बचत के श्रेष्ठ उपाय कौन से है? What are the best Tricks of savings in hindi

बचत के श्रेष्ठ उपाय कौन से है What Is The Best Tricks Of Savings In Hindi 1024x538

बचत करेंगे तो बच सकेंगे…

बचत की सात महत्वपूर्ण बातें समझ लेना ज़रुरी हैं। इन सात बातों में जीवन के महत्त्व और व्यवहार का सार आ जाता है। आइए जानें क्या हैं वे श्रेष्ठ 7 उपाय, जिन्हें अपनाकर आप अपना भविष्य सुरक्षित बना सकते हैं।

दीर्घायु होना कहने और सुनने में अच्छा लगता होगा, परंतु आज के ज़माने में वास्तविक लंबा जीवन है कहां? हां, यदि आपके पास संपत्ति हो और स्वास्थ्य अच्छा हो, तो अच्छी बात है, वरना लंबा जीवन अब महंगा और कष्टदायी बनता जा रहा है। इतना होते हुए भी जीवन-मरण मनुष्य के हाथ में नहीं है। जब जीना ही है तो फिर आर्थिक आयोजन करके क्यों ना जिया जाए? कम-से-कम लंबा जीना महंगा तो ना लगे।

पहली बात

कंजूसी भले न करो, लेकिन शुरुआत ज़रुर करो

पैसे कमाने की शुरुआत का दिन बचत करने का फ़ैसला करने का दिन ही नहीं, बल्कि इसको अमल में लाने का दिन भी है। सामान्य रुप से लोग कहते हैं कि कमाई से पैसा बचेगा तो बचत करेंगे, लेकिन सच्चाई यह है कि पैसा बचाकर ही बचत करनी पड़ती है। माना कि प्रत्येक के मामले में ऐसा संभव नहीं हो पाता, लेकिन कमाई के पहले दिन से ही बचत करने का पक्का इरादा होना चाहिए।

सारांश में बचत की आदत भले ही बचपन में डाल ली गई हो, लेकिन बचत की वास्तविक शुरुआत तो युवावस्था में कमाई शुरु होने पर होती है। जीतनी जल्दी बचत शुरु होगी, उतनी ही अधिक मात्रा में प्रतिफल और मूल्यवृद्धि होगी। दूसरे शब्दों में कहें, तो काम पर लगते ही रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरु कर देनी चाहिए। याद रहे, आधुनिक युग में सेवानिवृत्ति की उम्र आने तक मजबूर होकर काम करते रहना जीवन की असफलता कहलाता है। अब लोग 50 की उम्र में रिटायर होने का लक्ष्य रखने लगे हैं। हां, ऐसे वर्ग को दूरद्रष्टि रखकर काम करना पड़ता हैं। ये लोग आलसी नहीं होते, उन्हें अगली ज़िंदगी सुख से जीनी होती है, वे बूढ़े होने तक काम के बोझ तले दबे नहीं रहना चाहते।

दूसरी बात

छोटी रकम से भी बचत शुरु कर देनी चाहिए। छोटी-सी रकम भी समय के साथ बड़ी होती जाती है। बूंद-बूंद से सरोवर भी भर जाता है, जैसी कहावत बहुत ज्ञानियों के अनुभव से बानी होगी। छोटी बचत करने वालों के मन में सबसे पहले यही सवाल पैदा होता है कि भला 50-100 रुपए की बचत करने से क्या होने वाला है? लेकिन दोस्तों, यही 50-100 रुपए बाद में हज़ार रुपए और लंबी अवधि में लाख रुपये बनाते हैं। बचत के लिए कोई भी रकम छोटी नहीं होती। आज, लंबी अवधि के तमाम ऐसे साधन हैं, जो छोटी बचत को दीर्घावधि में वास्तव में बड़ी रकम बना देते हैं।

एक सामान्य उदाहरण देखें, तो यदि आप हर महीने 1000 रु. सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP-एस. आई. पी.) में 30 साल तक निवेश करें, तो 30 साल में यह रकम लगभग 1 करोड़ रुपए हो सकती है। यदि आप न्यूनतम प्रतिफल की दर से गणना करें, तो भी यह 50 लाख रुपए तो हो ही जाती है। क्योंकि इस रकम का निवेश शेयर बाज़ार में होता है, जो लंबी अवधि (30 साल) में इतनी वृद्धि देने में सक्षम है। यहां 30 साल की समय मर्यादा को पकड़कर रखने की ज़रुरत नहीं, परंतु भावार्थ यह है कि निवेश जितने लंबे समय के लिए होगा, उतना ही ज़्यादा प्रतिफल मिलेगा। विशेष करके इक्विटी बाज़ार में इस माध्यम से निवेश करने पर यह सपना साकार हो सकता है।

तीसरी बात

अपनी आयु तथा जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार ही निवेश करें। युवावस्था तक अधिकतम निवेश इक्विटीमें रख सकते हैं। सामान्य नियम के अनुसार अपनी उम्र को 100 से घटाने पर जो शेष बचता है, उतनी प्रतिशत राशि का निवेश इक्विटी में किया जा सकता है।

उदाहरण के लिए यदि आपकी उम्र 25 साल है, तो 100 में से 25 घटाने पर 75 बचता है, तो आप इस उम्र में अपनी बचत का 75 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में निवेश कर सकते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाएगी, यह प्रतिशत घटता जाएगा। उम्र बढ़ने के साथ-साथ आपको निवेश जोखिम वाले साधनों से हटाते रहना चाहिए। सवाल केवल इक्विटी और उम्र का नहीं है, बल्कि कोई भी निवेश करने से पहले जोखिम की सीमा को समझ लेना चाहिए।

चौथी बात

मात्र एक या अमुक साधन में निवेश करने के बजाय, निवेश में विविधता होनी चाहिए। यदि बचत का सारा निवेश एक ही साधन में होगा, तो उस साधन में समस्या उत्पन्न होने पर आपकी पूरी बचत ही जोखिम में आ सकती है। इसलिए शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी, पी.पी.एफ. जैसी सरकारी स्कीमो, सोने-चांदी आदि में निवेश होना चाहिए, जिससे जोखिम की गुंजाइश तो कम हो जाए और आपको उचित प्रतिफल प्राप्त होता रहे। इससे आपकी पूरी बचत डूबने की संभावना नहीं रहती। अपनी आवश्यकताओं, पारिवारिक उत्तरदायित्व, संभावित या आकस्मिक खर्च को ध्यान में रखते हुए निवेश करेंगे तो अच्छा होगा।

पांचवीं बात

वृद्धावस्था का ध्यान रखते समय बीमारी का विचार भी करना चाहिए। वैसे तो बीमारी युवावस्था में भी आ सकती है और और हो सकता है आपके किसी पारिवारिक सदस्य को बड़ी बीमारी हो जाए, जिसमें आपके परिश्रम की कमाई धुल जाए। इससे बचने के लिए उपयुक्त मेडीक्लेम पॉलिसी भी लेनी चाहिए। अपनी युवावस्था में ही ऐसी पॉलिसी ले लेना समझदारी है और वह भी फ़ेमिली फ़्लोटर हो तो पूरे परिवार को बीमारी के ख़र्च से राहत मिलेगी। इसके साथ ही जीवन बीमा पॉलिसी लेना भी ज़रुरी है, जिससे आपके आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा मिल सके।

छठी बात

जहां तक हो सके, जीवन में मितव्ययता का पालन करो, लेकिन कंजूस मत बनो। इस समय की गई किफ़ायत का महत्त्व भविष्य में समय आने पर समझ में आता है। रुढ़िवादी विचारधारा समझकर इन बातों का पालन करने में न झिझकें। समय बहुत बलवान है। उड़ाऊ प्रवृत्ति से बचें। आधुनिक भाषा में कहें, तो क्रेडिट कार्ड कल्चर से बचना चाहिए। इसके चक्कर में पड़ने से एक व्यक्ति ही नहीं, पूरा का पूरा देश कर्ज़ में डूबकर आर्थिक संकट में फंस सकता है।

सातवीं बात

इस आख़िरी, परंतु कड़वी बात को गंभीरता से ध्यान में रख लें। आने वाले समय में आपकी संतान आपका ध्यान रखेगी या फिर वह बुढ़ापे की लाठी बनेगी, ऐसा पक्का विश्वास मन में न पालें।

आपके पास आपकी बचत-संपत्ति होगी तो ठीक है, अन्यथा सब समस्या ही समस्या है। इसके अलावा अपनी संतान के नाम पर पहले से ही सारी संपत्ति करने के बजाय अपनी पत्नी के नाम पर भी रखें, जिससे आपके अवसान के बाद आपकी पत्नी को भी किसी अन्य पर निर्भर न रहना पड़े।

अंतमे, प्रत्येक के लिए आर्थिक स्वनिर्भरता इस युग की आवश्यकता है। आपकी संतानें अच्छी हो सकती हैं, जो आपकी सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखें।

आशा करता हूँ की इस Article द्वारा दी गई जानकारी आपके जीवन में निवेश करते समय उपयोगी साबित होगी। अगर आपको ये Article उपयोगी हुआ हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

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