साहसी कैसे बने? How to be Courageous in Hindi

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एक आवाज बुलाती है…

साहसी होना हमेशा सहज, स्वाभाविक नहीं होता। इसके लिए कुछ अभ्यास करने पड़ते हैं। साहस की जरुरत हमेशा बड़े-बड़े कामों के लिए ही नहीं पड़ती। यह ज़िंदगी के बहुत मामूली और छोटे मसलों में ज्यादा काम आता है।

किसी देश के लोगों की निजी ज़िंदगियों के छोटे-छोटे साहस ही संघनित होकर, स्वरुप पाकर किसी बड़े साहस में अचानक अभिव्यक्त हो जाते हैं, प्रकट हो जाते हैं और हम उसकी आश्चर्यभरी व्याख्याऐं करते हैं। जबकि, वह साहस कहीं बाहर से नहीं आया था, उसके स्रोत हमसे ही फूटे थे।

आज का समय हमारे लिए कई संदेश लिए हुए है। इस संदेश की लिपि को हम किस तरह पढ़ते हैं, यह हम पर निर्भर है। यह युग, जीवन को समझने और उसे बदलने के लिए एक नए तरह के साहस की मांग कर रहा है। समय के पार से एक आवाज बुलाती है, शायद हम उसके अर्थ को समझेंगे…

साहस और सकारात्मकता

“बिना साहस के दूसरे नैतिक गुण अपने मायने खोने लगते हैं।” – विंस्टन चर्चिल

बहुत गहरा रिश्ता है साहस का सकारात्मकता से। ये सकारात्मकता ही तो थी कि कोपर्निकस, अरस्तु, सुकरात जैसे लोग बड़े उद्देश्य के लिए साहस का प्रदर्शन कर पाए। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं, ऐसे लोग हर युग में हुए हैं, लेकिन सकारात्मक दॄष्टिकोण लाते ही, नकारात्मक पहलू कमजोर दिखाई देते हैं। हम बड़े-बड़े साहस के काम कर गुजरते हैं। सकारात्मकता नैतिक साहस को बढ़ाती है। आमतौर पर युगों को बदलने वाले नायकों में ऐसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं। प्लेटो ने कहा था कि, “साहस हमें डर से मुकाबला करना सिखाता है। साहस हम सभी के भीतर होता है, बस जरुरत है उसे बाहर लाने की।”

साहस की ओर सात कदम

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1. अपनी अंतरात्मा की सुनें

दुनिया के कुछ बहुत साहसी लोग इस श्रेणी में इसलिए शामिल हो पाए, क्योंकि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और आसपास घटित बातों को अनदेखा नहीं किया।

जब आप अपनी अंतरात्मा की राह पर चलते हैं तो, ये देखें कहीं अन्याय तो नहीं हो रहा। चाहे वो आपका कार्यस्थल हो या आपके शहर, गांव या देश में या फिर आपका व्यक्तिगत जीवन। किसी अन्याय के खिलाफ खड़े होना वाकई साहसपूर्ण होता है और साहस को बढ़ाता भी है।

2. भय महसूस करें तो इसे दूर करें

साहस का मतलब ये नहीं कि आप डर नहीं सकते। असली साहसी भी भय महसूस करता है, लेकिन जरुरत इस बात की होती है कि इसे कैसे दूर करें। ये आपकी ज़िंदगी में किसी भी रुप में हो सकता है। यहां तक कि अगर बॉस से वेतन वृद्धि के बारे में भी बात करनी हो और आपको लगता है कि आप इसके हकदार हैं तो साहस करें। कोई भी बात जो आपको भयभीत कर सकती है, नर्वस कर सकती है, उसे जरुर दूर करने की कोशिश करें।

3. कभी हिम्मत न हारें

जब आप वास्तव में सच्चे दिल से कुछ चाहते हैं और इसे पाना मुश्किल होता है तो इसे हासिल करने के लिए पूरे साहस और समर्पण से जुट जाएं। हो सकता है कि कई बार आपको लगे कि आप हार गए या लक्ष्य असंभव हो गया, लेकिन तब भी साहस बटोर कर फिर से जुट जाएं।

मान लीजिए कि आप अपनी नौकरी गंवा चुके हैं, काम नहीं मिल रहा तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है। हो सकता है कि आपको लगे कि आपने जो कुछ हासिल किया, वो धीमे-धीमे बिखरने लगे तो आसान विकल्प यही है कि हार मान लीजिए और मान बैठिए कि ज़िंदगी आपके साथ साजिश कर रही है, लेकिन ऐसा करके आप खुद की हार को आमंत्रित करेंगे, बल्कि इसके उलट हर सुबह खुद को नए उत्साह से तैयार कीजिए। लग जाइए जॉब की तलाश में, आप खुद देखेंगे कि समय बदलने लगेगा। अगर आप दिमागी अवस्था में उत्साह और लगन बनाए रखेंगे और कभी हार नहीं मानने वाली स्थिति में होंगे तो तयशुदा तरीके से लक्ष्य तक पहुंचेंगे।

4. अनजाने को ग्रहण करें

हम अंधेरे से क्यों डरते हैं? शायद इसलिए, क्योंकि अंधेरे में कुछ दिखता नहीं, सबकुछ अपरिचित-सा लगता है। हमें अंधेरे से ज्यादा भय अनजाने का होता है। हम अनजानी बातों से डरते हैं। हम जिन नौकरियों को पसंद नहीं करते, वे भी करते रहते हैं, क्योंकि वे सुरक्षित और स्थायित्व वाली लगती हैं, इसी के चलते हम अपने सपनों को पूरा करने से डरते हैं। हकीकत में हम अपनी ज़िंदगी में बदलाव से पहले यथास्थितिवादी बने रहना चाहते है। हमें शायद ये नहीं मालूम कि अधिकतर महान आविष्कार इन्हीं अनजानी स्थितियों से और अपरिचित को ग्रहण करने के साहस से ही सामने आए हैं। अगर आप बदलाव को स्वीकार करते हैं, भले ये आपको शुरु में डराए, लेकिन आखिरकार ज्यादा संतुष्टि वाली और खुश ज़िंदगी की ओर ले जाता है। हो सकता है कि आप नौकरी नहीं छोड़ सकते हों, लेकिन नई बातों के लिए कोशिश तो कर सकते हैं।

5. सच्चा विश्वास

अगर आप किसी काम के लिए पूरी तरह समर्पित नहीं हैं, यानी जो कर रहे हैं, उस पर सौ फीसदी विश्वास नहीं करते, तो उस काम को करने का मतलब क्या है, ऐसे में आप सच्चे अर्थों में कभी सच्चा साहस नहीं जुटा पाएंगे। अगर आप पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं तो, आपका अधूरा साहस आपको नाकाम कर देगा। साहस को उस काम के लिए बचा के रखिए, जिसमें आपको वाकई भरोसा है, जो आपको सही लगता है। अगर ऐसा है तो, अपनी पूरी ऊर्जा और साहस के साथ उसमें लग जाइए, फिर देखिए कि वो होता कैसे नहीं है !

6. नहीं कहने वालों को अनदेखा करिए

इसका कोई मतलब नहीं है कि आपने अपनी ज़िंदगी में क्या चुना है, आप पढ़ना चाहते हैं या व्यवसाय करना चाहते हैं, या कुछ और। आपके चारों ओर ढेर सारे नकारात्मक लोग होंगे, जो आपको अपनी बातों से सहमत करने की कोशिश करेंगे कि आप अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाएंगे। अगर आप सच में वहां पहुंचना चाहते हैं, जहां तक पहुंचने का आपने इरादा बनाया है तो, आपको नकारात्मकता को रोकना होगा। हमेशा अच्छी सलाह लेने की कोशिश करें। याद रखें कि आप अपने भाग्य या नियति के निर्माता स्वयं होते हैं, अगर आप दूसरों को खुद पर प्रभाव डालने का मौका देंगे तो आप कभी वह प्राप्त नहीं कर पाएंगे, जो आप सच में करना चाहते हैं।

7. असफलता के लिए तैयार रहें

विंस्टन चर्चिल ने एक बार कहा था कि, “साहस के रास्ते में असफलताएँ भी आती हैं, बस उत्साह को बनाए रखना चाहिए।” उनकी नज़र में सफलता के रास्ते में एक असफलता जरुरी है, क्योंकि इसके बाद आप दोगुने उत्साह से अपनी कमियों को पहचान कर खड़े हो सकते हैं। साहस आपको अनुभव कराता है कि, असफलता का अर्थ केवल इतना भर है कि आप अपनी सफलता के एक कदम और नजदीक पहुंच गए हैं, इसलिए असफलता से कभी मत घबराइए और भय को आपकी हर कोशिश में बाधा डालने से रोकिए। अनुभव से सीखिए और हर बार नई रणनीति अपनाएं।

अंतमें…

“साहस वो सीढ़ी है, जिससे सभी दूसरे नैतिक गुण जुड़े रहते हैं।”क्लेयर बूथ ल्यूस

वर्तमान समय का सच तो यह है कि, हम खंडित व्यक्तित्व के लोग हैं। मनुष्य होने का साहस हमसे छिन गया है। वह साहस जो हिमयुगों में जीवित रहा, इतिहास की विराट उथल-पुथल के बीच जो बचा रहा। वह साहस, जिसने प्रकृति से विच्छिन्न हुए मनुष्य को अपना संसार रचने का ज्ञान दिया, सामर्थ्य दिया।

सभ्यता के इस इतिहास की एकमात्र समस्या यह है कि, मनुष्य फिर से अखंड कैसे हो। विभाजित व्यक्तित्व खुद को कैसे फिर से साबुत प्राप्त करे? वह साहस कहां से आए, जो प्रतिकूल समय में भी सलामत रहे? वह साहस, जो अपनी वृत्तियों से संघर्ष की प्रेरणा रहा है, जो राजदरबारों की सत्ता को भी ठुकराता रहा, जो राजमार्गों के एवज में पगडंडियां चुनता रहा, जो जीवन की राहों में फूल बन खिलता रहा, वह साहस कहां से आए?

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article में ‘साहसी’ बनने की जो बात की गई है, वह पढ़कर आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा जरुर मिली होगी। अगर आपको ये Article से प्रेरणा मिली हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरुर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

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