बरमुडा त्रिकोण
स्थान : 25 से 40 उत्तरी अक्षांश और 55 से 80 पश्चिमी देशांतर रेखाओं के बिच
क्षेत्रफल : 3 लाख 90 हज़ार किमी.
हमारे आधुनिक संचार-साधनों ने सूचित किया है की अटलांटिक सागर के नियामी, प्लूटो रिको और बरमुडा द्वीप के बीच त्रिकोण से गुज़रने वाले जहाज़ों या विमानों को कोई अद्रश्य सामुद्रिक शक्ति अपनी ओर खींच लेती है, फिर उनका पता नहीं चलता।
1964 में ‘आरगोसी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित विसेंट एच. गडिस के एक लेख से जहाज़ों और विमानों के बरमुडा त्रिकोण ( Bermuda Triangle ) में ग़ायब होने की बात प्रकाश में आई। गडिस ने पहली बार ‘बरमुडा ट्रायंगल’ का नाम लिया और बताया की उड़ान फ़्लाइट-19 और अन्य ग़ायब हुए जहाज़ व विमान इसी क्षेत्र की आश्चर्यजनक घटनाओं के एक भाग थे। 2 वर्ष बाद ‘फ़ैट’ नामक पत्रिका में प्रकाशित जार्ज एक्स सेंड के लेख में पुष्टि की गई कि 5 बमवर्षक विमान (फ़्लाइट-19), जो प्रशिक्षण के लिए जा रहे थे, अचानक बरमुडा त्रिकोण से गुज़रते हुए ग़ायब हो गए।
फ़्लाइट-19 की बाद में भी चर्चा हुई, जिसमें कहा गया कि नियंत्रण कक्ष में विमान-चालक को यह कहते हुए सुना गया, ‘हम इस समय सफ़ेद पानी के ऊपर से गुज़र रहे है, कुछ ठीक नहीं लग रहा है, हम यह नहीं जानते कि इस समय हम कहां है, पानी सफ़ेद से हरा हो गया है।’ जार्ज सेंड ने पहली बार कहा कि उड़ान -19 के नष्ट होने में किसी अलौकिक शक्ति का हाथ है।
बरमुडा त्रिकोण से जुड़ी कुछ प्रमुख घटनाएँ
पेट्रियाट : 31 दिसम्बर, 1812
अमेरिका के तत्कालीन उपराष्ट्रपति एरन बर की बेटी थियोडोसिया बर एल्सटन पेट्रियाट नामक विमान से 30 दिसम्बर को दक्षिण कैरोलीना से न्यू जर्सी के लिए निकली थी, लेकिन बीच में ही कहीं हमेशा के लिए ग़ायब हो गई।
मेरी सेलेस्टी : 4-5 दिसम्बर, 1872
इस जहाज़ को ‘भुतहा जहाज़’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जहाज़ पर मौज़ूद सभी सवारियां उस समय लापता थीं, जब यह पुर्तगाल के समुद्री तट पर तैरता हुआ पाया गया। अच्छा मौसम, अनुभवी कर्मचारी होने के बावजूद यह घटना जहाज़ के साथ घटी।
युएसएस साइक्लोप्स : 4 मार्च, 1918
यह एक मालवाहक जहाज़ था, जिसने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी बेड़े को ईंधन की आपूर्ति की थी। यह जहाज़ 16 फ़रवरी, 1918 को रियो से 309 लोगों और प्रभूत मात्रा में माल लेकर बाल्टिमोर के लिए निकला। आश्चर्यजनक रुप से कैप्टन इसे बाल्टिमोर के स्थान पर 3 मार्च को बारबाडोस ले गया। 4 मार्च को जहाज़ जब बारबाडोस से बाल्टिमोर के लिए निकला तब से इसका कोई पता नहीं चला।
फ़्लाइट -19 : 5 दिसम्बर, 1945
बरमुडा त्रिकोण का सबसे चर्चित हादसा 1945 में हुआ। फ़्लाइट-19 में अमेरिकी नौसेना के पांच बम वर्षक विमान फ़्लोरिडा के नौसेना आधार (बेस) से उड़े तो थे पर कभी मंज़िल पर नहीं पहुंचे। ऐसा माना जाता है कि इन ग़ायब हुए विमानों को ढूढ़ने के लिए दो बचाव-यान भेजे गए जिनमें से एक वापस नहीं लौटा। लापता जहाज़ ने दुर्घटना से पहले नियंत्रण कक्ष को सूचित किया, ‘मुझे कोई भी दिशा समझ में नहीं आ रही है और हम एक आकर्षण शक्ति की ओर खिंचे चले जा रहे है…।’ इसके बाद आवाज आनी बंद हो गई। दोपहर 4:45 पर नियंत्रण कक्ष में अंतिम अधूरी आवाज़ सुनाई दी, ‘हमें इस समय अपने अड्डे से 225 मील उत्तर-पूर्व में होना चाहिए, ऐसा लगता है कि हम…।’ इसके बाद कुछ भी सुनाई नहीं दिया।
इन 5 बम वर्षकों का पता लगाने के लिए 13 व्यक्तियों से लैस मैरिनर फ़्लाइंग बोट भेजी गई। कुछ समय बाद वह बोट भी उसी तरह ग़ायब हो गई। बम वर्षकों की तरह इसका भी पता नहीं चला। फ़्लोरिडा तट के पास खड़े एक टैंकर ने एक विस्फ़ोट होते और समुद्र की सतह पर तेल फैलते देखा। उसने तलाश की पर कोई जीवित व्यक्ति नहीं मिला।
स्टार टाइगर और स्टार एरियल : 1948/1949
एजोरस से बरमुडा को उड़ान भरते हुए 30 जनवरी, 1948 को स्टार टाइगर और 17 जनवरी, 1949 को जमैका से किंग्सटन जाते हुए स्टार एरियल नामक विमान ग़ायब हो गया। दोनों यात्री विमान थे और उनका गंतव्य स्थान निकट ही था, जिससे विमान संचालन में मानवीय भूल होने पर भी वे गंतव्य स्थान तक पहुंच सकते थे। इनमें से एक तो त्रिकोण-क्षेत्र में प्रवेश करने से पूर्व ही ग़ायब हो चूका था।
केसी -135 स्टे टोटेकंर्स : 28 अगस्त 1962
28 अगस्त, 1962 को अमेरिकी वायु-सेना का केसी -135 विमानों का जोड़ा अटलांटिक सागर के ऊपर टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जानकारों का मानना है कि दोनों विमान टकराए और चकनाचूर हो गए। पर यह पाया गया कि उनके टकराने के स्थल 160 मील दूर थे। मलबे की खोज की गई पर उस जगह समुद्री कूड़ा और बहाने वाली लकड़ियां ख़तरे के निशान में उलझी हुई थीं।
कैसा है यह त्रिकोण !
25 से 40 उत्तरी अक्षांश और 55 से 80 पश्चिमी देशांतर रेखाओं के बीच स्थित 3 लाख 90 हज़ार किमी. क्षेत्रफल में फैला सागर बरमुडा ( या शैतान ) त्रिकोण के नाम से भी जाना जाता है।
यह क्षेत्र फ़्लोरिडा से शुरु होकर बरमुडा तक जाता है और फिर प्यूर्टो रिको को पार करता हुआ वापस फ़्लोरिडा से जाकर मिलता है और इस तरह यह एक त्रिकोण बनाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस क्षेत्र से जो भी जहाज़ या विमान गुजरता है वह यहीं कहीं ग़ायब हो जाता है। सबसे पहले कोलम्बस ने बरमुडा त्रिकोण में उठती हुई एक रोशनी देखी थी, जिसे उसने ‘आग की महान लपट’ कहा था।
शुरु-शुरु में इस क्षेत्र में हुई घटनाओं को मात्र संयोग समझा गया और इन पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन जब इन घटनाओं की संख्या बढ़ने लगी तो इसकी जांच-पड़ताल शुरु हो गई। आश्चर्यजनक बात यह थी कि इस क्षेत्र में नष्ट होने वाले विमानों या जहाज़ों का न तो मलबा मिलता, न ही अन्य कोई निशानी। इस कारण विभिन्न जांचो के नतीजे एक दूसरे से भिन्न होते। यथा – इस क्षेत्र का गुरुत्वाकर्षण और चुम्बकीय विस्थापन इतना अधिक है कि जहाज़ों और विमानों के रेडियो ख़राब हो जाते है और दिशासूचक यंत्र भ्रामक संकेत देने लगते है।
क्या कहते है वैज्ञानिक !
- कुछ वैज्ञानिक बरमुडा त्रिकोण को एक चुम्बकीय क्षेत्र मानते है। उनका तर्क है कि ध्रुवों में होने वाले परिवर्तन से समुद्र में तेजी से चुम्बकीय लहरें उठती है, जिसके कारण दुर्घटनाएँ होती है।
- एक मत यह है कि त्रिकोण की जल सतह पर गत 15 हज़ार वर्षों से मीथेन गैस जमा हो रही है। मीथेन द्वारा त्रिकोण में झागदार क्षेत्र बना देने से जलयान की गति शून्य हो जाती है। इसके अतिरिक्त उच्च घनत्व शक्ति होने के कारण मीथेन हवा में रासायनिक दबाव बनाता है, जिसके कारण चीजें उसकी ओर खिंचती है।
- ऑस्ट्रेलिया में हुए एक शोध के अनुसार मीथेन का आवधिक उद्भेदन (जिन्हें कभी-कभी कीचड़ का ज्वालामुखी कहा जाता है) एक सीमित क्षेत्र में फेनिल जल पैदा कर सकता है, जिससे जहाज़ों की पर्याप्त तरण क्षमता समाप्त हो जाती है और वे बिना किसी पूर्व सूचना के तेज़ी से डूब जाते है। लेकिन, अमेरिकी स्त्रोतों के अनुसार गत 15 हज़ार वर्षों से मीथेन गैस के उद्भेदन का कोई वाक़या नहीं हुआ है।
- कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि गल्फ़ स्ट्रीम की वजह से समुद्री सतह पर कीचड़ के बड़े-बड़े चक्रवात (साइक्लोन) बनते है, जो विमानों और भारी जहाज़ों तक को अपनी ओर खींच लेते है।
- वैज्ञानिक यह भी मानते कि कई हज़ार वर्ष पहले बरमुडा त्रिकोण में एक धूमकेतु (कामेट) गिरकर नष्ट हो गया था, जो अपने संपर्क में आने वाली वस्तुओं को अपनी ओर खींच लेता है।
- अमेरिकी नौसेना के सूत्रों के अनुसार बरमुडा जैसे कथित त्रिकोण का कोई अस्तित्व नहीं है। भौगोलिक नामों के अमेरिकी बोर्ड ने ‘बरमुडा त्रिकोण’ के नाम को मान्यता नहीं दी है।
लिखित प्रमाणों से संकेत मिलता है कि घटनाओं की ज़्यादातर संख्या वास्तविक नहीं है, वे ग़लत ढंग से पेश की गई है और लेखकों ने उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।
2013 में ‘वर्ल्ड वाइड फंड नेचर’ द्वारा किए गए अध्ययन के बाद जहाज़ों के लिए दस ख़तरनाक स्थलों की सूची ज़ारी की गई थी, ‘जिसमें ‘बरमुडा त्रिकोण’ का नाम नहीं है।
ऐरिजोना विश्वविद्यालय के पुस्तकाध्यक्ष और ‘बरमुडा ट्राएंगल मिस्ट्री : सॉल्व’ के शोध लेखक लारेंस डेविड कुस्चे ने तर्क देते हुए कहा कि विसेन्ट एच. गडिस तथा अन्य परवर्ती लेखकों ( जान बैलेस स्पेंसर तथा चार्ल्स बर्लिट्ज ) के दावे अधिकांशतः अतिशयोक्तिपूर्ण, संदेहास्पद और असत्यापनीय है। कुस्चे के शोध में बर्लिट्ज के विवरणों और प्रारंभिक दुर्घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शियों आदि के कथनों में ग़लतियां और विसंगतियां पाई गई है। कुस्चे ने ऐसे प्रकरणों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है, जिसका उल्लेख किसी ने नहीं किया है।
उदाहरणार्थ बर्लिट्ज ने विश्व-भ्रमणकर्ता नाविक डोलाल्ड कोहस्ट के लापता होने को एक रहस्यमय घटना के रुप में चित्रित किया है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है। एक अन्य घटना में बर्लिट्ज एक अयस्क वाहक जहाज़ को एटलांटिक बंदरगाह से तीन दिन तक लापता बताता है, जबकि इसी नाम का जहाज़ प्रशांत महासागर के एक बंदरगाह से ग़ायब हुआ था।
कुस्चे का कहना है कि उन घटनाओं का बहुत बड़ा प्रतिशत, जिन्हें त्रिकोण में घटित होता दिखाया गया है, वास्तव में बाहर घटी थी। कुस्चे का जांच का तरीक़ा बड़ा साधारण था – वह वर्णित घटनाओं के संगत दिनों का अख़बार देखता और यह पता करता कि उन दिनों मौसम, जिसका उल्लेख घटनाओं के वर्णन में नहीं किया जाता, क्या असाधारण था।
कुस्चे के शोध के निष्कर्ष ये थे –
- त्रिकोण में लापता हुए जहाज़ों और विमानों की घटनाऐं समुद्र में अन्यत्र हुई घटनाओं से समानुपात में अधिक नहीं थी।
- उष्णकटिबंधीय तूफ़ानों वाले स्थानों में लापता होने की घटनाऐं अन्य भागों में हुई घटनाओं से असमान, असंभाव्य या रहस्यमयी थी।
- लेखकों ने ऐसे तूफ़ानों का ज़िक्र किया है, लेकिन यह जिक्र नहीं किया है कि लापता होने की घटनाऐं जब हुई तब समुद्र शांत था।
- चलताऊ शोध के आधार पर लापता यानों की संख्या में अतिशयोक्ति की गई। जैसे, एक नाव के लापता होने की सूचना तो दर्ज की गई, पर उसके वापस आने का संज्ञान नहीं लिया गया।
- कुछ घटनाऐं जो घटी ही नहीं, उनका संज्ञान ले लिया गया, जैसे 1937 फ़्लोरिडा के डाइटोन तट से उड़े एक विमान की सैकड़ों प्रत्यक्षदर्शियों के सामने दुर्घटना में नष्ट होने का जिक्र तो है, पर स्थानीय अखबारों में इस घटना का कोई जिक्र नहीं है।
- बरमुडा त्रिकोण की दंतकथा एक कृत्रिम रहस्य कथा है, जिसे लेखकों ने जाने-अनजाने चर्चित कर दिया।
नया शोध
अब बरमुडा त्रिकोण की गुत्थी सलझा लेने का वैज्ञानिकों ने दावा किया है। मौसम विशेषज्ञ डॉ. रैंडी सेखेनी के अनुसार इस क्षेत्र के ऊपर बन रहे षटकोणीय बादलों में विस्फोट की वजह से ही इसे पार करना असंभव सिद्ध हो रहा है। ये बदल आसमान में हवाई बम का रुप ले लेते है और इसमें विस्फोट से 273 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवा चलने लगती है। ये हवाऐं चक्रवाती तूफ़ान से ज़्यादा शक्तिशाली है। इतनी तेज़ हवा में किसी भी विमान या जहाज़ का बच पाना मुश्किल हो जाता है।
वैज्ञानिकों ने रडार सेटेलाइट के ज़रिए पाया कि बरमुडा त्रिकोण के ऊपर 32 से 80 किमी. तक चौड़ाई वाले बादल मौज़ूद है। ये बादल उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर 5 लाख वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैले हुए है।
बरमुडा त्रिकोण के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQ on Bermuda Triangle
प्रश्न 1. बरमुडा त्रिकोण ( Bermuda Triangle ) किस महासागर में स्थित है?
उत्तर : बरमुडा त्रिकोण अटलांटिक महासागर में स्थित है, जो उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी भाग में एक क्षेत्र है।
प्रश्न 2. बरमुडा त्रिकोण ( Bermuda Triangle ) की सीमाएँ किसके बीच है?
उत्तर : बरमुडा त्रिकोण की सीमाएँ फ़्लोरिडा, बरमुडा और प्यूर्टो रिको के बीच है।
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