड़ने के बाद स्टीव वीडियो गेम बनाने वाली कंपनी ‘अटारी’ से जुड़ गए थे, ताकि पैसा कमा सकें और भारत जाकर अध्यात्म की खोज कर सकें। जॉब्स 1974 के मध्य में भारत आए और आध्यात्मिक शिक्षाओं की खोज में नीम करोली बाबा से मिलने उनके कैंची आश्रम गए। रीड कॉलेज के अपने दोस्त और बाद में एप्पल के कर्मचारी डैनियल कॉटके के साथ जब वे नीम करोली आश्रम पहुँचे, तो वह लगभग वीरान था, क्योंकि सितंबर 1973 में, नीम करोली बाबा का निधन हो गया था। फिर वे, एक सूखी नदी के किनारे लंबी पैदल यात्रा करके हैदाखान बाबाजी के आश्रम पहुँचे।
सात महीने बाद, जॉब्स भारत छोड़कर डैनियल कॉटके से पहले अमेरिका लौट आए। जॉब्स ने अपना रुप बदल लिया था। उनका सिर मुंडा हुआ था और वे पारंपरिक भारतीय परिधान पहनते थे। इस दौरान, जॉब्स ने साइकेडेलिक्स के साथ प्रयोग किया, और बाद में अपने एलएसडी अनुभवों को “अपने जीवन में किए गए दो या तीन सबसे महत्वपूर्ण कामों में से एक” कहा। उन्होंने कुछ समय ऑल वन फ़ार्म में बिताया, जो ओरेगॉन में रोबर्ट फ्रीडलैंड का एक कम्यून था।
इस दौरान, जॉब्स और ब्रेनन दोनों ही ज़ेन गुरु कोबुन चिनो ओटोगावा के माध्यम से ज़ेन बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए। जॉब्स ने अमेरिका के सबसे पुराने सोतो ज़ेन मठ, तस्साजारा ज़ेन माउंटेन सेंटर में लंबे समय तक ध्यान साधना की। उन्होंने जापान के एइहेई-जी में मठवासी निवास लेने पर विचार किया और ज़ेन जापानी व्यंजनों और हसुई कावासे जैसे कलाकारों के प्रति आजीवन प्रशंसा बनाए रखी।
वोजनियाक से दोस्ती ने बदला जीवन
एप्पल के संस्थापक स्टीवन वोजनियाक (बाएं) और स्टीव जॉब्स (दाएं)
स्टीव जब 14 वर्ष के थे, तो उनकी मुलाकात अपने से पांच साल बड़े स्टीवन वोजनियाक से हुई थी। दोनों की रुचि इलेक्ट्रॉनिक्स में थी, सो वे जल्द ही दोस्त बन गए।
1974 में जब स्टीव ने कॉलेज छोड़ा, तो वह नौकरी के साथ-साथ वोजनियाक के होमब्रू कम्प्यूटर क्लब की बैठकों में शामिल होने लगे थे। भारत से लौटने के बाद भी यह सिलसिला जारी रहा। साथ ही स्टीव ने अटारी कंपनी में फिर से नौकरी कर ली थी।
अटारी ने उन्हें ‘ब्रेकआउट’ गेम का सर्किट विकसित करने का जवाबदारी सौंपी। जिसमें सैकड़ों चिप उपयोग होती थी। स्टीव से कहा गया कि बोर्ड से हर एक चिप कम करने के उन्हें 100 डॉलर दिए जायेंगे। स्टीव इसे वोजनियाक के पास ले गए और कहा कि, यह काम करने के जो पैसे मिलेंगे उसे दोनों आधा-आधा बांट लेंगे। वोज़नियाक ने इसकी 50 चिप कम करके ऐसा जटिल सर्किट बना दिया, जिनकी नकल करना संभव नहीं था।
वोज़नियाक के साथ क्लब की बैठकों में स्टीव ने देखा कि उनके दोस्त के बनाए सर्किट बोर्ड में लोगों की खासी दिलचस्पी है। उन्होंने वोजनियाक को सुझाव दिया कि क्यों न सर्किट बोर्ड को बड़े पैमाने पर बनाकर लोगों को बेचा जाए। बस, दोनों ने घर के गैराज में अड्डा जमा लिया और काम करना शुरु कर दिया। और इस तरह 1 अप्रिल, 1976 में ‘एप्पल’ कम्प्यूटर का जन्म हुआ, जिसने जल्द ही पर्सनल कम्प्यूटर की दुनिया में धाक जमा लीं।
सुपरमाइक्रो प्रभाग अभियान का नेतृत्व
1985 में, एप्पल के सह-संस्थापक और सीईओ स्टीव जॉब्स ने सुपरमाईक्रो नामक एक प्रभाग अभियान का नेतृत्व किया, जो मैकिन्टोश और लिसा कम्प्यूटरो के विकास के लिए ज़िम्मेदार था। विश्वविद्यालय परिसरों में ये व्यावसायिक रुप से सफल रहे क्योंकि, जॉब्स ने अपने उत्पादों के के प्रचार के लिए कुछ प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों का व्यक्तिगत रुप से दौरा किया था और Apple University Consortium, जो एक शैक्षणिक कार्यक्रम था, के कारण भी। फरवरी, 1984 तक, संघ ने कम्प्यूटर की बिक्री से $50 मिलियन से अधिक की कमाई कर ली थी।
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा मित्तेरद के सम्मान में सिलिकॉन वैली में आयोजित एक लंच में जॉब्स की मुलाकात रसायन विज्ञान के नोबल पुरस्कार विजेता पॉल बर्ग से हुई। बर्ग, गीली प्रयोगशालाओं के माध्यम से पुनःसंयोजक डीएनए पर शोध करने में लगने वाले समय और खर्च से निराश थे, और उन्होंने सुझाव दिया कि जॉब्स को अपने प्रभाव का उपयोग करके एक “3M कम्प्यूटर” बनाना चाहिए जो उच्च शिक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया हो।
जॉब्स बर्ग के वर्कस्टेशन के विचार से बहुत प्रभावित हुए और 1985 के अंत में, एप्पल में बढ़ती उथल-पुथल के बीच, एक उच्च-शिक्षा कम्प्यूटर कंपनी शुरु करने पर विचार किया। जॉब्स के विभाग ने मैकिन्टोश कम्प्यूटर और मैकिन्टोश ऑफिस सॉफ्टवेयर के उन्नत संस्करण जारी नहीं किए। परिणाम स्वरुप, इसकी बिक्री में भारी गिरावट आई, और एप्पल को लाखों डॉलर की बिना बिकी इन्वेंट्री को बट्टे खाते में डालने के लिए मजबूर होना पड़ा।
एप्पल से इस्तीफा (1985)
1978 में, नेशनल सेमीकंडक्टर से माइक स्कॉट को एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रुप में भर्ती किया गया था। 1983 में जॉब्स ने लालची जॉन स्कली को पेप्सी कोला को छोड़कर एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रुप में ये कह कर काम करने के लिए पूछा कि, “क्या आप अपनी बाकी ज़िंदगी शुगर पानी बेचने में खर्च करना चाहते है, या आप दुनिया को बदलने का एक मौका चाहते है?”
10 और 11 अप्रैल, 1985 को, बोर्ड की बैठक के दौरान, एप्पल के बोर्ड निदेशकों ने जॉन स्कली के कहने पर जॉब्स को अध्यक्ष पद को छोड़कर, उसकी सभी भूमिकाओं से हटा ने का अधिकार दे दिया। परंतु जॉन ने यह फ़ैसला कुछ देर के लिए रोक दिया। 24 मई, 1985 के दिन मामले को हल करने के लिए एक बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक में जॉब्स को मैकिन्टोश प्रभाग के प्रमुख के रुप में और उसके प्रबंधकीय कर्तव्यों से हटा दिया गया और उनकी जगह जीन-लुई गैसी को नियुक्त किया।
उसी वर्ष बाद में, जॉब्स ने अपनी कंपनी पर नियंत्रण पाने के लिए सत्ता संघर्ष शुरु कर दिया। निदेशक मंडल ने स्कली का पक्ष लिया और जॉब्स ने एप्पल की और से पश्चिमी यूरोप और सोवियत संघ की एक व्यावसायिक यात्रा की। सितंबर 1985 में, कई महीनों तक दरकिनार रहने के बाद, जॉब्स ने एप्पल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बोर्ड को बताया कि वह एक नई कम्प्यूटर कंपनी स्थापित करने के लिए जा रहे हैं, और वह सुपरमाइक्रो डिवीज़न से कई एप्पल कर्मचारियों को अपने साथ ले जायेंगे, लेकिन उन्होंने यह भी वादा किया कि उनकी नई कंपनी एप्पल के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करेगी और मैकिन्टोश ब्रांड के तहत उन्हें अपने डिज़ाइनों का लाइसेंस देने पर भी विचार कर सकती है।
पत्नी लॉरेन पॉवेल से मुलाकात
साल 1989 में स्टीव का स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए छात्रों के लिए गेस्ट लेक्चर था। वहां उनकी नज़र पहली पंक्ति में बैठी लॉरेन पॉवेल नामक लड़की पर अटक गई। लेक्चर के बाद उनकी जरुरी मीटिंग थी। यूनिवर्सिटी से निकलने के लिए स्टीव कार स्टार्ट करने वाले थे कि उन्होंने इरादा बदल लिया। वे दौड़कर लॉरेन के पास गए और पूछा कि क्या वे उनके साथ डिनर पर चलेंगी। लॉरेन ने हां कर दी।
इस पहली मुलाकात के 18 महीने बाद दोनों ने मार्च 1991 में शादी कर ली। स्टीव के तीन बच्चे हैं -34 साल का रीड, 30 साल की एरिन और 27 साल की ईवा।
नेक्स्ट कम्प्यूटर (1985-1997)
नेक्स्ट कम्प्यूटर 1990
1985 में एप्पल से इस्तीफा देने के बाद, जॉब्स ने 7 मिलियन डॉलर से नेक्स्ट इंक. की स्थापना की। एक साल बाद, उनके पास पैसे खत्म होने लगे और उन्होंने उद्यम पूंजी की तलाश शुरु कर दी, क्योंकि उनके पास कोई उत्पाद नहीं था। आखिरकार, जॉब्स ने अरबपति रॉस पेरोट का ध्यान आकर्षित किया, जिन्होंने कंपनी में भारी निवेश किया।
नेक्स्ट कम्प्यूटर को दुनिया के सामने जॉब्स की वापसी के एक कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया। एक भव्य, केवल-निमंत्रण समारोह, जिसे एक मल्टीमीडिया भव्य आयोजन बताया गया। यह समारोह बुधवार, 12 अक्टूबर, 1988 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया के लुईस एम. डेविस सिम्फनी हॉल में आयोजित किया गया था। स्टीव वॉजनियाक ने 2013 के एक साक्षात्कार में कहा था कि, जब जॉब्स नेक्स्ट में थे, तब वह “वास्तव में अपने विचारों को व्यवस्थित कर रहे थे।”
पिक्सर और डिज़्नी
1986 में, जॉब्स ने लुकासफिल्म के कम्प्यूटर ग्राफ़िक्स विभाग से द ग्राफ़िक्स ग्रुप (जिसका नाम बाद में ‘पिक्सर’ रखा गया) के अलग होने के लिए 10 मिलियन डॉलर की धनराशि प्रदान की, जिसमें 5 मिलियन डॉलर कंपनी को पूँजी के रुप में और 5 मिलियन डॉलर लुकासफिल्म को तकनीकी अधिकारों के लिए दिए गए।
जॉब्स और उसकी टीम ने 1998 में ओवल ऑफिस का दौरा किया। पिक्सर द्वारा डिज़्नी के साथ मिलकर निर्मित पहली फिल्म टॉय स्टोरी (1995), जिसके कार्यकारी निर्माता स्टीव जॉब्स थे। टॉय स्टोरी के रिलीज़ होने पर स्टूडियो को वित्तीय सफलता और आलोचनात्मक प्रशंसा दिलाई। जॉब्स के जीवनकाल में, पिक्सर के क्रिएटिव प्रमुख जॉन लैसेटर के नेतृत्व में, कंपनी ने बॉक्स-ऑफिस पर हिट फिल्में – ए बग्स लाइफ (1998), टॉय स्टोरी 2 (1999), मॉन्स्टर्स इंक. (2001), फाइंडिंग नीमो (2003), द इनक्रेडिबल्स (2004), कार्स (2006), रैटटौइल (2007), वॉल-ई (2008), अप (2009), टॉय स्टोरी 3 (2010) और कार्स 2 (2011) का निर्माण किया। जॉब्स की मृत्यु के बाद पिक्सर द्वारा निर्मित पहली फिल्म ब्रेव (2012) ने स्टूडियो में उनके योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि दी। फाइंडिंग नीमो, द इनक्रेडिबल्स, रैटटौइल, वॉल-ई, अप, टॉय स्टोरी 3 और ब्रेव, प्रत्येक को सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड फीचर के लिए अकादमी पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार 2001 में शुरु किया गया था।
2003 और 2004 में, जब पिक्सर का डिज़्नी के साथ अनुबंध समाप्त हो रहा था। जॉब्स और डिज़्नी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माइकल आइजनर ने एक नई साझेदारी पर बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। जनवरी 2004 में, जॉब्स ने घोषणा की कि वह डिज़्नी के साथ फिर कभी कोई करार नहीं करेंगे।
डिज़्नी की पिक्सर को खरीदने की सहमति
अक्टूबर 2005 में, बॉब आइगर ने डिज़्नी में माइकल आइजनर की जगह ली, और आइगर ने जॉब्स और पिक्सर के साथ सबंधों को सुधारने के लिए तुरंत काम किया। 24 जनवरी, 2006 को, जॉब्स और आइगर ने घोषणा की कि डिज़्नी ने 7.4 बिलियन डॉलर मूल्य के एक पूर्ण-शेयर लेनदेन में पिक्सर को खरीदने पर सहमति व्यक्त की है। जब करार पूरा हुआ, तो जॉब्स वोल्ट डिज़्नी कंपनी के लगभग 7% शेयरों के साथ कंपनी के सबसे बड़े एकल शरधारक बन गए।
डिज़्नी में जॉब्स की हिस्सेदारी आइजनर से कहीं ज़्यादा थी, जिनके पास 1.7% हिस्सेदारी थी, और डिज़्नी परिवार के सदस्य रॉय ई. डिज़्नी से भी ज़्यादा, जिनके पास 2009 में अपनी मृत्यु तक कंपनी के लगभग 1% शेयर थे। आइजनर की आलोचनाओं – खासकर पिक्सर के साथ डिज़्नी के रिश्ते खराब करने की आलोचनाओं ने आइजनर को पद से हटाने में तेज़ी ला दी। विलय पूरा होने पर, जॉब्स को डिज़्नी के 7% शेयर मिले, और वे निदेशक मंडल में सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक के रुप में शामिल हो गए। जॉब्स की मृत्यु के बाद, डिज़्नी में उनके शेयर लॉरेन जॉब्स के नेतृत्व वाले स्टीवन पी. जॉब्स ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दिए गए।
एप्पल में वापसी (1997-2011)
एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति का पूर्ण-लंबाई वाला चित्र, जो जींस और काली टर्टलनेक शर्ट पहने हुए, सफेद ‘एप्पल लोगो’ वाले एक काले पर्दे के सामने खड़ा है। जॉब्स ने 2005 में मैकवर्ल्ड कॉन्फ्रेंस एंड एक्सपो में प्रस्तुति दी।
1996 में जॉब्स की पूर्व कंपनी एप्पल संघर्ष कर रही थी और उसका अस्तित्व उसके अगले ऑपरेटिंग सिस्टम को पूरा करने पर निर्भर था। बी इंक. को खरीदने के लिए असफल वार्ता के बाद, एप्पल ने अंततः दिसंबर में नेक्स्ट के साथ 400 मिलियन डॉलर में एक करार किया। यह करार को फरवरी 1997 में अंतिम रुप दिया गया, जिससे जॉब्स उस कंपनी में वापस आ गए, जिसकी उन्होंने सह-स्थापना की थी।
जुलाई 1997 में, तत्कालीन सीईओ गिल अमेलियो को पद से हटाए जाने के बाद, जॉब्स वास्तविक प्रमुख बन गए। उन्हें औपचारिक रुप से 16 सितम्बर को अंतरिम मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया। मार्च 1998 में, एप्पल को लाभप्रदता की ओर वापस लाने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, जॉब्स ने न्यूटन, साइबरडॉग और ओपनडॉक जैसी कई परियोजनाओं को बंध कर दिया। आने वाले महीनों में, कई कर्मचारियों को लिफ्ट में सवार होते समय जॉब्स से मिलने का डर सताने लगा। “उन्हें डर था कि दरवाज़ा खुलने पर शायद उनकी नौकरी न बचे। हकीकत यह थी कि जॉब्स द्वारा की गई सजाएँ दुर्लभ थीं, लेकिन मुठ्ठी भर पीड़ित पूरी कंपनी को आतंकित करने के लिए पर्याप्त थे।” जॉब्स ने मैकिन्टोश क्लोन के लिए लाइसेंसिंग कार्यक्रम में बदलाव किया, जिससे निर्माताओं के लिए मशीनें बनाना जारी रखना बहुत महंगा हो गया।
2011 के वो दिन जब…
- ऑस्ट्रेलिया में लाखों लोग चार दिन तक टस से मस हुए बिना, कतार में खड़े रहे, क्योंकि उन्हें आईफोन-एस खरीदना था।
- एप्पल कंपनी को आईफोन-एस खरीदने के लिए दस लाख ऑनलाइन ऑर्डर मिले।
- टोक्यो के रयोसुके इशीनेबे पूरे जीवन में कभी कतार में नहीं खड़े रहे, लेकिन एक शख्स को श्रद्धांजलि देने का जज्बा उन्हें ऐसा करने को मजबूर कर पाया।
स्टीव जॉब्स का स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक वक्तव्य
सदैव शाकाहारी रहे स्टीव जॉब्स ने 12 जून, 2005 को ‘स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय’ के दीक्षांत समारोह में एक वक्तव्य दिया था। जिन्होंने इसे सुना या पढ़ा है, वो समझते हैं की यह तकनीकी गुरु का वक्तव्य नहीं, बल्कि किसी संत के प्रवचन का हिस्सा है।
फोटो साभार : स्टेनफोर्ड रिपोर्ट
स्टीव जॉब्स :12 जून, 2005 को ‘स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय’ के दीक्षांत समारोह में ऐतिहासिक वक्तव्य देते हुए
स्वास्थ्य समस्याएँ
2003
अक्टूबर 2003 में, जॉब्स को कैंसर का पता चला। 2004 के मध्य में, उन्होंने अपने कर्मचारियों को बताया कि उनके अग्न्याशय में एक कैंसरयुक्त ट्यूमर है। अग्न्याशय के कैंसर का पूर्वानुमान बहुत खराब है। हालांकि, जॉब्स ने बताया कि उन्हें एक दुर्लभ, कम आक्रामक प्रकार का कैंसर है, जिसे आइलेट सेल न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के रुप में जाना जाता है।
2006
जनवरी 2006 में, केवल जॉब्स की पत्नी, उनके डॉक्टर और आइगर को ही पता था कि उनका कैंसर वापस आ गया है। जॉब्स ने आइगर को निजी तौर पर बताया कि उन्हें उम्मीद है कि वे 2010 में अपने बेटे रीड के हाई स्कूल ग्रेजुएशन तक जीवित रहेंगे।
अगस्त 2006 की शुरुआत में, जॉब्स ने एप्पल के वार्षिक वर्ल्डवाइड डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में मुख्य भाषण दिया। उनका लगभग दुबला-पतला रुप और असामान्य रुप से “सुस्त” भाषण, और साथ ही अपने मुख्य भाषण के महत्वपूर्ण हिस्से को अन्य प्रस्तुतकर्ताओं को सौंपने के उनके निर्णय ने उनके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में मीडिया और इंटरनेट पर अटकलों का बाजार गर्म कर दिया। इसके विपरीत, आर्स टेक्निका जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ल्डवाइड डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस (WWC) में उपस्थित लोगों ने, जिन्होंने जॉब्स को व्यक्तिगत रुप से देखा, कहा कि वे “ठीक दिख रहे थे।” मुख्य भाषण के बाद, एप्पल के एक प्रवक्ता ने कहा कि “स्टीव का स्वास्थ्य अच्छा है।”
2008
16 दिसंबर, 2008 को एप्पल ने घोषणा की कि, मार्केटिंग उपाध्यक्ष फिल शिलर मैकवर्ल्ड कॉन्फ्रेंस और एक्सपो 2009 में कंपनी का अंतिम भाषण देंगे, जिससे जॉब्स के स्वास्थ्य को लेकर फिर से सवाल उठने लगे। 5 जनवरी, 2009 को apple.com पर दिए गए एक बयान में जॉब्स ने कहा कि, वह कई महीनों से “हार्मोन असंतुलन” से पीड़ित थे।
2009
14 जनवरी, 2009 को जॉब्स ने एप्पल के एक आतंरिक ज्ञापन में लिखा कि, “पिछले हफ़्ते मुझे पता चला कि मेरी स्वास्थ्य सबंधी समस्याएँ मेरे शुरुआती अनुमान से कहीं ज़्यादा हैं।” उन्होंने अपने स्वास्थ्य पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने के लिए जून, 2009 के अंत तक छह महीने की छुट्टी की घोषणा की। टिम कुक, जो पहले 2004 में जॉब्स की अनुपस्थिति में सीईओ के रुप में कार्यरत थे, एप्पल के कार्यवाहक सीईओ बन गए और जॉब्स अभी भी प्रमुख रणनीतिक निर्णयों में शामिल थे।
2009 में, टिम कुक ने जॉब्स को अपने लीवर का एक हिस्सा देने की पेशकश की, क्योंकि दोनों का रक्त समूह दुर्लभ है, और दानकर्ता का लीवर ऐसे ऑपरेशन के बाद ऊतक पुनर्जीवित कर सकता है। जॉब्स चिल्लाए, “मैं तुम्हें ऐसा कभी नहीं करने दूँगा। मैं ऐसा कभी नहीं करुँगा।” अप्रैल 2009 में, जॉब्स ने टेनेसी के मेम्फिस स्थित मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट में लीवर प्रत्यारोपण करवाया। जॉब्स के रोग का निदान “उत्कृष्ट” बताया गया।
एप्पल के सीईओ पद से इस्तीफ़ा
लीवर ट्रांसप्लांट के बाद, जॉब्स के काम पर लौटने के डेढ़ साल बाद, 17 जनवरी, 2011 को, एप्पल ने घोषणा की कि, उन्हें एक और अनुपस्थिति अवकाश दिया गया है। जॉब्स ने कर्मचारियों को लिखे एक पत्र में अपनी छुट्टी की घोषणा करते हुए कहा कि, उन्होंने यह निर्णय अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लिया है। 2009 में उनके चिकित्सा अवकाश के समय की तरह, एप्पल ने घोषणा की कि, टिम कुक दैनिक कार्यों का संचालन करेंगे और जॉब्स कंपनी के प्रमुख रणनीतिक निर्णयों में शामिल होते रहेंगे। छुट्टी पर रहते हुए, जॉब्स 2 मार्च को iPad 2 के लॉन्च कार्यक्रम में, 6 जून को iCloud के परिचय के लिए WWDC के मुख्य भाषण में और 7 जून को क्यूपर्टिनो नगर परिषद के समक्ष उपस्थित हुए।
24 अगस्त 2011 को, जॉब्स ने एप्पल के सीईओ के रुप में अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने बोर्ड को लिखा, “मैंने हमेंशा कहा है कि अगर कभी ऐसा दिन आया, जब मैं एप्पल के सीईओ के रुप में अपने कर्तव्यों और अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सका, तो मैं सबसे पहले आपको बताऊंगा। दुर्भाग्य से, वह दिन आ गया है।” जॉब्स बोर्ड के अध्यक्ष बने और टिम कुक को सीईओ के रुप में अपना उत्तराधिकारी नामित किया। जॉब्स ने छह सप्ताह बाद अपनी मृत्यु से एक दिन पहले तक एप्पल के लिए काम करना जारी रखा।
निधन

फोटो साभार : विकिपीडिया
जॉब्स के निधन की शाम को एप्पल इनफिनिट लूप परिसर के बाहर झंडे आधे झुके हुए थे।
स्टीव जॉब्स का 5 अक्टूबर, 2011 को कैलिफ़ोर्निया के पालो ऑल्टो स्थित अपने घर पर निधन हो गया। उनके पहले से इलाज किए गए आइलेट-सेल पैंक्रियाटिक न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के फिर से उभरने से उत्पन्न जटिलताओं के कारण उनका निधन हो गया। जिसके परिणामस्वरुप श्वसन गति रुक गई। एक दिन पहले ही वे बेहोश हो गए थे। उनकी पत्नी, बच्चे और बहनें उनके साथ थी।
उनकी बहन, मोना सिम्पसन ने उनके निधन का वर्णन इस प्रकार किया : “स्टीव के अंतिम शब्द, कुछ घंटे पहले एक अक्षर वाले थे, जिन्हें तीन बार दोहराया गया था। यात्रा शुरु करने से पहले, उन्होंने अपनी बहन पैटी को, फिर काफी देर तक अपने बच्चों को, फिर अपनी जीवन-साथी लॉरेन को और फिर उनके कंधो के ऊपर से उन्हें देखा। स्टीव के अंतिम शब्द थे : “ओह वाह! ओह वाह! ओह वाह!” इसके बाद वे बेहोश हो गए और कई घंटे बाद उनका निधन हो गया।
जॉब्स के निधन की शाम को एप्पल इनफिनिट लूप परिसर के बाहर झंडे आधे झुके हुए थे। 7 अक्टूबर, 2011 को एक छोटा निजी अंतिम संस्कार किया गया, जिसका विवरण जॉब्स के परिवार के सम्मान के कारण सार्वजनिक नहीं किया गया।
निजी जीवन की रोचक बातें
- स्टीव के पैदा होने के दस महीने बाद उनके असली माँ-बाप योआन व अब्दुलफतह ने शादी कर ली। अब्दुलफतह बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ नेवादा में अध्यापक हो गए। वहीं, योआन ने स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट की नौकरी कर ली।
- शादी के बाद अब्दुलफतह और योआन के यहां मोना ने जन्म लिया। मोना दस साल की थी, तो दोनों में तलाक हो गया। युआन ने दूसरी शादी कर ली। मोना लेखिका हैं। स्टीव जब 27 साल के थे, तो उन्होंने मोना को खोज निकाला। 1987 में मोना के पहले उपन्यास ‘एनीवेयर बट हियर’ के लोकार्पण पर स्टीव भी आमंत्रित थे।
- अपनी माँ से तो स्टीव कई बार मिले, पर उन्होंने कभी अपने पिता से मिलने की कोशिश नहीं की।
- स्टीव जब 23 साल के थे, तो उनकी प्रेमिका एवं चित्रकार क्रिस-एन-ब्रेनन ने बेटी को जन्म दिया। स्टीव ने यह कहकर बेटी को अपनाने से मना कर दिया कि लीजा उनकी बेटी नहीं है। मजे की बात यह है कि, जब वे लीजा को बेटी मानने से मना कर रहे थे, उन दिनों वे जो कम्प्यूटर बना रहे थे, उसका नाम उन्होंने ‘लिसा’ रखा था। हालांकि, स्टीव ने बाद में लिसा को अपना लिया था।
नई खोज और डिज़ाइन
Apple 1
फोटो साभार : गार्डियन
Apple 1
Apple 1 को पूरी तरह से वोज़्नियाक ने डिज़ाइन किया था, लेकिन जॉब्स के मन में इस कंप्यूटर को बेचने का विचार आया, जिसके परिणामस्वरुप 1976 में Apple कम्प्यूटर की स्थापना हुई।
जॉब्स और वोज़्नियाक ने Apple 1 के कई प्रोटोटाइप हाथ से बनाए, जिसके लिए उन्होंने अपनी कुछ संपत्ति बेचकर धन जुटाया। अंततः, 200 इकाइयाँ तैयार की गई। Apple 1 के मुख्य नवाचारों में से एक यह था कि, इसके सर्किट बोर्ड पर वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल सर्किटरी शामिल थी, जिससे इसे उस समय के अधिकांश मौजूदा कम्प्यूटरों की तुलना में, महंगे कम्प्यूटर टर्मिनल के बजाय, कम लागत वाले कम्पोजिट वीडियो मॉनिटर या टेलीविज़न से जोड़ा जा सकता था।
Apple 2
Apple 2
यहाँ एक बाहरी मॉडेम के साथ, Apple 2 को मुख्य रुप से स्टीव वोज़्नियाक ने डिज़ाइन किया था। Apple 2 एक 8-बिट होम कम्प्यूटर है, जो दुनिया के पहले अत्यधिक सफल बड़े पैमाने पर उत्पादित माइक्रोकम्प्यूटर उत्पादों में से एक है।
जॉब्स ने Apple 2 के अनोखे केस के विकास की देखरेख की और रॉड होल्ट ने अनोखी पावर सप्लाई विकसित की। इसे 1977 में वेस्ट कोस्ट कम्प्यूटर फेयर में जॉब्स और वोज़्नियाक ने Apple द्वारा बेचे गए पहले उपभोक्ता उत्पाद के रुप में पेश किया था। Apple 2 पहली बार 10 जून, 1977 को बेचा गया था।
लिसा
फोटो साभार : मैक स्टोरीज
लिसा
लिसा एक पर्सनल कम्प्यूटर है, जिसे एप्पल ने 1978 में विकसित किया था और 1980 के दशक के शुरुआती वर्षों में व्यावसायिक उपयोगकर्ताओं को बेचा था। यह ग्राफ़िकल यूजर इंटरफ़ेस वाला पहला पर्सनल कंप्यूटर है। लिसा की बिक्री 1,00,000 इकाइयों के साथ कम रही, लेकिन व्यावसायिक रुप से असफल माने जाने के बावजूद, इसे तकनीकी रुप से प्रशंसा मिली।
लिसा में कई उन्नत सुविधाएँ शामिल की गई, जो मैकिन्टोश और अंततः आईबीएम पीसी कम्पैटिबल्स में फिर से दिखाई दीं। 1982 में, जब जॉब्स को लिसा परियोजना से बाहर कर दिया गया, तो उन्होंने लिसा से प्रेरणा लेते हुए, मैकिन्टोश परियोजना को अपने हाथ में ले लिया। अंतिम लिसा 2/10 को संशोधित किया गया और मैकिन्टोश एक्सएल के रुप में बेचा गया।
मैकिन्टोश
फोटो साभार : विकिपीडिया
मैकिन्टोश
मैकिन्टोश टीम में शामिल होने के बाद, वोज़्नियाक के दर्दनाक हवाई जहाज दुर्घटना का शिकार होने और कंपनी को अस्थायी रुप से छोड़ने के बाद, जॉब्स ने इस परियोजना की कमान संभाली। जॉब्स ने 24 जनवरी, 1984 को मैकिन्टोश को पहले व्यापक रुप से बाज़ार में उपलब्ध पर्सनल कम्प्यूटर के रुप में लॉन्च किया, जिसमें एक एकीकृत ग्राफ़िकल यूजर इंटरफ़ेस और माउस था।
1998 से, Apple ने “मैक” के पक्ष में मैकिन्टोश नाम को धीरे-धीरे हटा दिया है। हालाँकि, मैकिन्टोश महंगा था। मैकिन्टोश सिस्टम को अभी भी शिक्षा और डेस्कटॉप प्रकाशन में सफलता मिली और अगले दशक के लिए एप्पल को दूसरा सबसे बड़ा पीसी निर्माता बना दिया।
iMac
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iMac
मूल iMac को 1998 में जॉब्स की वापसी के बाद पहला उपभोक्ता-केंद्रित एप्पल उत्पाद के रुप में पेश किया गया था। Apple का iMac G3 1998 में पेश किया गया था और इसका अभिनव डिज़ाइन सीधे तौर पर जॉब्स की एप्पल में वासपी का परिणाम है।
1999 में, एप्पल ने ग्रेफाइट ग्रे Apple iMac पेश किया और तब से ऑल-इन-वन डिज़ाइन को बनाए रखते हुए इसके रंग और आकार में काफी बदलाव किया है। डिज़ाइन के विचारों का उद्देश्य, उपयोगकर्ता के साथ जुड़ाव बनाना था, जैसे कि हैंडल और कम्प्यूटर के स्लिप मोड में जाने पर “ब्रीदिंग” लाइट इफ़ेक्ट। iMac के दूरदर्शी बदलावों में फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का उपयोग बंध करना और बाह्य उपकरणों को जोड़ने के लिए विशेष रुप से USB का उपयोग करना शामिल है। iMac की सफलता के ज़रिये, USB को तृतीय-पक्ष बाह्य उपकरणों के निर्माताओं के बीच लोकप्रियता मिली।
iTunes
फोटो साभार : 1000logos
iTunes
आईट्यून्स, एप्पल द्वारा विकसित एक मीडिया प्लेयर, मिडीया लाइब्रेरी, ऑनलाइन रेडियो ब्रॉडकास्ट और मोबाइल डिवाइस प्रबंधन एप्लिकेशन है। इसका उपयोग mac0S और Microsoft Windows ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले पर्सनल कंप्यूटर पर डिजिटल ऑडिओ और वीडियो चलाने, डाउनलोड करने और व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है। आइट्यून्स स्टोर, iPod Touch, iPhone और iPad पर भी उपलब्ध है।
आईट्यून्स स्टोर के माध्यम से उपयोगकर्ता संगीत, संगीत वीडियो, टेलीविज़न शो, ऑडियोबुक, पॉडकास्ट, फिल्में और कुछ देशों में मूवी रेंटल, और iPhone और iPad Touch (चौथी पीढ़ी के बाद) पर उपलब्थ रिंगटोन खरीद और डाउनलोड कर सकते हैं। iPhone, iPad और iPod Touch के लिए एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
iPod
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iPod
आईपॉड की पहली पीढ़ी 23 अक्टूबर, 2001 को जारी की गई थी। आईपॉड का प्रमुख नवाचार इसका छोटा आकार था, जो उस समय प्लेयर्स में उपयोग होने वाले 2.5 इंच ड्राइव की तुलना में 1.8 इंच हाई ड्राइव के उपयोग से प्राप्त हुआ था। पहली पीढ़ी के आईपॉड की क्षमता 5 जीबी से 10 जीबी तक थी।
आईपॉड की कीमत 399 अमेरिकी डॉलर थी और 2001 के अंत तक 1,00,000 से ज़्यादा आईपॉड बिक चुके थे। आईपॉड के कारण एप्पल संगीत उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया। इसके अलावा, आईपॉड की सफलता ने आईट्यून्स म्यूज़िक स्टोर और आईफोन के लिए रास्ता तैयार किया। आईपॉड की पहली कुछ पीढ़ियों के बाद, एप्पल ने टचस्क्रीन आईपॉड टच, कम आकार के आईपॉड मिनी और आईपॉड नैनो और बाद के वर्षों में स्क्रीनलेस आईपॉड शफल जारी किये किए।
iPhone
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iPhone
एप्पल ने 2005 में पहले iPhone पर काम शुरु किया और पहला iPhone 29 जून, 2007 को रिलीज़ हुआ। iPhone ने इतनी धूम मचाई कि एक सर्वेक्षण से पता चला कि दस में से छह अमेरिकियों को इसके रिलीज़ होने की जानकारी थी। ‘टाइम मैगज़ीन” ने इसे 2007 का “वर्ष का आविष्कार” घोषित किया और 2010 में इसे संचार श्रेणी में ऑल-टाइम 100 गैजेट्स की सूची में शामिल किया। तैयार iPhone में मल्टीमीडिया क्षमताएँ थीं और यह क्वाड-बैंड टच स्क्रीन स्मार्टफोन की तरह काम करता था
एक साल बाद, जुलाई 2008 में iPhone 3G को तीन प्रमुख विशेषताओं के साथ रिलीज़ किया गया : GPS, 3G डेटा और ट्राई-बैंड UMTS/HSDPA के लिए समर्थन। जून 2009 में, iPhone 3GS, जिसके सुधारों में ध्वनि नियंत्रण, बेहतर कैमरा और तेज़ प्रोसेसर शामिल थे, जिसे फिल शिलर द्वारा पेश किया गया था। iPhone 4 पिछले मॉडल की तुलना में पतला था। इसमें पांच मेगापिक्सेल कैमरा था, जो 720p एचडी में वीडियो रिकॉर्ड करने में सक्षम था और वीडियो कॉल के लिए एक फ्रंट-फेसिंग कैमरा जोड़ा गया था। अक्टूबर 2011 में पेश किए गए iPhone 4s की एक प्रमुख विशेषता सिरी थी, जो आवाज पहचानने में सक्षम एक आभासी सहायक था।
iPad
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iPad
आईपैड, एप्पल द्वारा डिज़ाइन और विपणन किया गया एक आईओएस(iOS) आधारित टैबलेट कम्प्यूटर है। पहला आईपैड 3 अप्रैल, 2010 में स्टीव जॉब्स ने पेश किया था।
आईपैड का यूजर इंटरफ़ेस डिवाइस की मल्टी-टच स्क्रीन पर आधारित है, जिसमें एक वर्चुअल कीबॉर्ड भी शामिल है। आईपैड में चुनिंदा मॉडलों में बिल्ट-इन वाई-फाई और सेलुलर कनेक्टिविटी शामिल है। अगस्त 2025 तक, 750 मिलियन (75 करोड़) से ज़्यादा आईपैड बिक चुके हैं।
अंतमें…
जॉब्स के बारे में यह जानना भी प्रेरणादायक है कि वे जोरदार जिद्दी थे, यानी ऐसे जुनूनी इंसान, जिसके लिए करो या मरो सूत्रवाक्य सबकुछ था। एक बार जो थान ली, फिर किसी की नहीं सुनी।
एक तरफ कैंसर जैसा शत्रु, दूसरी ओर लगातार तकनीकी संधान और विकास में जुटे स्टीव… जीवन के लिए जिद, मौत की सच्चाई को स्वीकार करने का साहस और इनके तुलनात्मक अध्ययन से संसार को अनमोल सौगातें देना… सचमें, स्टीव जॉब्स का व्यक्तित्व महज एक व्यवसायी, तकनीकी गुरु और संघर्षशील व्यक्ति का ही नहीं था। निश्चित्त मृत्यु को पहचानकर भी वे निष्क्रिय नहीं रहे, उन्होंने चिंतन और समझदारी की एक नई इबारत ही लिख डाली है, जो हर शख्स को जरुर पढ़नी चाहिए। हम तभी जान पाएंगे – मौत एक सत्य है और ज़िंदगी की नींव इसी सत्य के इर्द-गिर्द रहकर बुननी चाहिए। इमारत ज्यादा खूबसूरत बनेगी।
‘टेक जीनियस’ स्टीव जॉब्स की कुछ प्रसिद्ध तस्वीरें
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1957 – पॉल जॉब्स और उनके छोटे बेटे स्टीव, उम्र 2 वर्ष
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1970 – स्टीव मैककॉलम की इलेक्ट्रॉनिक्स 1 कक्षा में, उम्र 15 वर्ष
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1972 – हाई स्कूल में स्लैब की नौकरी, बिल फर्नांडीज के साथ
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1975 – स्टीव जॉब्स के घर में वोज के साथ, एप्पल 1 कम्प्यूटरो को असेंबल करते हुए
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28 अगस्त, 1976 – पर्सनल कम्प्यूटिंग फेस्टिवल में
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1976 – वोज, जॉब्स और एप्पल 1
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17 अप्रैल, 1977 – वेस्ट कोस्ट कम्प्यूटर फेयर में एप्पल स्टैंड के पास स्टीव जॉब्स
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1977 – स्टीव और वोज एक एप्पल 2 गोदाम में
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1980 – स्टीव जॉब्स एक विज्ञापन अभियान के लिए एप्पल 2 के साथ पोज़ देते हुए
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1983 – स्टीव आईबीएम मुख्यालय में
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1984 – स्टीव मैकिन्टोश टीम के साथ उनके कार्यालय के बाहर पोज़ देते हुए
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1989 – बेटी लिसा के साथ
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1996 – पिक्सर के शीर्ष : एड कैटमुल, स्टीव जॉब्स और जॉन लैसेटर
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20 दिसंबर 1996 – स्टीव जॉब्स एप्पल के सीईओ गिल अमेलियो के साथ एक प्रेस इवेंट में नेक्स्ट अधिग्रहण की घोषणा करते हुए
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7 जनवरी, 1997 को सैन फ्रांसिस्को के मैरियट होटल में मैकवर्ल्ड एक्सपो व्यापार शो में एप्पल के संस्थापक स्टीवन वोजनियाक, स्टीव जॉब्स और एप्पल के सीईओ गिल अमेलियो मुख्य वक्ता थे।
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6 जनवरी, 1998 – स्टीव जॉब्स, पाब्लो पिकासो के ‘थिंक डिफरेंट’ विज्ञापन के सामने, मैकवर्ल्ड एसएफ 1998
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1998 – स्टीव जॉब्स नीले iMac के साथ
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21 जुलाई, 1999 – पहली iBook के प्रस्तुतीकरण के बाद स्टीव जॉब्स, मैकवर्ल्ड न्यूयोर्क 1999
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19 जुलाई, 2000 – स्टीव जॉब्स और एक पावर मैक G4 क्यूब
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21 मई,. 2001 – स्टीव जॉब्स WWDC 2001 में मैक ओएस एक्स का प्रचार करते हुए
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7 जनवरी, 2002 – iMac G4 का परिचय
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16 अक्टूबर, 2003 – विंडोज आईट्यून्स स्टोर का परिचय
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6 जनवरी, 2004 – स्टीव जॉब्स ने आईपॉड मिनी पेश किया
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26 जुलाई, 2004 – न्यूज़वीक के कवर पर
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11 जनवरी, 2005 – स्टीव जॉब्स ने आईपॉड शफल पेश किया
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12 जून, 2005 – स्टीव जॉब्स स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक दीक्षांत भाषण देते हुए
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12 अक्टूबर, 2005 – स्टीव जॉब्स ने आईपॉड वीडियो पेश किया
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24 जनवरी, 2006 – जॉन लैसेटर, स्टीव जॉब्स, बॉब आइगर और एड कैटमुल ने पिक्सर परिसर में पिक्सर-डिज़्नी विलय की घोषणा की
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9 जनवरी, 2007 – iPhone का परिचय, मैकवर्ल्ड

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जॉब्स और बिल गेट्स 2007 में पांचवें डी : ऑल थिंग्स डिजिटल सम्मेलन में एक पैनल में थे।
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15 जनवरी, 2008 – स्टीव जॉब्स ने ‘मैकबुक एयर’ का अनावरण किया
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6 मार्च, 2008 – स्टीव जॉब्स ने iOS ऐप स्टोर की शर्तों का खुलासा किया
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9 सितम्बर, 2009 – स्टीव जॉब्स मुस्कुराते हुए, जब भीड़ उनके लीवर ट्रांसप्लांट के बाद उनकी वापसी पर जयकार कर रही थी
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27 जनवरी, 2010 – iPad के परिचय पर स्टीव जॉब्स
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2 मार्च, 2011 – प्रौद्योगिकी और उदार कला के संगम पर एप्पल, स्टीव जॉब्स का पसंदीदा
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6 जून, 2011 – iCloud परिचय के बाद स्टीव और उनकी पत्नी लॉरेन, उनका अंतिम मुख्य भाषण
इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article में ‘टेक जीनियस’ स्टीव जॉब्स के जीवन की जो जानकारी दी गई है, वह आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी, आपके जीवन में उपयोगी साबित होगी। अगर आपको ये Article उपयोगी हुआ हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !


















































