सकारात्मकता जीने की कला है Positivity is the art of Living in Hindi

सकारात्मकता जीने की कला है Positivity Is The Art Of Living In Hindi 1024x538

भागम-भाग के इस युग में सकारात्मक होना एक कला है और इसी के माध्यम से मानव जीवन ने ऊंचाइयों को छुआ है। यह सकारात्मकता( Positivity) ही है, जिसने आम इंसानों को ऐतिहासिक पुरुषों के रुप में महानता प्रदान की है।

सकारात्मक होने का अर्थ

एक बार रवींद्रनाथ ठाकुर ने स्वामी विवेकानंदजी के बारे में कहा था, “भारत को जानना है तो विवेकानंद से बेहतर कोई नहीं, उनके यहां सब कुछ विधेयात्मक है।” 19वीं सदी के अंत में विश्वकवि ने भारत की एक महान प्रतिभा के बारे में यह कहा था। शायद रवींद्रनाथ कहना चाह रहे थे कि, विधेयात्मकता यानी कि सकारात्मक दॄष्टिकोण ही वह चीज थी, जो विवेकानंदजी को अपने समय के अन्य महान व्यक्तित्वों से अलग करती थी।

सारा का सारा परिवेश नकारात्मक था। एक गुलाम देश। धर्म और दर्शन कर्मकांड और रुढ़ियों में बदलकर रह गए थे। इस निराशा के बीच एक नई आशा संचरित की थी उन्होंने। ऐसा कैसे कर पाए वे? क्या वे कोई आसमानी प्रतिभा थे? या ऐसे धर्मपुरुष, जो किसी भी व्याख्या से परे दैवीय होते हैं? क्या उनके अस्तित्व की व्याख्या हमें हमारे आज के लिए कोई संदेश दे सकती है? शायद हां।

सकारात्मक होने का अर्थ ही है, सृजनात्मक होना। ज़िंदगी के प्रति सृजनात्मक दॄष्टिकोण रखना। सृजनात्मकता किसी कृति का सृजन, किसी रचना का निर्माण भर नहीं है। वह मन की एक स्थिति है। जिन्हें हम सृजन कहते हैं, चाहे वे कला के क्षेत्र के हों, या साहित्य के, दर्शन के क्षेत्र के हों या विचार के, वे तो दरअसल सृजनात्मक मन के प्रतिफल मात्र होते हैं। असली चीज सृजनात्मक मन का होना है।

एकाग्रता, तन्मयता, लगन, धैर्य, श्रम… आदि के जटिल संश्लेषण से एक सृजनात्मक मन का निर्माण होता है। जो भी चीज निर्मित है, वह बनाई जा सकती है। यानी सृजनात्मक मन भी निर्मित किया जा सकता है। यह मात्र आनुवंशिकी या पारिवारिक परिवेश का मामला नहीं है।

सकारात्मकता : एक शक्तिशाली भावना

“अपना दॄष्टिकोण बदलें और आप दुनिया बदल सकते हैं।”

सकारात्मकता एक बहुत ही शक्तिशाली भावना है, लेकिन यह ऐसी चीज़ नहीं है, जिसे आप तुरंत करने या महसूस करने का निर्णय कर लें। इसे आपकी आत्मा में बसने से पहले अक्सर पोषण और निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जब जीवन के अनुभव या यहाँ तक कि, आपका व्यक्तित्व भी स्वभाव से ही इंद्रधनुषी रंग-रुप में न हो, तो आपको इसे बदलने के लिए कुछ प्रयास करने होंगे और सफलता का रहस्य अपनी अपेक्षाओं के प्रति यथार्थवादी होना है।

आप अभी जो जीवन जी रहे हैं, वह वास्तविक जीवन है, यह कोई परीकथा नहीं है। आप सिंड्रेला या प्रिंस चार्मिंग नहीं हैं और आपका कद्दू रातोंरात पोर्श में नहीं बदल जाएगा। जीवन निःसंदेह आपके रास्ते में चुनौतियाँ और बाधाएँ लाएगा, जीवन ऐसे ही चलता है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि, आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और क्या करते हैं।

क्या आप दुःखी होंगे और अपने कद्दू को बर्बाद होते देखेंगे, या आप एक स्वादिष्ट सूप बनाकर एक सकारात्मक अनुभव का निर्माण करेंगे? देखिए, आपके पास हमेशा एक विकल्प होता है और वह विकल्प केवल और केवल आपका है। आप अपने जीवन के प्रति कैसा दॄष्टिकोण रखते हैं, यह निर्णय आपको नकारात्मकता, दुःख और पतन की ओर ले जा सकता है, या यह आपको, चाहे कुछ भी हो जाए, खुशी और आनंद के मार्ग पर ले जा सकता है।

प्रसिद्ध कहानी

प्रसिद्ध कहानी है कि, एक राजा को ज्योतिषी ने बताया कि, महाराज ! आपके हाथों में चक्रवर्ती होने की रेखा नहीं है। ज्योतिषी की बात सुनते ही उन्होंने पूछा कि, वह रेखा हाथ के किस भाग में बनी होती है। ज्योतिषी के बताने के बाद, बहादुर और आत्मविश्वास से भरे हुए राजा ने तलवार से अपनी हथेलियों को चीरते हुए, उसी प्रकार की रेखा बना दी, जैसी कि ज्योतिषी ने बताई थी और पूछा कि, अब तो है न, रेखा मेरे हाथों में ! आगे चलकर वह राजा चक्रवर्ती सम्राट बना और अब जब हम इस बात को सुनते हैं तो बहुत प्रभावित होते हैं।

आज के समय में यह बहुत गंभीर समस्या है कि निराशा और अवसाद में डूबे हुए लोग, सकारात्मकता की तलाश में यहां-वहां फिर रहे हैं। ऐसे में बड़े पैमाने पर सकारात्मकता पढ़ाने वालों की जरुरत और भरमार है, पर इसमें से अधिकतर की सबसे बड़ी समस्या है कि, वे चीजों को सतही बनाकर पेश करते हैं।

यहां दी गई कहानी में सकारात्मकता यह है कि, राजा ने ज्योतिषी की भविष्यवाणी को चुनौती देते हुए, अपने शानदार प्रबंधन के चलते वह सब किया, जिसने उसे उस मुकाम तक पहुंचाया, जो ज्योतिषी के मुताबिक असंभव था।

सकारात्मकता का अर्थ

सकारात्मकता का अर्थ है – अपनी योग्यता और कार्य करने की क्षमता पर विश्वास। यदि आप किसी कार्य के लिए अयोग्य हों, तो आप उस कार्य को लेकर तब तक सकारात्मक नहीं हो सकते, जब तक कि आप उस काम को करने की योग्यता नहीं प्राप्त कर लेते। हां, यह बात जरुर है कि यदि आप किसी कार्य में अयोग्य हैं, तो अपने को कमजोर मान कर निराश या अवसाद में डूबने की जरुरत नहीं है। दुनिया में कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है। दुनिया का कोई भी कार्य महान नहीं होता, बल्कि महान लोगों द्वारा किए गए कार्य महान बन जाते हैं।

किसी क्षेत्र में जानकारी का न होना कोई समस्या नहीं है। मूल बात यह है कि आप जो कर रहे हैं, उसको लेकर आपके मन में किस तरह की भावना है। उसे लेकर आपके मन में किस तरह की योजना है और आप अपने कार्य को लेकर कितना गंभीर हैं। सकारात्मकता का अर्थ है – चीजों को सही परिप्रेक्ष्य में आंकना और सामर्थ्य व परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जीवन जीना। यदि परिस्थितियां हमारे हित में नहीं हैं, तो उन्हें अपने हित में करने के लिए जूझना। दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है, जिसे इंसान न कर सके। दिल में कामों के प्रति जुनून और लगन होनी चाहिए।

सकारात्मकता आत्मविश्वास से ही आती है

सकारात्मकता आत्मविश्वास से ही आती है और उसमें इस बात का भी बोध होता है कि दुनिया बहुत महान है और यहां विविधताओं और योग्यताओं का भंडार है। जीतनी ज्यादा चाह है, उससे ज्यादा मेहनत करने की क्षमता ही हमें सकारात्मक बना सकती है।

राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या के माध्यम से गंगा को पृथ्वी पर आने के लिए मजबूर कर दिया था। कहते हैं कि, इससे पहले उनके कई पूर्वज कठोर तपस्या करते रहे। लगातार कई पीढ़ियों तक के कठोर श्रम के चलते वे गंगा को पृथ्वी पर ला सके। सच है कि आपके द्वारा किया गया कोई कार्य फल न दे, यह नामुमकिन है। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप काम को कैसे करते हैं। माना कि आप बहुत अच्छे ड्राइवर हैं, पर क्या आप आँख बंद करके गाड़ी चला सकते हैं। जीवन भी ऐसा ही है। गाड़ी चलाने जैसा, कभी तेज चलता है तो कभी धीरे। कभी गाड़ी उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरती है तो कभी बंद पड़ जाती है और उसे बनाने के लिए गैराज भेजना होता है।

महान लोगों की सीख

भगवान बुद्ध ने कहा है कि अंतिम सत्य कुछ नहीं, कुछ भी नहीं है, जो अजर-अमर हो। कुछ भी नहीं, जो बदला न जा सके। एक महान विद्वान ने कहा था कि, जब हम स्वार्थ से उठकर अपने समय को देखते हुए दूसरों के लिए कुछ करने को तैयार होते हैं, तो हम सकारात्मक हो जाते हैं।

एप्पल कंपनी के संस्थापक और ‘टेक जीनियस’ स्टीव जॉब्स के जीवन के बारे में जब हम पढ़ते है, तो जान पते है कि, एक तरफ कैंसर जैसा शत्रु, दूसरी ओर लगातार तकनीकी संधान और विकास में जुटे स्टीव… जीवन के लिए जिद, मौत की सच्चाई को स्वीकार करने का साहस और इनके तुलनात्मक अध्ययन से संसार को अनमोल सौगातें देना…

सचमें, स्टीव जॉब्स का व्यक्तित्व महज एक व्यवसायी, तकनीकी गुरु और संघर्षशील व्यक्ति का ही नहीं था। निश्चित्त मृत्यु को पहचानकर भी वे निष्क्रिय नहीं रहे, उन्होंने चिंतन और समझदारी की एक नई इबारत ही लिख डाली है, जो हर शख्स को जरुर पढ़नी चाहिए। लेकिन, ये सब वे कैसे कर पाए? ज़िन्दिगी के प्रति अपने सकारात्मक दॄष्टिकोण के कारण।

“अपने परिवार की एक बगीचे की तरह देखभाल कीजिए। उसे अपना समय, श्रम और कल्पनाऐं लगातार दीजिए, ताकि वह खूब फले-फूले।”

-जिम रॉन

अंतमें…

जब आप दुःखी हों तो अपने नीचे देखो और फिर सोचो कि आप सुखी हो या दुःखी। यहां देखने का नज़रिया महत्वपूर्ण होगा। नीचे देखते समय अपनी सुविधाओं को देखो और ऊपर देखते हुए उनके लिए किए गए श्रम को समझने का प्रयास करो।

अपने आस-पास मौजूद हर एक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लीजिए। पंछी, पेड़, पौधें, छोटे-छोटे झरने और नदी जैसी प्रकृति से जूड़ी सभी चीजों को सकारात्मक दॄष्टिकोण से देखने का प्रयास करेंगे, तो आप स्वयं अनुभव करेंगे कि, सकारात्मकता हमारे जीवन को आनंद से, नई आशाओं से और ऊर्जा से भर देती है।

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article में सकारात्मकता की जो बात की गई है, वह आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। अगर आपको ये Article से प्रेरणा मिली हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरुर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

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