क्या ये जीवन से भरे है ?
पत्थर, अर्थात जीवन रहित। क्या इसे सच ही मान लिया जाए? उसे क्या कहेंगे, जब पत्थर चलने लगे, गाने लगे या रंग बदलने लगे। इसे प्रकृति की अद्भूत रचना कहें या देन, जिसके आगे वैज्ञानिक भी नहीं सोच पाते कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है? क्या भूत-प्रेत जनित कार्य हैं या अलौकिक शक्ति या चमत्कार। संसार के बहुत से स्थानों पर ऐसे पत्थर, शिलाखंड या पहाड़ पाए जाते हैं, जिनको देखकर ऐसा लगता है कि मनो इनमें जीवन है और लगता है, जैसे परीकथाओं और पुराणों के उड़ने वाले पहाड़ आदि कपोल कल्पना नहीं, बल्कि लोगों के व्यक्तिगत अनुभव थे।
कितनी परिभाषाएँ हैं जीवन की झोली में। दिन-रात अपनी झोली भरते हुए भी अपरिभाषित है ये जीवन। कोई कहता है कि ये सपना है। कोई कहता है कि सच है, लेकिन रहस्यों से भीगती इस पोटली में कितना सच है, कितना झूठ, कौन जाने। ऐसे ही गाते, हिलते, चलते हैं कुछ पत्थर…
कैलिफ़ोर्निया की ‘डेथ वैली’
कैलिफ़ोर्निया की ‘डेथ वैली’ में एक पत्थर अपने आप चलकर तीन मील दूर पहुंच जाती है। डेथ वैली का सबसे बड़ा “रहस्य” गतिशील पत्थर है, जो एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें चट्टानें रेगिस्तान की सतह पर बिना किसी बाहरी बल के निशान छोड़ते हुए सरकते है। वे कैसे गति करते हैं, इसका रहस्य ‘स्क्रिप्स इंस्टिट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी’ ने सुलझाया, जिसने उन्हें क्रियाशील अवस्था में देखा था। अन्य रहस्यों में इसके अत्यधिक तापमान, भूवैज्ञानिक चमत्कार, संभावित प्रेतवाधिक स्थान और असामान्य जीवाश्म और सुरंगें शामिल हैं।
ऑक्सफोर्ड शहर का ‘रोलराइट स्टोन’

ऑक्सफोर्ड शहर का ‘रोलराइट स्टोन‘ साल में एक दिन नदी में पानी पीने जाता है और वापस प्यास बुझाकर आ जाता है। कोई उसे हटाने की कोशिश करता है तो उसे दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। मैनोर के लार्ड तक भी यह चर्चा पहुंची। उन्होंने उसे हटाने का निश्चय किया, लेकिन पत्थर भी अड़ियल था। अनेक घोड़े तथा मजदुर उसे हटाने में लगे, तब कहीं खिसक पाया, लेकिन उस पत्थर के बहुत लार्ड साहब के घर पर ही अड्डा जमाकर बैठ गए। पादरी की सलाह से पत्थर को उसके मूल स्थान पर पहुंचाया गया, तब कही लार्ड साहब का प्रेतग्रस्त मकान शांत हुआ। आश्चर्य यह है कि तब पत्थर को पहुंचाने का काम केवल एक घोड़े ने ही कर दिया।
इंग्लैंड का ‘ग्रेड लेह’
इंग्लैंड के ‘ग्रेड लेह’ नामक स्थान पर एक विशाल पत्थर सड़क के किनारे आने-जाने वाले हर व्यक्ति को मुंह ऊंचा करके देखता है, पर न वहां से खिसकने का नाम लेता है और न किसी व्यक्ति ने उसे वहां से उठाने की हिम्मत की, क्योंकि गांव वालों की मान्यता है कि उस बड़े पत्थर के नीचे एक दुष्ट जादूगरनी की आत्मा दबी पड़ी है।
सड़क चौड़ी करने के अभियान में एक इंजीनियर ने गांव वालों की इच्छा के विरुद्ध उस पत्थर को हटवा दिया और उसके साथ ही गांव में भूतिया आतंक का सिलसिला प्रारंभ हो गया। गिरजाघर की घंटियां टनटन बजने लगती। भेड़-बकरियां अहाते से गायब हो जाती। और भी अनेक आफतों ने सिर उठा लिया तो गांव वालों ने 11 अक्टूबर, 1944 को एक बड़े समारोह के साथ उस पत्थर को उसी स्थान पर रख दिया और गांव से भूतिया आतंक भी समाप्त हो गया।
मेघालय का ‘शिलांग’
मेघालय के उत्तरी-पूर्वी शहर ‘शिलांग’ की हरी-भरी वादियों में कुछ पत्थर ऐसे हैं, जो तिल-तिल कर बढ़ते हैं। आमतौर पर पत्थर पर्वत घिसते हैं, पर ये तो बच्चों की तरह बढ़ते हैं। स्थानीय लोगों के कथनानुसार, ये पत्थर करीब आधा इंच एक साल में बढ़ जाते हैं।
कहा जाता है कि कई शताब्दी पूर्व एक व्यक्ति ज्ञान की खोज में मेघालय आया। जीवन की खोज में भटकते वह असम के ‘कामाख्या’ मंदिर में गया। वहां मंदिर के पुजारी से उसने अनेक तांत्रिक विद्याऐं सीखीं। उसमें एक विद्या पत्थरों की साधना भी थी। उस व्यक्ति ने एक ही आकर-प्रकार के काफी पत्थर एकत्रित किए और ध्यान करने बैठ गया। कई वर्ष की सतत साधना के बाद वह पत्थरों को वश में कर पाया और पत्थर उसकी इच्छा के अनुरुप चलने और कार्य करने लगे। साधक ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे सतत बढ़ते रहें, तब से वे निरंतर बढ़ रहे हैं।
स्कॉटलैंड का ‘डंकल’
स्कॉटलैंड के ‘डंकल’ नामक स्थान पर चौदह फुट लंबा, सात फुट चौड़ा तथा पांच फुट ऊंचा पत्थर तीन छोटे-छोटे आधारों पर इस तरह टिका है, जैसे कोई विशालकाय कछुआ विश्राम कर रहा हो। पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यह शिलाखंड बीस लाख वर्षो से इसी स्थिति में पड़ा है, जबकि इस काल खंड में आंधी-तूफान से अनगिनत पहाड़ ध्वस्त हो गए हैं।
फ्रांस का ‘एंडले फ्रांस’
‘एंडले फ्रांस’ फ्रांस का उत्तरी-पूर्वी गांव है। वहा एक ऐसा विशाल पत्थर है, जो छोटे-से आधार पर नाचने लट्टू की तरह खड़ा है। इसे देखने पर ऐसा लगता है, जैसे यह विधुतीय चुंबकीय शक्ति के प्रभाव से टिका हो। वैज्ञानिकों ने वहां ऐसी किसी बात की संभावना की सूक्ष्मता से जांच-परख की, पर वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके।
विचित्र बात तो यह है कि वह मौसम सबंधी भविष्यवाणी भी करता है। मौसम साफ रहेगा तो वह अपनी धुरी पर चुपचाप खड़ा रहेगा, किंतु यदि मौसम ख़राब होने वाला हो तो इसकी सूचना वह धीरे-धीरे हिल-डुल कर देता है। विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि इसमें गति कहां से आती है और इस स्थिति में उसका संतुलन क्यों नहीं बिगड़ता।
मध्यप्रदेश के मदन महल का ‘बैलेंसिंग रॉक’
मध्यप्रदेश के ‘जबलपुर’ नगर के ऐतिहासिक ‘मदन महल’ के प्रांगण में एक के ऊपर एक रखी दो पत्थर है, जिन्हें देखकर हरवक़्त अंदेशा होता है कि ये कभी भी गिर जाएगी, पर ऊपर वाली चट्टान गिरती कभी नहीं है।
‘बैलेंसिंग रॉक’ के नाम से विख्यात इस चट्टान संतुलित भी नहीं राखी है और जरा से हवा के वेग से भी लगता है कि अब गिरी कि तब गिरी, लेकिन गिरती कभी नहीं है।
कुदरत के रहस्यों से भरी कुछ और जगहों की बातें
इंडोनेशिया का ‘ल्यूजर ज्वालामुखी’ :
इंडोनेशिया का ‘ल्यूजर ज्वालामुखी’ जब फूटता है तो आसपास के निवासियों को लखपति बना देता है। लावे के साथ-साथ हीरे, माणिक भी उगल देता है। वैज्ञानिक लाख परीक्षण करके भी पता नहीं लगा पाए कि अन्य ज्वालामुखियों से अलग इसमें ऐसी क्या रासायनिक क्रिया होती है, जो ज्वालामुखी हीरे, माणिक उगलता है।
रुस की रहस्यों से भरी जगहों की बातें :
- रुस के ‘कैप्सियन सागर’ के तट पर ‘वाकू’ नामक गांव में एक देवालय के प्रांगण में भूमि से अनेक ज्योतियां निकलती है। इन स्थानों पर अग्नि कुंड भी बना दिए गए है। ये ज्योतियां प्रज्ज्वलित भी अपने आप होती है।
- रुस के ‘सेंट्रल आराकुल मरुस्थल’ में जब जोर की हवाऐं चलती है तो चीखने-चिल्लाने की, रोने व् गाने की भिन्न-भिन्न ध्वनियां आती है।
- ‘वाइकल झील’ के तट पर बालू से भांति-भांति के स्वर सुने जा सकते है।
- ‘पुनीत नासिका’ नामक अंतरीप के पास जहां बालू के महीन कण है, वहां भेड़िए की रुक-रुककर शोर करने की आवाज आती है।
- ‘तुराली’ नामक स्थान पर ‘एलेक’ भाषा में इस नाम का अर्थ गूंजती रेत है। तेज हवा चलने पर वायलिन सुनाई पड़ती है।
दुनिया की कुछ और जगहों की बातें :
- जम्मू-कश्मीर में ‘बीज बोहरा’ के निकट एक पत्थर का भार लगभग पचास से साठ किलो तक का है। देखने में यह साधारण-सा पत्थर है, लेकिन इसे एक अंगुली का उपयोग करके उठाया जा सकता है।
- इटली में ‘उस्सेला’ नामक एक विचित्र पर्वत है। वह सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय दिखाई देता है, शेष समय अद्रश्य रहता है। वैज्ञानिक इस रहस्य का पता नहीं लगा सके कि सूर्य की प्रखर रोशनी या पूर्णिमा की शीतल रोशनी में वह क्यों नहीं दिखाई पड़ता।
- इटली के ही ‘मोदेना’ नामक स्थान के निकट एक ऐसा विचित्र पर्वत है, जो सदियों से धीरे-धीरे एक ही दिशा की ओर सरक रहा है। सरकते-सरकते वह 40 किलोमीटर दूर जा चुका है।
- कनाडा की ‘मोनेक्टन’ की एक पहाड़ी पर एक विशेष स्थान पर कोई गोल वस्तु, जैसे पहिया, तांगा गाड़ी आदि का इंजन आदि बंद कर दिया जाए तो वह स्वतः ही पहाड़ी के ऊपर चढ़ने लगती है और ऊपर एक विशेष स्थान पर जाकर स्वतः रुक जाती है। वैज्ञानिक शोध जारी है कि गोल वस्तु नीचे लुढ़कने के विपरीत ऊपर की ओर कैसे लुढ़कती है।
- ब्रिटेन के उत्तरी ‘वेल्स प्रदेश’ के सागर तट पर बालू से गाने की धुन निकलती है। पत्थरों की तरह बालू भी अपने अस्तित्व का प्रमाण अनेकों ध्वनियां पैदा करके देती है। बालू के कण समान आकार के गोल हैं। हवा और पैरों के दबाव से हिलने पर इसमें से संगीतमय धुन निकलती है।
- अमेरिका के ‘कैलिफोर्निया’ प्रांत में एक पहाड़ है जिसका नाम ‘माउंट डायकोले’ है। हर तीन महीने बाद, एक दिन ऐसा आता है, जब इस पहाड़ी की चोटी पर सूर्योदय के समय खड़े होने वाले व्यक्ति की छाया अप्रतिम रुप से बड़ी हो जाती है। यह छाया सामने, नीचे वाली भूमि पर दस मील लंबी हो जाती है और सामने के टीले पर पड़ती है।
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