अपना मुँह बंद रखो Close Your Mouth

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अपना मुँह बंद रखो Close Your Mouth

एक छोटे लड़के ने अपने मछुआरे पिता से पूछा, “पापा, क्या मैं लोगों को अपने जीवन के लक्ष्यों और सपनों के बारे में बता सकता हूँ?”

मछुआरा कुछ पल चुप रहा, फिर पूछा, “तुम यह क्यों जानना चाहते हो?”

लडके ने जवाब दिया, “पापा, मेरे बहुत बड़े सपने हैं, सचमुच बहुत बड़े! मैं जीवन के हर क्षेत्र में, अपनी पीढ़ी पर और जीवन के हर पहलू पर प्रभाव डालना चाहता हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि मुझे अपने इन सपनों के बारे में लोगों को बताना चाहिए या नहीं।”

मछुआरा मुस्कुराया, फिर बोला, “चलो. . . नदी में मछली पकड़ने चलते हैं। और फिर, हम इस बातचीत को जारी रखेंगे, ठीक है?”

उसी क्षण, मछुआरा और उसका बेटा अपने मछली पकड़ने के उपकरण लेकर मछली पकड़ने चले गए। नदी पर पहुँचकर उन्होंने कांटे पर चारा लगाया और मछली पकड़ने वाली छड़ी नदी में डाली।

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कुछ घंटों बाद, उन्होंने बहुत सारी मछलियाँ पकड़ ली थी और उनकी टोकरी लगभग भर चुकी थी। फिर मछुआरा रुका, टोकरी की ओर इशारा किया और अपने बेटे से कहा,

“टोकरी में पड़ी इन मछलियों को देखो। ये कांटे में फंस गई हैं, और अब इनका भाग्य नदी में रहने वाली मछलियों से अलग है। इन मछलियों ने अपने जीवन में सब कुछ खो दिया है, परिवार, दोस्त और घर। दुःख की बात है कि, इन्हें कष्ट सहना पड़ेगा और निर्दयता से मारा जाएगा। कुछ को तला जाएगा, कुछ को सेका जाएगा, कुछ को लकड़ी या कोयले पर सेका जाएगा, कुछ को भुना जाएगा, तो कुछ को भाप में पकाया जाएगा। क्या तुम जानते हो कि, इन्हें इतना दुःख क्यों सहना पड़ रहा है?”

लड़का कुछ देर तक सोचता रहा, फिर उसने सिर हिलाकर कहा, “मुझे नहीं पता, पापा। मुझे बताइए।

मछुआरे ने गहरी सांस ली और सीटी बजाते हुए बोला, ” बेटा, ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि वे अपना मुँह बंद नहीं कर पाए। कहते हैं कि बंद मुँह वाली मछली कभी कांटे में नहीं फंसती। वह कभी शिकार नहीं बनती।”

यह कहते हुए मछुआरे ने अपने बेटे के कंधे पर थपथपाया, मुस्कुराया और फिर आगे कहा, “बेटा, यही तो हमारी ज़िंदगी में होता है। बहुत से लोग असफल हो गए और जीवन में जो कुछ भी प्राप्त किया था, सब कुछ खो दिया। सिर्फ़ इसलिए, कि उन्होंने अपना मुँह बहुत ज़्यादा खोल दिया।”

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की यह कहानी आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरुर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

विचारों का बगीचा The Garden of Opinions

विचारों का बगीचा

हमारे विचार (Opinions), हम सब के जीवन में सबसे ज़्यादा प्रभाव डालते है। आइए, आज हम विचारों से जुड़ी हुई एक सुंदर कहानी से ये समझने का प्रयत्न करते है।

“विचारों का बगीचा”

लिलो को बागबानी बहुत पसंद थी। हर दोपहर, वह अपने घर के पीछे, छोटे से खेत की देखभाल करती, बीज बोती, उन्हें पानी देती और हर अंकुर की सावधानी पूर्वक छंटाई करती।

एक दिन, एक पड़ोसी बाड़ के ऊपर से झुककर बोला,

“तुम ये फूल क्यों लगा रहे हो?’ बगल वाले गुलाब ज़्यादा सुंदर हैं। तुम्हें भी उनकी तरह ही लगाना चाहिए।”

लिलो रुक गई, उसके हाथ पानी के डिब्बे पर थे। उसे अपने आप पर संदेह हुआ। शायद मैं गलत कर रही हूँ… शायद वे सही हैं।

उस शाम, उसकी दादी आईं और उसे पौधों के बीच चुपचाप बैठी हुई देखा।

“तुम्हें क्या परेशानी है बेटा?”

लिलो ने उन्हें पड़ोसी की बात बताई।

“दादी, मैं तो बस कुछ सुंदर बनाना चाहती थी, लेकिन शायद मैं अपना समय बर्बाद कर रही हूँ।”

उसकी दादी उसके पास झुककर मुस्कुराईं।

“लिलो, एक बगीचा दूसरों की आँखों के लिए नहीं, बल्कि उस जीवन के लिए बढ़ता है, जो इसे पोषित करता है। अगर तुम दूसरों की बातों के अनुसार पौधे लगाओगे, तो तुम्हारा बगीचा कभी तुम्हारे दिल की बात नहीं कहेगा।”

लिलो ने अपने छोटे-छोटे पौधों को देखा, उनके पत्ते सूर्यास्त में चमक रहे थे।

“लेकि अगर लोग मेरे उगाए पौधों पर हँसने लगें तो क्या होगा?”

उसकी दादी ने उसका हाथ थाम लिया।

“कुछ तो हँसेंगे ही। और यह ठीक है। अपने बगीचे को अपने तरीके से उगाने का साहस ही सच्चा साहस है। इसे नापसंद किया जा सकता है, इस पर संदेह किया जा सकता है या इसे नजरअंदाज़ किया जा सकता है। लेकिन अगर आप इसकी ईमानदारी, धैर्य और प्यार से देखभाल करेंगे, तो यह फलेगा-फूलेगा।”

उस दिन से, लिलो ने खुलकर पौधे लगाए। उसका बगीचा किसी और के बगीचे जैसा नहीं दिखता था, लेकिन वह जीवंत, जीवन से भरपूर और उसकी आत्मा का प्रतिबिंब था। और उस बगीचे में, उसने फूलों से भी बढ़कर कुछ खोजा – उसने खुद अपने जैसा बने रहने का साहस पाया, चाहे कोई कुछ भी सोचे।

सीख :

“सच्चा विकास चाहे बगीचों में हो या जीवन में, अपने दिल की सुनने के साहस की आवश्यकता होती है, दूसरों की राय की नहीं।”

“आप सबको खुश नहीं कर सकते”

“हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता। आपको इस बात की परवाह न करते हुए, कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, यह स्वीकार करना सीखना होगा।”

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सौभाग्य का रहस्य The Secret of Good Luck

सौभाग्य का रहस्य the secret of good luck

अक्सर हमें लगता है की ‘सौभाग्य’ का कुछ न कुछ रहस्य होता होगा, जो दुनिया के कुछ गिने-चुने लोगो को ही पता है। लेकिन, यह सिर्फ एक गलत फ़हमी से ज़्यादा कुछ भी नहीं है। प्रस्तुत है, “सौभाग्य” की एक सुंदर कहानी।

बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में, एडम और लियो नाम के जुड़वां भाई रहते थे। एक ही परिवार, एक ही बचपन, लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनके व्यक्तित्व बिल्कुल अलग होते गए।

एडम हमेशा शिकायत करता था :

“ज़िंदगी कितनी अन्यायी है। दूसरे लोग हमेशा मुझसे ज़्यादा भाग्यशाली होते है।

लेकिन लियो हमेशा कहता था : “अगर आज मैं भाग्यशाली नहीं हूं, तो मैं बेहतर तैयारी करुंगा, ताकि कल भाग्य का स्वागत कर सकूँ।”

एक दिन, पूरे गाँव में एक अफवाह फैल गई : “कल सुबह-सुबह, जो कोई भी ‘अर्ली मून माउंटेन’ पर चढ़ेगा, उसे ‘ओल्ड मैन ऑफ गुड लक’ से मिलने का मौका मिलेगा। जो भी उनसे मिलेगा, उसकी ज़िंदगी बदल जाएगी।”

यह सुनकर एडम मुस्कुराया : “अगर वह सचमुच मुझे भाग्य देना चाहता है, तो वह खुद मुझे ढूँढ़ने आएगा। मैं भोर में पहाड़ पर चढ़कर खुद को क्यों थकाऊ?”

दूसरी ओर, लियो चुपचाप तैयारी करने लगा : उसने अपने घिसे-पिटे जूतों में तेल लगाया। उसने अपने पुराने कोट पर पैबंद लगाए। उसने एक छोटी बोतल में सूखी रोटी और पानी भर लिया।

वह जल्दी सो गया, ताकि भोर से पहले उठ सके। जब आसमान अभी भी कोहरे से भरा था, लियो जाग गया।

पहाड़ पर चढ़ने का रास्ता फिसलन भरा था, चट्टानें नुकीली थीं, हवा ठंडी थी। वह कई बार लड़खड़ाकर गिरा, उसके घुटने छिल गए, फिर भी वह चढ़ता रहा।

पहाड़ पर आधे रास्ते में, लियो ने एक सफ़ेद बालों वाले, बहुत ही साधारण कपड़े पहने, सड़क किनारे बैठे, हाँफते हुए एक बूढ़े आदमी को देखा। उसके बगल में जलाऊ लकड़ी से लदी एक लकड़ी की गाड़ी थी।

बूढ़े ने थकी हुई आवाज़ में धीरे से कहा : “बेटा, क्या तुम इस गाड़ी को आगे ढलान पर चढ़ाने में मेरी मदद कर सकते हो? बस थोड़ी सी दूरी है।”

लियो ऊपर रास्ते की ओर देख रहा था, और उस सौभाग्यशाली बूढ़े आदमी के बारे में सोच रहा था, जिसके बारे में सब बात करते थे।

अगर उसे देर हो जाती, तो वह अपना मौका गँवा सकता था। लेकिन तभी उसने बूढ़े आदमी के काँपते हाथ देखे और आह भरी : “ठीक है, मैं आपकी मदद करुंगा।”

ढलान छोटी थी, लेकिन गाड़ी को ऊपर धकेलने में काफ़ी समय लगा। लियो की पीठ पसीने से भीग गई।

जब वे आखिरकार ढलान की चोटी पर पहुँचे, तो बूढ़े व्यक्ति ने उसे धन्यवाद दिया : “धन्यवाद, बेटा। तुम्हारे बिना, मुझे नहीं लगता कि मैं यहां तक पहुँच पाता।”

लियो बस मुस्कुराया : “कोई बात नहीं। मुझे चलते रहना होगा, वरना मुझे देर हो जाएगी।”

उसने जल्दी से अलविदा कहा और चढ़ना जारी रखा।

आखिकार, जब वह पहाड़ की चोटी पर पहुँचा, तो सूरज पहले ही उँचा जा चुका था। पहाड़ की चोटी खाली थी, बस हवा और बादल थे। न कोई सौभाग्यशाली बूढ़ा आदमी, न कोई चमत्कार, न कोई ख़जाना।

लियो आह भरते हुए नीचे बैठ गया : “मैं जरुर चूक गया…”

वह वहाँ काफ़ी देर तक बैठा रहा, फिर वापस जाने के लिए उठा। जैसे ही उसने मुड़कर देखा, लियो ने देखा… वही बूढ़ा आदमी, जो पहले था। लेकिन इस बार, उसके कपड़े ज़्यादा चमकीले लग रहे थे, और उसकी आँखे अजीब तरह से साफ़ थीं।

वह मुस्कुराया और लियो की तरफ देखा : “बेटा, तुम किसे ढूँढ़ रहे हो?”

“मैं… मैं यहाँ सौभाग्यशाली बूढ़े आदमी से मिलने आया था। लेकिन मुझे लगता है, मैं बहुत देर से आया हूँ।

बूढ़ा आदमी ज़ोर से हँस पड़ा : “अगर तुम देर से आए हो… तो कोई भी कभी समय पर नहीं आया। क्योंकि, मैं वही सौभाग्यशाली बूढ़ा हूँ, जिसे तुम ढूँढ़ रहे हो।”

लियो की आँखें चौड़ी हो गई : “क्या? फिर आप… लकड़ी की भारी गाड़ी लेकर थके हुए बूढ़े आदमी होने का नाटक क्यों कर रहे थे?”

बूढ़े आदमी ने उसकी आँखों में गहराई से देखा और धीरे से बोला :

“सौभाग्य अक्सर किसी ऐसे व्यक्ति का रुप धारण कर लेता है, जिसे मदद की जरुरत होती है।”

“सौभाग्य अक्सर उन कामों में छिपा होता है, जिन्हें कोई नहीं करना चाहता।”

“सौभाग्य अक्सर उन थकाऊ चढ़ाई वाले रास्तों में छिपा होता है, जहाँ लोग आधे रास्ते में ही हार मान लेते हैं।”

वह एक पल रुका, फिर पूछा : “अगर पहले तुमने सिर्फ़ अपने बारे में सोचा होता और मुझे लकड़ी की गाड़ी के साथ छोड़ दिया होता, तो क्या तुम्हें लगता है कि मैं अब तुम्हारे सामने इस तरह खड़ा होता?”

लियो चुप रहा।

बूढ़ा आदमी धीरे से मुस्कुराया : “लोग अक्सर सोचते हैं कि भाग्य आसमान से बरसने वाला तोहफ़ा है।

लेकिन सच तो यह है कि भाग्य सिर्फ़ उन्हीं को मिलता है जो :

लंबी दूरी से नहीं डरते।

कठिनाई से नहीं डरते।

जब किसी को मदद की जरुरत हो तो मुँह नहीं मोड़ते।

सौभाग्य कभी देर नहीं करता। बस हम… गलत या छोटा रास्ता अपनाते हैं, हार मान लेते हैं, या बहुत जल्दी पीछे हट जाते हैं।”

फिर बूढ़े आदमी ने लियो को एक छोटी सी थैली दी। अंदर… एक छोटा सा बीज था।

लियो के निराश भाव देखकर वह हँसा : “यही एकमात्र उपहार है, जो भाग्य दे सकता है : अवसर का बीज।

यह पेड़ बनेगा या नहीं, फल देगा या नहीं… यह तुम्हारे अपने हाथों और तुम्हारी लगन पर निर्भर करता है, मुझ पर नहीं।”

जब लियो गाँव वापस आया, तो सब लोग पूछने के लिए इकठ्ठा हो गए : “क्या तुम उस सौभाग्यशाली बूढ़े आदमी से मिले थे?”

“उसने तुम्हें क्या दिया? सोना? चाँदी? जवाहरात?”

लियो बस मुस्कुराया और अपना हाथ खोला। उसकी हथेली में एक छोटा सा बीज था।

एडम ने उसे देखा और उपहास किया : “तुम एक पूरा पहाड़ चढ़ गए, और वापस सिर्फ़ एक बीज लाए? क्या बदकिस्मती है।”

लेकिन लियो ने कोई बहस नहीं की। उसने घर के पीछे मिट्टी का एक अच्छा टुकड़ा ढूँढ़ा, बीज बोया और उसे हर दिन पानी दिया।

तपती धूप में भी, वह उसे पानी देता रहा। हल्की बारिश में भी, वह उसे देखने बाहर जाता रहा।

महीने दर महीने, पेड़ ऊँचा होता गया, उसकी शाखाएँ चौड़ी होती गईं, और एक दिन वह फलों से लद गया। फल मीठे और सुगंधित थे, और जल्द ही व्यापारी खरीदने और बेचने के लिए वहाँ उमड़ पड़े।

लियो, जो कभी एक गरीब युवक था, अब अमीर हो गया है और कई लोगों की मदद कर पाया है।

लोग हैरान होकर कहने लगे : “लियो कितना भाग्यशाली है।”

लियो ने अपने घर के सामने लगे बड़े पेड़ की ओर देखा और धीरे से मुस्कुराया। “भाग्य… बस यही नाम है, जो लोग द्रढ़ता, दयालुता और उन कठिन परिस्थितियों को देते हैं, जिनसे हम सब बचना चाहते है।”

कहानी की सीख

सौभाग्य यह नहीं है :

मुफ़्त में कुछ मिलना।

चुपचाप बैठे रहना और अवसर के अपने दरवाज़े पर दस्तक देने का इंतज़ार करना।

सौभाग्य अक्सर इस रुप में प्रकट होता है :

एक थकाऊ, खड़ी पहाड़ी।

एक व्यक्ति, जिसे मदद की जरुरत है।

एक ऐसा काम, जिसे करने में दूसरे सभी लोग बचते हैं।

एक छोटा सा बीज, जो… लगभग बेकार लगता है।

सौभाग्य का रहस्य यह है :

“जब आप वो काम करने को तैयार होते हैं, जिसे करने से दूसरे लोग बचते हैं, तो आपको वो चीजें मिलेंगी, जो दूसरों को कभी नहीं मिलेंगी।”

अगर आप अभी संघर्ष कर रहे हैं,

अगर आप “आधे रास्ते पर” हैं,

अगर आप अपनी ज़िंदगी में किसी तरह की “लकड़ी की गाड़ी” धकेल रहे हैं…

कौन जाने?

हो सकता है की, सौभाग्य का बूढ़ा आदमी, आप जितना सोचते है, उससे कहीं ज़्यादा आपके करीब हो।

कुछ विशिष्ट शब्दों के अर्थ :

अफवाह : उड़ाई हुई ख़बर, बिना पुष्टि (अपुष्ट) के समाचार, किसी घटना का ऐसा समाचार, जो प्रामाणिक न होने पर भी जन-साधारण में फैल गया हो। झूठी ख़बर, बे-बुनियाद बात, लोकवाद, जनश्रुति, लोकोक्ति

पैबंद : कपड़े या चमड़े के फटे हुए अंश (हिस्से) को बंध करने या ढकने के लिए लगाया गया कपड़ा या टुकड़ा। इसे “पैच” भी कहते है।

भोर : सूर्योदय के पूर्व की स्थिति, प्रातःकाल, सुबह-सबेरे। सुबह का वह समय है, जब सूरज निकलने से पहले हल्की रोशनी फैलने लगती है।

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article में ‘सौभाग्य का रहस्य‘ की जो बात की गई है, वह आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। अगर आपको ये Article से प्रेरणा मिली हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरुर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

मुल्ला नसरुद्दीन की सदाबहार 11 हास्य कहानियाँ Mulla Nasaruddin’s Famous 11 Funny Stories in hindi

मुला नसरुद्दीन की सदाबहार कहानियाँ 1024x538

प्राचीन फ़ारसी लोक चरित्र मुल्ला नसरुद्दीन की लघु और सदाबहार हास्य कहानियाँ।

(1). मछली तो फंस चुकी

मुल्ला नसरुद्दीन की सदाबहार हास्य कहानियाँ Mulla Nasaruddins Evergreen Funny Stories In Hindi1

एक सल्तनत का वज़ीर मर गया। सुल्तान को अपनी रियाया की बड़ी फिक्र रहती थी। उसने अपने आदमियों से कहा, ‘ऐसा कोई काबिल आदमी ढूंढ़ कर लाओ, जिसने गुर्बत देखी हो, जो अपनी जड़ों से जुड़ा हो और तकलीफ के दिनों को भुला न बैठा हो। हम ऐसे ही किसी शख्स को अपना नया वज़ीर मुकर्रर करेंगे।’

यह बात किसी तरह मुल्ला नसरुद्दीन के कानों तक पहुंच गई। उसने कहीं से मछली पकड़ने का एक पुराना जाल हासिल किया और उसे पगड़ी की तरह सिर पर लपेटकर घूमने लगा। सुल्तान के आदमियों की नज़र मुल्ला नसरुद्दीन पर पड़ी। उन्होंने उससे उसकी इस अजीबो-गरीब पगड़ी के बारे में पूछा।

मुल्ला नसरुद्दीन ने नवाब दिया, ‘यह जाल वही है, जिससे मछली पकड़ कर हमारे दादा हुजूर ने हमारी दो पीढ़ियों की परवरिश की। मैं उन गुर्बत और तकलीफ के दिनों को भूल न जाऊं, इसीलिए इस जाल को इज्ज़त से पगड़ी की तरह पहने रहता हूं।’ जाहिर था, बात सुल्तान तक पहुंचनी ही थी।

सुल्तान ने मुल्ला नसरुद्दीन को बुलाया और अपना वज़ीर मुकर्रर कर दिया।

पहले दिन मुल्ला नसरुद्दीन जब कचहरी में जाकर बैठे, तो लोगों ने देखा, उसने ठीक वज़ीरों जैसा कमख़ाब का चोगा पहन रखा है और उसके सिर पर शानदार जड़ाऊ पगड़ी रखी है। किसी ने पूछा, ‘मुल्ला, तुम्हारी उस जाल वाली पगड़ी का क्या हुआ?’ मुल्ला नसरुद्दीन ने जवाब दिया, ‘उसकी जरुरत ही क्या है, मछली तो फंस चुकी।’

(2). बेवकूफ कौन

बेवकूफ कौन

मुल्ला नसरुद्दीन की शोहरत इतनी ज्यादा हो चली थी कि आसपास के इलाकों में उनसे जलने वाले भी कम नहीं थे। वह जितना बेहतर करते, कुछ लोग उतनी ही जलन रखते।

पड़ोसी कस्बे का एक शख्स बहुत जल-भुन कर इस नतीजे पर पहुंचा कि अब बहुत हो गया, क्यों न मुल्ला के घर ही पहुंचकर उनके इल्म से दो-दो हाथ कर लिए जाएं। मुल्ला को पता लगा कि कोई शख्स उन्हें मात खिलाने को उतावला रहा है तो अच्छे मेजबान की तरह उन्होंने पहल की और खुद ही उसे अपने घर आने का न्योता भेज दिया।

वो शख्स मुल्ला से बहस के लिए उनके घर पहुंचा तो उसने दरवाजे पर ताला लगा पाया। मुल्ला को घर पर न पाकर वह आग-बबूला हो उठा और कहने लगा, ‘मुझे घर बुलाकर खुद गायब हो गया कायर।’ जाते-जाते वो उनके दरवाजे पर लिख गया, ‘बेवकूफ।’

जब मुल्ला लौटकर आए तो उन्होंने अपने दरवाजे पर ‘बेवकूफ’ लिखा देखा और उलटे पांव उस शख्स के घर रवाना हो गए। वहां पहुंचकर उन्होंने दरवाजा बजाया। दरवाजा खुलते ही मुल्ला ने कहा, ‘जनाब, आप मेरे यहां आए थे बहस के लिए, अफसोस ! उस वक्त मैं घर पर नहीं था। दरअसल, ‘मैं बहस की बात ही भूल गया था, लेकिन दरवाजे पर आपके दस्तखत देखते ही मुझे याद आ गया और मैं चला आया।’

(3). खैरात का हक

मुल्ला नसरुद्दीन की सदाबहार हास्य कहानियाँ Mulla Nasaruddins Evergreen Funny Stories In Hindi

न चाहकर भी मुल्ला नसरुद्दीन को यह दिन देखने पड़े। पड़ोसी से पैसे मांगने की जरुरत पड़ गई। वह भी बहाने के साथ।

मुल्ला नसरुद्दीन ने पड़ोसी से कहा, ‘तुम मुझे कुछ पैसे खैरात में दे दो। मैं यह पैसा जरुरतमंदों के लिए जोड़ रहा हूं।’ पड़ोसी भी दरियादिल इंसान था, उसने देर नहीं की। खैरात देते हुए जब उसने जरुरतमंद का नाम जानना चाहा तो मुल्ला ने झट से पैसे जेब में डाले और रफूचक्कर होते हुए कहा, ‘वो जरुरतमंद मैं ही हूं।’

दो महीने बाद फूटी तकदीर मुल्ला को फिर उसी पड़ोसी की चौखट पर ले आई। इस बार पड़ोसी उसकी बात में फंसने वाला नहीं था, उसने कहा, ‘तुम मुझे दुबारा बेवकूफ नहीं बना सकते, तुम सिर्फ अपने लिए पैसे जोड़ते हो।’ मुल्ला ने सफाई दी, ‘मैं कसम खाकर कह रहा हूं, इस बार तो मैं कर्जा उतारने को मांग रहा हूं।’ पड़ोसी को उस पर रहम आ गया। उसने पैसे देते हुए कहा, ‘ऐसा फिर किसी के साथ मत करना।’ मुल्ला से चुप न रहा गया। वह बोल पड़ा, ‘तुमने मुझ जरुरतमंद को पैसे दिए हैं तो फिर मैं ऐसा किसी और के साथ क्यों करुंगा !’

(4). कुऐं से निकला चांद

कुऐं से निकला चांद

रात का समय था। मुल्ला नसरुद्दीन एक कुऐं के पास से गुजर रहे थे। एकाएक उन्हें क्या सुझा कि वह कुऐं में झांकने लगे। पानी में चमकता चांद देख उन्हें काफी दुःख हुआ। ‘बेचारा कुऐं में गिर गया।’ मुल्ला ने सोचा और थान ली कि उसे कुऐं से निकाल कर ही रहेंगे।

वह कहीं से एक रस्सी ले आए और उसे कुऐं में डाल दिया। मुल्ला रस्सी हिलाते जाते और ताज्जुब करते जाते कि चांद आखिर कुऐं में गिरा कैसे? मुल्ला की मेहनत बेकार नहीं गई। रस्सी में चांद तो नहीं, एक पत्थर जरुर अटक गया। मुल्ला ने सोचा चांद है। उन्होंने ताकत लगाकर रस्सी खींचनी शुरु की। रस्सी में खिंचाव आया। पत्थर थोड़ी देर तक उठा, फिर गिर गया। उधर रस्सी का दूसरा छोर खींच रहे मुल्ला भी पीठ के बल जमीन पर जा गिरे।

गिरते ही उन्हें चांद-तारे नज़र आ गए। आसमान में चांद देखते ही उन्होंने खुद से कहा, ‘ओह! आखिर मैंने चांद को कुऐं से निकाल ही लिया।

(5). सर कैसे काटता

सर कैसे काटता

तुर्की की फौज का डेरा एक बार उस कस्बे में रहा जहां मुल्ला नसरुद्दीन रहा करते थे। सिपाहियों को देख गांव वाले भी इकठ्ठा हो जाते। कोई उनके कपड़े देखता तो कोई उनके हथियार घूरता। भीड़ देख मामूली सिपाही भी रौब-दाब में आ जाता। रात को अलाव जलाए सिपाही गांव वालों का दिल बहलाने के लिए अपनी बहादुरी के किस्से बढ़ा-चढ़ाकर सुना रहे थे।

कोई सिपाही बताता कैसे उसने दस-दस ऊंट वाले सिपाही ठिकाने लगा दिए तो कोई बताता कि कैसे वह अकेला ही पूरी फौज का खात्मा कर आया। गांव वाले तो सिर हिला-हिलाकर सिपाहियों के ‘झूठ’ भी सच मान रहे थे, लेकिन मुल्ला नसरुद्दीन देर तक यह बर्दाश्त नहीं कर पाया और बोल पड़ा, ‘मेरे पास भी बहादुरी का एक किस्सा है, जो मैं सुनाना चाहता हूं।’

मुल्ला नसरुद्दीन के मुंह से यह निकलते ही सिपाही और गांव वाले यकायक उसकी और देखने लगे। मुल्ला ने उन्हें सुनाया, ‘एक दिन कुछ दुश्मनों ने गांव पर हमला कर दिया तो मैंने एक दुश्मन की टांगे काटकर उसे बादशाह के दरबार में हाजिर किया। इस पर मुझे इनाम में दस सोने की मोहरें मिली।’ यह सुनते ही एक सिपाही बोला, ‘तुम बेवकूफ थे, टांगों की जगह सर काट लेते तो दस की जगह पूरी सौ मोहरें मिलती।’ मुल्ला ने तपाक से जवाब दिया, ‘कैसे काटता! उसका सर बादशाह हुजूर के सिपाही पहले ही काट ले गए थे।’

(6). अजीब शहर

अजीब शहर 1

एक दिन किसी काम से मुल्ला नसरुद्दीन को किसी दूसरे शहर जाना पड़ा। वह तिजारत के लिए वहा गए थे, लेकिन वो शहर उन्हें अपने माफिक नहीं लग रहा था। उखड़े-उखड़े मुल्ला उस अनजान शहर में रात को गुजर रहे थे। तभी एक कुत्ता उन्हें देखकर भौंकने लगा। कुत्ता भगाने पर भी नहीं भाग रहा था और लगातार उन पर भौंके जा रहा था। मुल्ला से जब नहीं रहा गया तो उन्होंने गुस्से में उसे मारने के लिए एक पत्थर उठाना चाहा, पर वह पत्थर टस से मस नहीं हुआ।

होता भी कैसे, जमीन में जो धंसा था। अब मुल्ला झुंझलाए और आगे बढ़ चले, ‘क्या अजीब शहर है, यहां कुत्ते आजादी से भौंक रहे हैं और पत्थरों को जमीन में जमा दिया।’

(7). कयामत का दिन

कयामत का दिन

मुल्ला नसरुद्दीन के पास एक भरीपूरी भेड़ थी। अच्छी सेहत की वजह से वह लोगों की ललचाई निगाह में बनी रहती थी।

एक दिन मुल्ला के नजदीकियों ने चालाकी से काम लिया और मुल्ला को बताया कि, ‘क्या तुम्हें पता है, कल दुनिया खत्म होने जा रही है। क्यों न रहे-रहे लम्हों को जश्न में बिता लिया जाए।’ मुल्ला को भी यह बात जंची। उनकी ‘हा’ होते ही एक बोल पड़ा, ‘क्यों न हम यह जश्न नदी किनारे रखें, आप अपनी भेड़ ले आना, हम शराब लाएंगे।’ मुल्ला भी राजी हो गए और बोले, ‘ठीक है, आप लोग अपने बेहतर कपड़ो में आना।’

दूसरे दिन दावत और जश्न के लिए वे सब अपने शानदार कपड़े लेकर नदी के किनारे जमा हुए। मुल्ला ने इस मौके पर अपनी भेड़ को काटा और उसे भुनने रख दिया। सब ने सोचा कि जब तक भेड़ आग पर सिंक रही है, क्यों न नहा लिया जाए। इधर मुल्लाने सब के नए कपड़े समेटकर आग के हवाले कर दिए।

उधर जब सभी लोग नहाकर निकले तो देखा कि उनके किनारे पर रखे हुए कपड़े गायब हैं। उन्होंने मुल्ला से पूछा, ‘हमारे कपड़े कहां हैं?’ मुल्ला ने जवाब दिया, ‘मैंने उन्हें भेड़ सेंकने आग के हवाले कर दिया।’ यह सुनते ही सकत में आए लोग रो-रोकर कहने लगे, ‘तुमने ऐसा क्यों किया। अब हम बिना कपड़ो के कैसे बाहर निकलें, क्या करें?’ मुल्ला ने एक झटके में सबका मसला हल कर दिया। उसने कहा, ‘जब दुनिया कल खत्म हो रही है तो आप लोग कपड़ो का क्या करेंगे?’

(8). यह तो अच्छा हुआ कि…

यह तो अच्छा हुआ कि

सुल्तान से तोहफे में मिली जमीन से मुल्ला नसरुद्दीन खूब फायदा उठाए जा रहे थे। पिछले दफे उन्होंने खजूर लगाए और अच्छी आमद पर टोकरी भरकर सुल्तान को दी। मीठे खजूर खाकर सुल्तान बेहद खुश हुए की मुल्ला ने जमीन और सुल्तान दोनों का अच्छा ख्याल रखा है।

इस बार मुल्ला नसरुद्दीन ने खजूर नहीं तरबूज बोए। फसल अच्छी आई तो उन्होंने सोचा कि, क्यों न सुल्तान के यहां बोरा भरकर तरबूज दे आऊं। जब वह बोरा उठाए जा रहे थे तो रास्ते में उन्हें अपना पुराना हमदर्द दोस्त मिल गया जो कभी-कभार उन्हें नेक सलाह दे दिया करता था। दोस्त ने पूछा, ‘कहां जा रहे हो? यह बोरी भरे तरबूज लेकर।’ मुल्ला ने कहा, ‘सुल्तान को तोहफे में देने जा रहा हूं।’ दोस्त बोला, ‘तुम मूर्ख हो ! भला सुल्तान इतने सारे तरबूजों का क्या करेगा? फिर तरबूज भी कोई तोहफे में देने की चीज है। अरे तुम तोहफा देना ही चाहते हो तो कोई अच्छी चीज दो। क्यों नहीं लाल फूल दे देते।’

मुल्ला नसरुद्दीन ने सोचा कि दोस्त सही कह रहा है, वाकई फूल अच्छा तोहफा साबित होंगे? उन्होंने फूलों का गुच्छा तैयार करवाया और लेकर पहुंच गए सुल्तान के दरबार में। यह मुल्ला की बदनसीबी ही थी कि उस वक्त सुल्तान का दिमाग ठीक नहीं था। वह किसी बात से बेगम पर भड़क तो रहे थे पर अपना गुस्सा नहीं उतार पा रहे थे। तभी उनकी नज़र मुल्ला के गुलदस्ते पर पड़ी। और उन्होंने फूल छीनकर उसी के मुंह पर दे मारे। सुल्तान का मिजाज भांपते ही मुल्ला ने अब वहां से चुपचाप खिसकने में ही खैरियत समझी। रास्ते भर अपनी तकदीर का शुक्रिया अदा किए जा रहे मुल्ला सितारों की ओर हाथ उठा-उठाकर कहे जा रहे थे, ‘वो तो अच्छा हुआ जो रास्तें में दोस्त मिल गया और उसने तोहफे में फूल देने की सलाह दे डाली। अगर उसकी न मानकर मैं बोरी भरे तरबूज ले जाता तो वह सब मेरे मुंह पर पड़ते, मैं तो मर ही जाता।’

(9). मामूली-सा कर्ज़

मामूली सा कर्ज़

मुल्ला नसरुद्दीन को कर्ज़ देने वाला दुकानदार कई दिन से इस फिराक में था कि, कब मुल्ला नज़र आए और वह तकाजा पूरा करे।

एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन कन्नी काटकर बाज़ार से गुजर ही रहे थे कि अचानक दुकानदार जोर से चिल्लाया, ‘मुल्ला ! मुल्ला ! तुम मेरा कर्ज़ चुकाने में नाकाम रहे हो।’ यह सुनकर मुल्ला को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। उन्हें लानत-सा महसूस हुआ। पर सब्र बांधकर उन्होंने अपना दिमाग दौड़ा ही दिया। मुल्ला ने दुकानदार से बड़े अदब के साथ पूछा, ‘मेरे अजीज ! बताओ तो जरा, मुझे कितना कर्ज़ चुकाना है?’

दुकानदार ने याद दिलाया, ‘पचहत्तर सोने के सिक्के।’ दुकानदार को गुस्सा आए जा रहा था पर तभी मुल्ला जोर से बोलने लगे, ‘आप जानते हैं मैं पैंतीस सिक्के तो कल दूंगा और बाकी पैंतीस अगले महीने।’ अब रह गए केवल पांच? इसका मतलब है मैं अभी केवल तुम्हारे पांच सिक्को का कर्ज़दार हूं और पांच सिक्कों के लिए इतना हल्ला !’

(10). ज़्यादा गलत

ज़्यादा गलत

कोई महेमान बनकर मुल्ला नसरुद्दीन के यहाँ रुका और उनके चाहने पर भी जाने का नाम नहीं ले रहा था। मुल्ला के ताल्लुक उससे अब मीठे नहीं, बल्कि झुंझलाहट भरे हो चले थे।

एक रात उस महेमान को गुसलखाना जाना था। अंधेरे की वजह से उसने मुल्ला से कहा, ‘तुम मुझे वह चिराग दे दो, जो तुम्हारे उल्टे हाथ की तरफ रखा है।’ खार खाए बैठे मुल्ला ने जवाब दिया, ‘क्या तुम पागल हो ! मेरे उल्टे हाथ की तरफ सीधे हाथ के मुकाबले ज़्यादा अंधेरा है।’

(11). बेमौके के ढोल

बेमौके के ढोल

न तो कोई ईद थी, न कोई ऐसी खुशी का मौका कि ढोल पीटा जाए, लेकिन मुल्ला नसरुद्दीन के हाथ थे कि रोके नहीं रुक रहे। बस दिए जा रहे थापें। उनके ढोल की बे-मौकाई आवाज ने पड़ोसियों को भुना दिया।

एक पड़ोसी जो जानता था कि मुल्ला नसरुद्दीन को ढोल अच्छा बजाना आता है, पर इस समय क्यों बजा रहा है? यह जानने उन तक आया। घरों से और लोग भी जानना चाहते थे कि वहां आखिर हो क्या रहा है? पड़ोसी ने कहा, ‘तुम बिना मौके पागलों की तरह ढोल क्यों पीटे जा रहे हो?’

मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, ‘मैं जंगली शेरों को दीवार के दूसरी तरफ ही रहने देना चाहता हूं, इसलिए ढोल बजा रहा हूं।’ पड़ोसी ने फिर पूछा, ‘पर मुल्ला अपने इलाके में तो दूर-दूर तक कोई शेर है ही नहीं।’

मुस्कुराकर मुल्ला ने कहा, ‘इससे क्या? कोई भी काम अच्छे से करना आना चाहिए, है न !’

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article में लिखी मुल्ला नसरुद्दीन की लघु और सदाबहार हास्य कहानियाँ पढ़कर आपको ख़ुशी हुई होगी। अगर आपको ये Article की कहानियाँ पढ़कर मझा आया हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह कहानियाँ जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

10 श्रेष्ठ प्रेरक कहानियाँ 10 Best Inspirational Story in hindi

लघु बोध कथाएँ Moral Short Stories In Hindi 1024x538

प्रेरक कहानियाँ बच्चों को सुलाने से पहले का सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। ये हमारे तनाव को दूर करने के सबसे अच्छे तरीके में से एक है। ये न सिर्फ़ आपको सुकून के पल देती है, बल्कि आपके जीवन में सार्थक बदलाव भी लाती है।

इन प्रेरक कहानियों से आपको अनमोल सबक मिलेंगे, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में आपकी मदद कर सकती है। यहाँ, जीवन के कुछ ऐसे मार्मिक सबक दिए गए है, जो आपके दिल को छू लेंगे और आपकी आत्मा को प्रेरित करेंगे।

(1). रेगिस्तान

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एक बार दो मित्र साथ-साथ एक रेगिस्तान में चले जा रहे थे। रास्ते में दोनों में कुछ तू-तू, मैं-मैं हो गई। बहसबाज़ी में बात इतनी बढ़ गई कि उनमें से एक मित्र ने दूसरे के गाल पर जोर से झापड़ पड़ा उसे दुःख तो बहुत हुआ, किंतु उसने कुछ नहीं कहा। वह झुका और उसने वहां पड़े बालू पर लिख दिया, ‘आज मेरे सबसे निकटतम मित्र ने मुझे झापड़ मारा।’

दोनों मित्र आगे चलते रहे और उन्हें एक छोटा-सा पानी का तालाब दिखा और उन दोनों ने पानी में उतरकर नहाने का निर्णय कर लिया। जिस मित्र को झापड़ पड़ा था, वह दलदल में फंस गया और डूबने लगा, किंतु उसने मित्र ने उसे बचा लिया। जब वह बच गया तो बाहर आकर उसने एक पत्थर पर लिखा, ‘आज मेरे निकटतम मित्र ने मेरी जान बचाई।’ जिस मित्र ने उसे झापड़ मारा था और फिर उसकी जान बचाई थी, से न रहा गया और उसने पूछा, ‘जब मैंने तुम्हें मारा था तो तुमने बालू में लिखा और जब मैंने तुम्हारी जान बचाई तो तुमने पत्थर पर लिखा, ऐसा क्यों?’

इस पर दूसरे मित्र ने उत्तर दिया, ‘जब कोई हमारा दिल दुखाए तो हमें उस अनुभव के बारे में बालू में लिखना चाहिए, क्योंकि उस चीज़ को भुला देना ही अच्छा है, क्षमा रुपी वायु शीघ्र ही उसे मिटा देगा। किंतु जब कोई हमारे साथ कुछ अच्छा करे, हम पर उपकार करे तो हमें उस अनुभव को पत्थर पर लिख देना चाहिए, जिससे कि कोई भी जल्दी उसको मिटा न सके।’

(2). पायथागोरस

पायथागोरस

पायथागोरस एक छड़ी का उपयोग करके रेत पर अपने पायथागोरस प्रमेय का प्रदर्शन करते हुए।

यूनान के एक घर में एक ग़रीब लड़का लकड़ियों का गटठर बहुत कलात्मक ढंग से बना रहा था। तभी वहां से तत्वज्ञानी ‘डिमोक्रिट्स’ गुज़रा और लड़के के इस कौशल को देखकर बड़ा प्रभावित हुआ। उसने लड़के से पूछा – ‘क्या तुम ऐसा फिर से गटठर बना सकते हो’, लड़के ने उत्तर दिया, जी अवश्य और उसने पुनः वैसा ही गटठर बना दिया। डिमोक्रिट्स उसकी प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए और उसे अपना शिष्य बना लिया। उसे शिक्षित, प्रशिक्षित किया। यह लड़का बड़ा होकर प्रसिद्ध गणितज्ञ ‘पायथागोरस’ कहलाया।

(3). अब आप क्या खाएंगे?

Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंदजी के जीवन की यह एक घटना है। भ्रमण करने एवं प्रवचनों के बाद स्वामी विवेकानंदजी अपने निवास स्थान पर आराम करने के लिए लौटे हुए थे। उन दिनों वे अमेरिका में ठहरे हुए थे और अपने ही हाथों से भोजन बनाते थे।

एक दिन वे भोजन करने की तैयारी कर ही रहे थे की कुछ बच्चे उनके पास आकर खड़े हो गए। उनके अच्छे व्यवहार के कारण बहुत बच्चे उनके पास आते थे। वे सभी बच्चे भूखे मालूम पड़ रहे थे। स्वामीजी ने अपना सारा भोजन बच्चों में बांट दिया। वहीं पर एक महिला बैठी ये सब देख रही थी। उसने बड़े आश्चर्य से पूछा, “आपने अपनी सारी रोटियां तो इन बच्चों को दे डाली, अब आप क्या खाएंगे?”

स्वामीजी मुस्कुराते हुए बोले, “रोटी तो मात्र पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। यदि इस पेट न सही तो उनके पेट में ही सही। आख़िर वे सब भगवान के अंश ही तो है। देने का आनंद, पाने के आनंद से बहुत बड़ा है।” अपने बारे में सोचने से पहले दूसरों के बारे में सोचना ज़्यादा आनंददायी होता है।

(4). न्याय के लिए…

Silver Flower Vase

फ़ादर जोनाथन अपनी धर्मनिष्ठा और उदारता के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार उनके घर से चांदी का एक क़ीमती फूलदान ग़ायब हो गया। उनकी पत्नी कैरोलिन ने इसकी शिकायत करते हुए अपनी नौकरानी सामंथा पर शक जताया। फ़ादर जोनाथन ने सुनकर अनसुना कर दिया। पत्नी ने इस मामले को धर्म न्यायालय में ले जाने को कहा, फ़ादर जोनाथन धर्म न्यायालय में ले जाने के पक्ष में नहीं थे, पर पत्नी के दबाव के कारण उन्होंने अपना चोंगा उठाया और चर्च को जाने लगे। पत्नी ने कहा, “आप रहने दीजिए, मैं देख लूंगी !”

फ़ादर जोनाथन ने कहा, “माना कि तुम्हें हर चीज़ की जानकारी है और तुम वहां ढंग से वाद-विवाद भी कर लोगी, पर सामंथा तो अनपढ़ है, वे संभव से भी अति सरल अव्यावहारिक है, अतः में उसका पक्ष वहां रखूंगा। यदि वह दोषी है तो उसे दंड मिले, पर निर्दोष हुई तो मैं उसे छुड़ाने में कोई क़सर नहीं छोडूंगा।”

फ़ादर जोनाथन के इस कथन को सुनकर कैरोलिन को भी लगा कि सामंथा निर्दोष हो सकती है और केवल शंका के आधार पर उसे अपराधी मान लेना उचित नहीं है और उसने धर्म न्यायालय जाने का विचार बदल दिया।

(5). क़ीमत

Lord Buddha

एक व्यक्ति ने भगवान बुद्ध से पूछा, “जीवन का मूल्य क्या है?” बुद्ध ने उसे एक चमकता पत्थर दिया और कहा, “इसका मूल्य पता करके आ, लेकिन ध्यान रखना, इसको बेचना नहीं है।

वह आदमी बाज़ार में एक संतरे वाले के पास गया और उसे पत्थर दिखते हुए उसकी क़ीमत पूछी। संतरे वाला चमकीले पत्थर को देखकर बोला, “12 संतरे ले जा और यह मुझे दे दे।” आगे एक सब्जी वाले ने उस पत्थर की क़ीमत एक बोरी आलू लगाई। आगे एक सब्जी वाले ने उस पत्थर की क़ीमत एक बोरी आलू लगाई। इसके बाद वह एक सोना बेचने वाले के पास गया। उसे पत्थर दिखाया तो उसने झट कहा, “50 लाख में मुझे बेच दे।” उसने मना कर दिया तो सुनार बोला, “2 करोड़ में दे दे या बता इसकी क़ीमत, जो मांगेगा वह दूंगा तुझे।” उस आदमी ने सुनार से कहा, “मेरे गुरु ने इसे बेचने से मना किया है।”

आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया। जौहरी ने जब उस बेशक़ीमती रुबी को देखा, तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपड़ा बिछाया फिर, उस बेशक़ीमती रुबी की परिक्रमा लगाई, माथा टेका।

फिर जौहरी बोला, “कहां से लाया है ये बेशक़ीमती रुबी? सारी कायनात, सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी क़ीमत नहीं लगाई जा सकती।” वह आदमी हैरान-परेशान सीधे बुद्ध के पास आया। उन्होंने पूरी कहानी सुनाई और बोला, “अब बताओ भगवान, मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?”

बुद्ध बोले, “संतरे वाले ने इस पत्थर की क़ीमत 12 संतरे बताई, सब्जी वाले ने 1 बोरी आलू, सुनार ने 2 करोड़ और जौहरी ने इसे ‘बेशक़ीमती’ माना। ठीक यही स्थिति तुम्हारे जीवन की भी है। तू बेशक हीरा है, लेकिन ध्यान रखना कि सामने वाला तेरी क़ीमत अपनी क्षमता, अपनी जानकारी और अपनी समझ से ही लगाएगा। जीवन का मूल्य समझ आने के बाद उसने महात्मा बुद्ध को प्रणाम किया और चुपचाप वहां से चल दिया।

(6). प्रधानमंत्री पद मुझे नहीं चाहिए

च्युआंग जू

चीन के महान दार्शनिक च्युआंग जू एक दिन नदी किनारे अपूर्व मस्ती में बैठे थे। तभी वहां से राजा, दरबारियों के साथ गुज़रे। उन्होंने च्युआंग जू को देखा और उसने बातचीत की। राजा उनके ज्ञान और विद्वता से बहुत प्रभावित हुए। महल पहुंचते ही राजा ने दूत भेज कर उनको निमंत्रण भिजवाया। च्युआंग जू राजमहल पहुंचे तो राजा ने उनका स्वागत करते हुए कहा, “मैं आपके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हूं। मुझे विश्वास है कि आप इस राज्य के लिए बड़े महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं, इसलिए मैं आपको इस राज्य के प्रधानमंत्री का पद देना चाहता हूं।”

च्युआंग जू दार्शनिक राजा की बात बड़े मनोयोग से सुन रहे थे। साथ ही राजा के कक्ष में इधर-उधर नज़र भी दौड़ा रहे थे। अचानक ही दार्शनिक की दॄष्टि राजा के कक्ष में मृत कछुए के कलेवर पर प पड़ी। दार्शनिक ने राजा से बड़ी विनम्रता से कहा, “मैं आपके प्रस्ताव के संबंध में हां या ना कहने से पहले आपसे कुछ पूछना चाहता हूं।” राजा ने प्रसन्नचित्त होकर कहा, “पूछिए।” दार्शनिक ने कहा, “आपके इस कक्ष में जो यह कछुए का कलेवर पड़ा है, अगर इसमें फिर से प्राणों का संचार हो जाए तो क्या यह कछुआ आपके इस सुसज्जित महल में रहना पसंद करेगा?” राजा ने कहा, “नहीं। यह तो पानी का जीव है, पानी में ही रहना चाहेगा।”

मुस्कुराकर च्युआंग जू ने कहा, “तो क्या मैं इस कछुए से भी ज़्यादा मूर्ख हूं, जो अपना आनंदपूर्ण, आज़ाद जीवन छोड़कर यहां आप के महल में परतंत्रता और ज़िम्मेदारियों के कांटे का ताज पहनकर जीने को तैयार हो जाऊंगा? बंधन में बांधने वाला यह प्रधानमंत्री पद मुझे नहीं चाहिए।” दार्शनिक के विचार सुनकर राजा ने दार्शनिक का अभिवादन करते हुए कहा, “आप विचारों से ही नहीं, आचरण से भी पूर्ण दार्शनिक है।”

(7). सुंदरता को जानो !

मेरी बुडनाल्ड

संगीतकार गार्ल्फ़्रड के पास उसकी एक शिष्या अपने मन की व्यथा कहने गई कि वह कुरुप होने के कारण संगीत मंच पर जाते ही यह सोचने लगती है कि दूसरी आकर्षक लड़कियों की तुलना में उसे दर्शक नापसंद करेंगे और हंसी उड़ाएंगे। यह विचार आते ही वह सकपका जाती है और गाने की जो तैयारी घर से करके ले जाती है, वह सब गड़बड़ा जाता है। घर पर वह मधुर गाती है, इतना मधुर जिसकी हर कोई प्रशंसा करे, पर मंच पर जाते ही न जाने उसे क्या हो जाता है कि हक्का-बक्का होकर वह अपनी सारी प्रतिभा गंवा बैठती है।

गार्ल्फ़्रड ने उसे एक बड़े शीशे के सामने खड़े होकर अपनी छवि देखते हुए गाने की सलाह दी और कहा, “वस्तुतः तुम कुरुप नहीं हो जैसा कि तुम्हें लगता है, बल्कि जब तुम भाव-विभोर होकर गाती हो, तब तुम्हारा आकर्षण बहुत बढ़ जाता है। तुम कुरुपता के बारे में मत सोचती रहो। स्वर की मधुरता और भाव-विभोर होने की मुख मुद्रा से उत्पन्न आकर्षण पर विचार करो। अपना आत्म-विश्वास जगाओ।

शिष्या ने यही किया और फ्रांस की प्रख्यात गायिका ‘मेरी बुडनाल्ड’ नाम से विख्यात हुई।

(8). धन्यवाद

धन्यवाद 1

दो राहगीर एक पहाड़ी के निकट झरने पर मिले। एक घोड़े पर सवार था और दूसरा पीठ पर सामान उठाए, पैदल ही अपने गांव जा रहा था। वे दोनों झरने के निकट सुस्ताने के लिए रुके। दोनों अजनबी थे,फिर भी एक-दूसरे से बातें करने लगे। “भला बताओ तो कि मैंने क्या सोचा और क्या फैसला किया है? अगर सही-सही बता दोगे तो यह घोड़ा तुम्हें दे दूंगा।” घुड़सवार ने दूसरे राहगीर से पूछा।

पैदल चलने वाले राहगीर ने जवाब दिया, “तुमने अपनी बीवी को तलाक देकर अपना गांव छोड़ने का फैसला किया है।” “घोड़ा ले लो! यह तुम्हारा हुआ।” “सचमुच… क्या तुमने यही फैसला किया था।” – दूसरे राहगीर ने पूछा। “नहीं!” घुड़सवार ने जवाब दिया। “फिर तुम अपना घोड़ा क्यों दे रहे हो?” “तुमने मुझे खूब बात सुझाई है। यह तुम्हारे सुझाव की कीमत है। तुम्हें बहुत-बहुत धन्यवाद।” उसने घोड़े की बाग उसे थमाते हुए जवाब दिया।

(9). बूढ़े की लाठी

बूढ़े की लाठी 3

एक दिन की बात है – किसी गांव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। एक दिन जब वह घर जा रहा था, तभी उसकी लाठी टूट गई। लचर दॄष्टि से उसने चारों ओर देखा, लेकिन आस-पास उसे कोई नज़र नहीं आया। निराश होकर वह पेड़ की छाया टेल बैठ गया और आने-जाने वालों से सहायता की पुकार करने लगा।

वह बहुत देर तक रास्ते पर बैठा रहा, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। अंत में हार कर वह पेड़ के नीचे ही सो गया। हल्की बूंदाबांदी से उसकी आँख खुली। उसने देखा कि वर्षा से बचने के लिए किसी ने उस पर कोट डाल दिया है।

बूढ़ा व्यक्ति कोट को हैरानी से देख रहा था। मगर पास ही एक लड़के को देख उसने पूछा – “बेटा, क्या यह कोट तुमने ओढ़ाया है?” लड़का उसकी टूटी हुई लाठी को जोड़ने में लगा था। उसने स्वीकृति में सिर हिलाया।

“तुमने यह कोट मुझे क्यों ओढ़ाया। तुम खुद वर्षा से भीग रहे हो और मुझे अपना कोट ओढ़ा दिया?” वह बोला।

“तो क्या हुआ बाबा! तुम बुजुर्ग और बूढ़े हो। तुम भीग गए तो बीमार पड़ जाओगे। मेरे दादाजी भी अक्सर पानी में भीगकर बहुत बीमार पड़ जाते थे।”

बालक की बातें सुनकर बूढ़े व्यक्ति की आँखे भर आई। उसने आगे बढ़कर उस नन्हें फरिश्ते को गले से लगा लिया और उसके कंधे का सहारा लेकर उठ खड़ा हुआ और लड़के के साथ चल पड़ा।

(10). मातृभाषा

रोहित का नाम एक कॉन्वेंट स्कूल में लिखवाया गया। वह पहले दिन स्कूल गया और जब वापस आया तो खुश नहीं था। यह उसके चेहरे से साफ-साफ झलक रहा था। माँ ने उससे दुःख और उदासी का कारण पूछा तो वह सिसकियां और हिचकियां भरने लगा। माँ द्वारा बार-बार पूछे जाने पर वह रोते हुए बोला, “माँ, मैं उस स्कूल में नहीं जाऊंगा।”

माँ घबरा गई। उसके मन में अनेक शंकाएँ हिलोरें लेने लगी। वह व्याकुल-सी हो गई और मन-ही-मन सोचने लगी –

आखिर मेरा बेटा उस स्कूल में क्यों नहीं जाना चाहता? रोहित ने स्कूल न जाने की जो वजह बताई, वह चौंकाने वाली थी। वह फफकते हुए बोला, “माँ, वहां के लोग मेरी भाषा को अपमानित की दॄष्टि से देखते है और कहते है कि इस स्कूल में पढ़ना है तो इंग्लिश में ही बोलना है। ऐसा क्यों माँ? मैं अपनी मातृभाषा में क्यों नहीं बोल सकता। बोलो माँ!” माँ अवाक् थी।

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article द्वारा दी गयी सीख आपके जीवन में उपयोगी साबित होगी। अगर आपको ये Article उपयोगी हुआ हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

प्रेरणादायक लघु कथाएँ Inspiring Short Stories in hindi with life lessons

Prerak Laghu Kahaniya 1024x538

प्रेरक लघु कहानियाँ बच्चों को सुलाने से पहले का सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। ये हमें भी तनावमुक्त होने के सबसे अच्छे तरीके में से एक है। ये न सिर्फ़ आपको सुकून के पल देती है, बल्कि आपके जीवन में सार्थक बदलाव भी लाती है।

इन प्रेरक लघु कहानियों से आपको अनमोल सबक मिलेंगे, जो जीवन की चुनौतियों का सामना करने में आपकी मदद कर सकती है। यहाँ, जीवन के कुछ ऐसे मार्मिक सबक दिए गए है, जो आपके दिल को छू लेंगे और आपकी आत्मा को प्रेरित करेंगे।

एक मूल अमेरिकी कहावत है जो, अगर आप गौर से देखें तो वाकई सार्थक लगती है। कहावत है, “कहानियाँ सुनाने वाले दुनिया पर राज करते है।”

1).देने की ख़ुशी

देने की ख़ुशी

एक दिन, टिशू बेचने वाला एक छोटा बच्चा एक लग्ज़री कार के पास से गुज़रा और उसके मालिक से एक टिशू पैकेट खरीदने को कहा। उस आदमी ने बच्चे से सारे टिशू ले लिए और उसे 10 डॉलर दिए।

बच्चा दस डॉलर पाकर बहुत खुश हुआ और उस आदमी का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा किया। फिर वह जूतों की दुकान पर गया और बड़े दुःख से उन आलीशान जूतों को देखने लगा, क्योंकि उसके पास पुराने जूते थे जिन्हें उसने सालों से नहीं बदले थे। बच्चा नए जूते खरीदना चाहता था, लेकिन जूतों की कीमतें बहुत ज़्यादा थी, क्योंकि जूतों की कीमत 60 डॉलर से शुरु होती थी, और उसके पास सिर्फ 10 डॉलर थे।

इसी बीच, जिस अमीर आदमी ने उसे 10 डॉलर दिए थे, उसकी नज़र उस पर पड़ी, तो वह अपनी कार से उतरा, जूतों की दुकान में गया और थोड़ी देर बाद वहाँ से चला गया। फिर वह अपनी कार में बैठकर चला गया।

थोड़ी देर बाद दुकान का मालिक बाहर आया, दुकान की खिड़की खोली और एक कागज लगाया, जिस पर लिखा था, “भोज के अवसर पर किसी भी जूते के लिए केवल 10 डॉलर।”

यह छूट देखकर बच्चा बहुत खुश हुआ और ऑफर खत्म होने से पहले ही नए जूते खरीदने के लिए जल्दी से दुकान के अंदर चला गया। बच्चे ने भूरे रंग के जूते चुने, जिनकी कीमत छूट से पहले $100 थी। बच्चे ने जूते के लिए पैसे दिए, उन्हें लिया और एक ऐसी खुशी महसूस करते हुए चला गया जो उसने पहले कभी महसूस नहीं की थी।

जब बच्चा दुकान से चला गया तो दुकान मालिक ने “$10” लिखा हुआ कागज ले लिया और पुरानी कीमतें फिर से लगा दी।

प्रिय पाठक, आप कल्पना कर सकते है की दुकान मालिक ने कीमतें इस तरह कम क्यों कीं।

कहानी का सार : जो ख़ुशी किसी जरुरियातमंद को कुछ देने में है, वह अद्भुत होती है।

2).गरीब भिखारी

गरीब भिखारी Poor Begger

बरसात के एक दिन, एक गरीब भिखारी सड़क के बीचों-बीच खड़ा था। लोग उसे घृणा से देख रहे थे और किसी ने उसकी मदद करने की ज़हमत नहीं उठाई। बारिश रुकने के बाद, वह आदमी एक पाँच सितारा होटल में दाखिल हुआ।

रिसेप्शनिस्ट ने उससे कहा, “यहाँ भीख माँगना मन है। “

उस आदमी को गुस्सा आया और उसने अपनी जेब से B1 चाबी निकाली। यह चाबी होटल के सबसे आलीशान और बेहतरीन कमरे की थी।

फिर उसने रिसेप्शनिस्ट से कहा, “मैं एक घंटे में नीचे जाउँगा। मेरी गाड़ी तैयार कर दो। “

रिसेप्शनिस्ट बहुत हैरान हुआ और मन ही मन सोचने लगा : कचरा बीनने वालों के कपड़े इस आदमी के कपड़ो से तो अच्छे है!

एक घंटे बाद, वह आदमी एक अच्छा सा सूट पहने कमरे से बाहर आया। वह अपनी कार मैं बैठा, रिसेप्शनिस्ट को बुलाया और उसने पूछा, “तुम्हारी तनख्वाह कितनी है?”

रिसेप्शनिस्ट : “$1000.”

आदमी : “क्या आप अपनी तनख्वाह बढ़ाना चाहते है?”

रिसेप्शनिस्ट : “जी हाँ, ज़िंदगी बहुत मुश्किल है, और हम सब महँगाई से परेशान है।”

आदमी : “क्या यहाँ भीख माँगना मना नहीं है?”

रिसेप्शनिस्ट शर्मिंदा हुआ और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। जब वह आदमी साधारण कपड़े पहने हुआ था, तब उसने उसके साथ बुरा व्यवहार किया था, लेकिन जब उसने देखा की वह एक अमीर आदमी है, तो उसने उसके साथ अच्छा व्यवहार किया और उसे “सर!” कहकर संबोधित किया।

कहानी का सार : अगर आप गरीबों की मदद नहीं कर सकते, तो कमसे कम उनका तिरस्कार न करें।

3).ख़राब कपड़े धोना

ख़राब कपड़े धोना

एक युवा जोड़ा नए घर में शिफ्ट हुआ। अगली सुबह जब वे नाश्ता कर रहे थे, तो युवती ने अपनी पड़ोसन को बाहर कपड़े लटकाते देखा। “उसके कपड़े ज़्यादा साफ़ नहीं है; उसे ठीक से कपड़े धोना नहीं आता। शायद उसे अच्छे डिटर्जेंट की ज़रुरत है।”

उसका पति चुपचाप देखता रहा। हर बार जब उसकी पड़ोसन अपने कपड़े बाहर सुखाने के लिए लटकाती, तो युवती यहीं बातें कहती।

एक महीने बाद, युवती को रस्सी पर साफ-सुथरे कपड़े देखकर आश्चर्य हुआ और उसने अपने पति से कहा, “देखो, उसने आखिरकार सही तरीके से कपड़े धोना सीख लिया है। मुझे आश्चर्य है की उसे यह किसने सिखाया?”

पति ने जवाब दिया, “मैं आज सुबह जल्दी उठा और हमारी खिड़कियाँ साफ़ कीं।”

और ज़िंदगी के साथ भी ऐसा ही है… दूसरों को देखते हुए हम जो देखते है, वह उस खिड़की की स्पष्टता पर निर्भर करता है जिससे हम देखते है। इसलिए दूसरों का आकलन करने में जल्दबाज़ी न करें, खासकर अगर वे क्रोध, ईर्ष्या, नकारात्मकता या अधूरी इच्छाओं से घिरे हों।

कहानी का सार : “किसी व्यक्ति का आकलन यह नहीं बताता की वह कौन है, लेकिन यह बताता है की आप कौन है।”

4).मूल्य

तुम ख़ास हो

याद रखो – आप ख़ास हो

एक लोकप्रिय वक्ता ने एक सेमिनार की शुरुआत 20 डॉलर का नोट उठाकर की। उसे सुनने के लिए 200 लोगों की भिड़ जमा हुई थी। उसने पूछा, “यह 20 डॉलर का नोट कौन लेगा?”

200 हाथ ऊपर उठे।

उसने कहा, “मैं यह 20 डॉलर आप में से किसी एक को दूँगा, लेकिन पहले मुझे यह करने दो।” उसने नोट को मोड़कर रख दिया।

फिर उसने पूछा, “इसे अब कौन लेना चाहता है?”

सभी 200 हाथ अभी भी उठे हुए थे।

“अच्छा,” उसने जवाब दिया, “अगर मैं ऐसा करु तो क्या होगा?” फिर उसने नोट ज़मीन पर गिरा दिया और अपने जूतों से उस पर पैर पटक दिया।

उसने उसे उठाया और भीड़ को दिखाया। नोट पूरी तरह से मुड़ा हुआ और गंदा था।

“अब इसे कौन लेना चाहता है?”

सभी हाथ फिर भी ऊपर ऊठे।

“मेरे दोस्तों, मैंने अभी-अभी तुम्हें एक बहुत ही ज़रुरी सबक सिखाया है। मैंने पैसों के साथ चाहे जो भी किया हो, तुम फिर भी उसे चाहते थे क्योंकि उसकी कीमत कम नहीं हुई। उसकी कीमत अब भी $20 थी। ज़िंदगी में कई बार ज़िंदगी हमें कुचल देती है और मिट्टी में मिला देती है। हम गलत फ़ैसले लेते है या बुरे हालातों का सामना करते है। हम खुद को बेकार समझते है। लेकिन चाहे कुछ भी हो गया हो या आगे भी होगा, तुम अपनी क़ीमत कभी नहीं खोओगे। आप ख़ास हो – इसे कभी मत भूलना!”

कहानी का सार : अपना मूल्य किसी और से कम मत समझिए। याद रखो – आप ख़ास हो – इसे कभी मत भूलना!

5).बुद्धिमान बुजुर्ग और चुटकुले

बुद्धिमान बुजुर्ग और चुटकुले

एक बार एक बुद्धिमान बुजुर्ग व्यक्ति का सामना ऐसे लोगों के समूह से हुआ जो बार-बार एक ही समस्या के बारे में शिकायत कर रहे थे।

एक दिन, उनकी शिकायतें सुनने के बजाय, उन्होंने उन्हें एक चुटकुला सुनाया और सब लोग हँसने लगे। फिर, उस बुद्धिमान बुजुर्ग ने चुटकुला दोहराया। कुछ लोग मुस्कुराए।

आखिरकार, उस बुजुर्ग ने तीसरी बार चुटकुला दोहराया – लेकिन किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

वह बुद्धिमान बुजुर्ग व्यक्ति मुस्कुराया और बोला, “तुम एक ही चुटकुले पर बार-बार नहीं हँसोगे। तो एक ही समस्या के बारे में शिकायत करते रहने से तुम्हें क्या मिलेगा?”

कहानी का सार : अगर तुम एक ही समस्या के बारे में शिकायत करते रहोगे और उसे ठीक करने के लिए कुछ नहीं करोगे, तो तुम कहीं नहीं पहुँचोंगे। शिकायत करने में अपना समय बर्बाद मत करो, यह उम्मीद करते हुए की दूसरे लोग तुम्हारी शिकायतों पर प्रतिक्रिया देते रहेंगे। इसके बजाय, बदलाव लाने के लिए कदम उठाओ।

6).आइसक्रीम की एक डिश

आइसक्रीम की एक डिश An Ice Cream Dish

उन दिनों में जब आइसक्रीम संडे की कीमत बहुत कम होती थी, एक 10 साल का लड़का एक होटल के कॉफ़ी शॉप में गया और एक मेज़ पर बैठ गया। एक वेट्रेस ने उसके सामने पानी का एक गिलास रखा।

“आइसक्रीम संडे कितने का है?”

“50 सेंट,” वेट्रेस ने जवाब दिया।

छोटे लड़के ने अपनी जेब से हाथ निकाला और उसमें रखे सिक्कों को देखा।

“सादे आइसक्रीम की एक डिश कितने की है?” उसने पूछा। कुछ लोग अब टेबल का इंतजार कर रहे थे और वेट्रेस थोड़ी अधीर थी।

“35 सेंट,” उसने रुखेपन से कहा।

छोटे लड़के ने फिर सिक्के गिने। “मैं सादा आइसक्रीम लूँगा,” उसने कहा।

वेट्रेस आइसक्रीम लेकर आई, बिल मेज़ पर रखा और चली गई। लड़के ने आइसक्रीम खत्म की, कैशियर को पैसे दिए और चला गया।

जब वेट्रेस वापस आई, तो उसने मेज़ पोंछना शुरु कर दिया और फिर जो देखा उसे देखकर उसकी साँस अटक गई।

वहाँ, खाली बर्तन के पास बड़ी सफ़ाई से रखे हुए थे, 15 सेंट – उसकी टिप।

कहानी का सार : दूसरों को पहली नज़र में आंकने में जल्दी मत किजिए। अक्सर वे लोग, जिनसे हम मदद की उम्मीद भी नहीं करते, वही सबसे ज़्यादा उदारता से देते है।

7).ज़िंदगी में हर किसी की एक कहानी होती है

ज़िंदगी में हर किसी की एक कहानी होती है

ट्रेन की खिड़की से बाहर देख रहा एक 24 साल का लड़का चिल्लाया…

“पापा, देखो पेड़ पीछे जा रहे है!”

पापा मुस्कुराए और पास बैठे एक युवा दंपति ने 24 साल के लड़के के बचकाने व्यवहार को दया से देखा, अचानक वह फिर से चिल्लाया…

“पापा, देखो बादल हमारे साथ दौड़ रहे है!”

दंपति खुद को रोक नहीं पाए और बुजुर्ग से बोले…

“आप अपने बेटे को किसी अच्छे डॉक्टर के पास क्यों नहीं ले जाते?”

बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले…”मैं ले गया था और हम अभी अस्पताल से ही आ रहे है, मेरा बेटा जन्म से ही अंधा था, आज ही उसकी आँखे खुली है।”

कहानी का सार : इस धरती पर हर एक व्यक्ति की एक कहानी होती है। लोगों को सही मायने में जानने से पहले उनके बारे में राय न बनाएँ। सच्चाई आपको चौंका सकती है।

8).कुँए में गधा Donkey in the well story in hindi

कुँए में गधा Donkey In The Well

एक दिन एक किसान का गधा कुँए में गिर गया। वह घंटो तक करुण क्रंदन करता रहा, किसान सोच रहा था की क्या करे। आखिरकार, उसने फैसला किया की गधा बूढ़ा हो गया है, और कुँए को वैसे भी ढकना जरुरी है – गधे को निकालने के लिए यह सब करना ठीक नहीं था।

उसने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के लिए बुलाया। सबने एक-एक फावड़ा उठाया और कुँए में मिट्टी डालने लगे। पहले तो गधे को एहसास हुआ की क्या हो रहा है और वह बुरी तरह रोया। फिर, सबको हैरानी हुई जब वह शांत हो गया।

कुछ फावड़े भरने के बाद, किसान ने आखिरकार कुँए में झाँका। उसने जो देखा उससे वह दंग रह गया। उसकी पीठ पर पड़ने वाली हर फावड़े की मिट्टी के साथ, गधा कुछ अद्भूत कर रहा था। वह उसे झाड़कर ऊपर चढ़ जाता।

जैसे-जैसे किसान के पड़ोसी उस गधे के ऊपर मिट्टी डालते जाते, वह उसे झाड़कर ऊपर चढ़ जाता।

जल्द ही, सब लोग हैरान रह गए जब गधा कुँए के किनारे पर चढ़ गया और ख़ुशी-ख़ुशी दौड़ता हुआ चला गया!

कहानी का सार : ज़िंदगी आप पर मिट्टी डालेगी, हर तरह की मिट्टी। कुँए से बाहर निकलने का तरीका यही है की उसे झाड़कर ऊपर चढ़े। हमारी हर मुसीबत एक सीढ़ी है। हम बिना रुके, कभी हार न मानकर, सबसे गहरे कुँए से भी बाहर निकल सकते है!

उसे (मुसीबत को) झाड़कर ऊपर चढ़े।

9).सच्चा धन

सच्चा धन

एक लड़का था, जो एक बहुत अमीर परिवार में पला-बढ़ा था।

एक दिन, उसके पिताने उसे एक यात्रा पर ले जाने का फैसला किया, ताकि उसे दिखाया जा सके कि दूसरे लोग जो कम भाग्यशाली थे, कैसे रहते है। उसके पिता का लक्ष्य अपने बेटे को जीवन में मिली हर चीज़ की कद्र करना सिखाना था।

लड़का और उसके पिता एक खेत में रुके, जहाँ एक बहुत गरीब परिवार रहता था। उन्होंने खेत पर कई दिन बिताए, परिवार के खाने-पीने के जुगाड़ में मदद की और उनकी ज़मीन की देखभाल की।

जब वे खेत से निकले, तो उसके पिता ने अपने बेटे से पूछा कि क्या उसे अपनी यात्रा अच्छी लगी और क्या उसने इस दूसरे परिवार के साथ बिताए समय में कुछ सीखा।

लड़के ने तुरंत जवाब दिया, “यह बहुत अच्छा था, वह परिवार बहुत भाग्यशाली है!”

उलझन में, उसके पिता ने पूछा कि उसका क्या मतलब था।

लड़के ने कहा, “हमारे पास तो सिर्फ़ एक कुत्ता है, लेकिन उस परिवार के पास चार है – और उनके पास मुर्गियाँ भी है! हमारे घर में चार लोग है, लेकिन उनके पास बारह है! उनके पास खेलने के लिए कितने सारे लोग है! हमारे आँगन में एक पूल है, लेकिन उनकी ज़मीन से होकर एक नदी बहती है, जो अंतहीन है। हमारे पास बाहर लालटेन है, ताकि हम रात में देख सकें, लेकिन उनके पास खुला आसमान और खूबसूरत तारे है, जो उन्हें आश्चर्य और रोशनी देते है। हमारे पास एक आँगन है, लेकिन उनके पास आनंद लेने के लिए पूरा क्षितिज है – उनके पास दौड़ने और खेलने के लिए अनगिनत मैदान है। हमें किराने की दुकान जाना पड़ता है, लेकिन वे अपना खाना खुद ऊगा पाते है। हमारी ऊँची बाड़ हमारी संपत्ति और हमारे परिवार की रक्षा करती है,लेकिन उन्हें ऐसी सीमित संरचना की जरुरत नहीं है, क्योंकि उनके दोस्त उनकी रक्षा करते है।

पिता अवाक रह गए।

अंत में, लड़के ने कहा, “मुझे यह दिखाने के लिए धन्यवाद कि अमीर लोग कैसे रहते है, वे बहुत भाग्यशाली है।”

कहानी का सार : सच्ची दौलत और खुशी भौतिक चीज़ो से नहीं मापी जाती। जिन लोगों से आप प्यार करते है, उनके साथ रहना, खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण का आनंद लेना और आज़ादी पाना, ये सारी खुशियाँ इन भौतिक चीज़ो से कहीं ज़्यादा अनमोल है।

एक समृद्ध जीवन का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है। आपके मूल्य और प्राथमिकताएँ क्या है? अगर आपके पास वो सब कुछ है जो आपके लिए ज़रुरी है, तो आप खुद को अमीर मान सकते है।

10).आलू, अंडे और कॉफ़ी बीन्स

आलू अंडे और कॉफ़ी बीन्स

एक बार एक बेटी ने अपने पिता से शिकायत की कि उसकी ज़िंदगी बहुत दुःख भरी है और उसे समझ नहीं आ रहा कि वह इससे कैसे निपटेगी। वह हर समय लड़ते-झगड़ते थक चुकी थी। ऐसा लग रहा था जैसे एक समस्या हल होती ही, की दूसरी आ जाती।

उसके पिता, जो एक रसोइया थे, उसे रसोई में ले गए। उन्होंने तीन बर्तनों में पानी भरा और हर एक को तेज़ आँच पर रख दिया। जब तीनों बर्तन उबलने लगे, तो उन्होंने एक बर्तन में आलू, दूसरे में अंडे और तीसरे में पीसी हुई कॉफ़ी बीन्स डाल दीं।

फिर उन्होंने अपनी बेटी से एक शब्द भी कहे बिना उन्हें उबलने दिया। बेटी कराहती रही और बेसब्री से इंतज़ार करती रही, सोचती रही कि पिताजी क्या कर रहे है।

बीस मिनट बाद उन्होंने गैस बंद कर दी। उन्होंने आलू बर्तन से निकालकर एक कटोरे में रख दिए। उन्होंने अंडे भी निकाले और उन्हें भी एक कटोरे में रख दिया।

फिर उन्होंने कॉफ़ी को चम्मच से निकाला और एक कप में रख दिया। फिर उसकी ओर मुड़कर उन्होंने पूछा, “बेटी, तुम्हें क्या दिख रहा है?”

“आलू, अंडे और कॉफ़ी,” उसने जल्दी से जवाब दिया।

“ज़रा ध्यान से देखो,” उसने कहा, “और आलू को छूकर देखो।” उसने ऐसा किया और देखा कि वे नरम थे। फिर उसने उसे एक अंडा लेकर उसे तोड़ने को कहा। छिलका उतारने के बाद, उसे एक कड़ा उबला हुआ अंडा दिखाई दिया। अंत में, उसने उसे कॉफ़ी की चुस्की लेने को कहा। उसकी गहरी खुशबू ने उसके चेहरे पर मुस्कान ला दी।

“पिताजी, इसका क्या मतलब है?” उसने पूछा।

फिर उन्होंने समझाया कि आलू, अंडे और कॉफ़ी बीन्स, तीनों ने एक ही विपत्ति का सामना किया था – उबलते पानी का।

हालाँकि, हर किसी की प्रतिक्रिया अलग-अलग थी।

आलू मज़बूत, कठोर और बिना रुके अंदर गया, लेकिन उबलते पानी में वह नरम और कमज़ोर हो गया।

अंडा नाजुक था, जिसका पतला बाहरी आवरण उसके तरल अंदरुनी हिस्से की रक्षा कर रहा था, जब तक कि उसे उबलते पानी में नहीं डाला गया। फिर अंडे का अंदरुनी हिस्सा सख्त हो गया।

हालाँकि, पिसी हुई कॉफ़ी बीन्स अनोखी थी। उबलते पानी के संपर्क में आने के बाद, उन्होंने पानी बदल दिया और कुछ नया बनाया।

“तुम कौन हो,” उन्होंने अपनी बेटी से पूछा। “जब विपत्ति तुम्हारे दरवाज़े पर दस्तक देती है, तो तुम कैसे प्रतिक्रिया देती हो? क्या तुम आलू हो, अंडा हो या कॉफ़ी बीन्स?”

कहानी का सार : जीवन में, चीजें हमारे आस-पास होती है, चीजें हमारे साथ होती है, लेकिन केवल वही चीज मायने रखती है,जो हमारे भीतर होती है।

आप कौन हो?

इसी के साथ हम इस Article को यही पूरा करते हैं। आशा करता हूँ की इस Article द्वारा दी गयी सीख आपके जीवन में उपयोगी साबित होगी। अगर आपको ये Article उपयोगी हुआ हो, तो आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ यह जानकारी जरूर साझा करें एवं नई-नई जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट articletree.in को अवश्य विजिट करें। हमारे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद !

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